भारत (India) के विदेश सचिव विनय क्वात्रा (Vinay Mohan Kwatra) ने नीतिगत मामलों के प्रभारी अमेरिका (US) के अवर रक्षा सचिव कॉलिन कहल से मुलाकात की और दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और आगे बढ़ाने पर चर्चा की. साथ ही दोनों पक्षों ने 'भारत-अमेरिका प्रमुख रक्षा साझेदारी' के महत्व को रेखांकित किया जिसने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में मदद की है. क्वात्रा इस समय अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं. उन्होंने सोमवार को उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन से मुलाकात की और भारत-अमेरिका संबंधों और उनके द्विपक्षीय सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा की.
एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंगलवार को बैठक के दौरान कहल और क्वात्रा ने नई दिल्ली में अगली ‘2+2' मंत्रिस्तरीय बैठक से पहले द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की पहल पर चर्चा की.
कहल ने ट्वीट किया, ‘‘आज दोपहर भारतीय विदेश सचिव वीएम क्वात्रा के साथ मुलाकात सुखद रही. हमने अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाने और ‘‘मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद प्रशांत'' को प्रोत्साहित करने समेत कई द्विपक्षीय पहलों पर चर्चा की.''
पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल डेविड हेरंडन ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने हिंद महासागर क्षेत्र और यूरोप सहित आपसी सुरक्षा हितों से संबंधित विकास पर विचारों का आदान-प्रदान किया.''
हेरंडन ने कहा, “बातचीत कई मुद्दों पर हुई, जिसमें नौसेना-से-नौसेना सहयोग को गहरा करना, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में; अमेरिका और भारतीय सेनाओं के बीच परिचालन समन्वय को सुविधाजनक बनाने के लिए सूचना साझाकरण और रसद सहयोग का विस्तार करना; और उभरते रक्षा क्षेत्रों में द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग और साझेदारी के माध्यम से भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन में तेजी लाना शामिल है.''
2018 में अपनी स्थापना के बाद से, ‘2+2' मंत्रिस्तरीय मंच ने अमेरिका और भारत को एक उन्नत, व्यापक रक्षा साझेदारी बनाने की दिशा में काम करने की अनुमति दी है जो 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.
पेंटागन ने पहले कहा था कि भारत के साथ अमेरिका की बहुत करीबी साझेदारी और रक्षा संबंध हैं और दोनों देश उस रिश्ते को और विकसित करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे.
अमेरिका ने 2016 में भारत को एक ‘प्रमुख रक्षा भागीदार' के रूप में मान्यता दी, एक ऐसा दर्जा जो भारत को अमेरिका के निकटतम सहयोगियों और भागीदारों के बराबर अमेरिका से अधिक उन्नत और संवेदनशील तकनीक खरीदने की अनुमति देता है, और भविष्य में स्थायी सहयोग सुनिश्चित करता है.
भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं.
क्वात्रा रविवार की रात को न्यूयॉर्क से वाशिंगटन डीसी पहुंचे.
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