नई दिल्ली:
मालदीव में लगातार जारी राजनीतिक गहमागहमी के बीच भारत वहां के हालात पर दो विपरीत विचारों को सुनने के लिए तैयार है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल समद अब्दुल्ला जहां सोमवार को यहां पहुंच चुके हैं, वहीं अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद इस महीने बाद में यहां आने वाले हैं।
अब्दुल्ला देश के मौजूदा हालात पर भारत के साथ राय-मशविरा करने के लिए अपने पहले विदेश दौरे पर यहां पहुंचे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अब्दुल्ला, विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के साथ मंगलवार को बातचीत करेंगे।
जानकार सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच मालदीव में राजनीतिक स्थिरता और जल्द चुनाव सम्बंधी बातचीत में प्रगति जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी।
उल्लेखनीय है कि मालदीव में सात फरवरी को सत्ता हस्तांतरण हुआ था जब लोकतांत्रिक रूप से पहली निर्वाचित सरकार के प्रमुख मोहम्मद नशीद को सत्ता छोड़ना पड़ी थी और मोहम्मद वहीद हसन ने राष्ट्रपति पद संभाला था।
सत्ता हस्तांतरण के समय उपजे राजनीतिक संकट के दौरान भारत ने विदेश सचिव रंजन मथाई को हालात का जायजा लेने और राजनीतिक दलों के बीच मध्यस्थता के लिए भेजा था। मथाई ने राजनीतिक दलों के बीच जल्द चुनाव के लिए सहमति भी बना ली थी, लेकिन अब तक शीघ्र चुनाव के वास्ते कोई ठोस प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
कृष्णा अपनी बातचीत में अब्दुल्ला पर इस बात के लिए दबाव बनाएंगे कि उन्हें मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन द्वारा घोषित और प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित प्रारूप पर अटल रहना चाहिए।
दूसरी ओर नशीद भारतीय नेतृत्व के साथ अपना पक्ष रखने के लिए इस महीने के मध्य में यहां आने वाले हैं।
नशीद ने पिछले सप्ताह अमेरिका में कहा था, "मैं अगले महीने के मध्य में भारत जाऊंगा और यथासम्भव कई नेताओं से मिलने की कोशिश करूंगा, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल होंगे।" उन्होंने कहा था कि उन्हें आशा है कि भारत उनके साथ खड़ा होगा और मालदीव में लोकतंत्र बहाली के उनके प्रयास में मदद करेगा।
पिछले सप्ताह अमेरिका में एक टाक शो के दौरान नशीद ने भारत और अमेरिका की सरकारों से निराशा जाहिर की थी।
अब्दुल्ला देश के मौजूदा हालात पर भारत के साथ राय-मशविरा करने के लिए अपने पहले विदेश दौरे पर यहां पहुंचे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अब्दुल्ला, विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के साथ मंगलवार को बातचीत करेंगे।
जानकार सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच मालदीव में राजनीतिक स्थिरता और जल्द चुनाव सम्बंधी बातचीत में प्रगति जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी।
उल्लेखनीय है कि मालदीव में सात फरवरी को सत्ता हस्तांतरण हुआ था जब लोकतांत्रिक रूप से पहली निर्वाचित सरकार के प्रमुख मोहम्मद नशीद को सत्ता छोड़ना पड़ी थी और मोहम्मद वहीद हसन ने राष्ट्रपति पद संभाला था।
सत्ता हस्तांतरण के समय उपजे राजनीतिक संकट के दौरान भारत ने विदेश सचिव रंजन मथाई को हालात का जायजा लेने और राजनीतिक दलों के बीच मध्यस्थता के लिए भेजा था। मथाई ने राजनीतिक दलों के बीच जल्द चुनाव के लिए सहमति भी बना ली थी, लेकिन अब तक शीघ्र चुनाव के वास्ते कोई ठोस प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
कृष्णा अपनी बातचीत में अब्दुल्ला पर इस बात के लिए दबाव बनाएंगे कि उन्हें मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन द्वारा घोषित और प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित प्रारूप पर अटल रहना चाहिए।
दूसरी ओर नशीद भारतीय नेतृत्व के साथ अपना पक्ष रखने के लिए इस महीने के मध्य में यहां आने वाले हैं।
नशीद ने पिछले सप्ताह अमेरिका में कहा था, "मैं अगले महीने के मध्य में भारत जाऊंगा और यथासम्भव कई नेताओं से मिलने की कोशिश करूंगा, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल होंगे।" उन्होंने कहा था कि उन्हें आशा है कि भारत उनके साथ खड़ा होगा और मालदीव में लोकतंत्र बहाली के उनके प्रयास में मदद करेगा।
पिछले सप्ताह अमेरिका में एक टाक शो के दौरान नशीद ने भारत और अमेरिका की सरकारों से निराशा जाहिर की थी।