- भारत ने UNSC में अफगानिस्तान पर हुए हवाई हमलों की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान का नाम लिए बिना आलोचना की
- भारत ने तालिबान के साथ व्यावहारिक संबंध बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, केवल दंडात्मक उपायों को अप्रभावी बताया
- भारत ने अफगानिस्तान के साथ व्यापार और सीमा बंद करने को आतंकवाद बताया
भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर हुए हवाई हमलों की कड़ी निंदा की है. भारत ने अफगानिस्तान को चलाने वाली तालिबान सरकार के साथ व्यावहारिक संबंध बनाने की बात की है. यहां भारत ने कहा है कि अगर तालिबान के खिलाफ केवल दंड देने वाला हथकंडा अपनाया जाएगा तो अफगानिस्तान में कुछ नहीं बदलेगा. बुधवार, 10 दिसंबर को अफगानिस्तान की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथनेनी हरीश ने यह बात कही.
#WATCH | PR of India to the UN, Parvathaneni Harish's complete address at the UNSC briefing on the UN Assistance Mission in Afghanistan.
— ANI (@ANI) December 11, 2025
He says, "India calls for a pragmatic engagement with the Taliban. A coherent policy of engagement should incentivize positive actions. A… pic.twitter.com/By6QtmskWg
भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बना उसके द्वारा अफगानिस्तान के साथ व्यापार और बॉर्डर को पूरी तरह बंद करने की भी आलोचना की है और उसे आतंकवाद का नाम दिया है. पार्वथनेने हरीश ने कहा, "हम ट्रेड और ट्रांजिट आतंकवाद' की प्रथा पर भी गंभीर चिंता के साथ ध्यान देते हैं, जो अफगानिस्तान के लोगों को भूमि से घिरे देश तक पहुंच बंद करने के कारण झेलनी पड़ रही है. वहां के लोग कई वर्षों से खराब परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं... ये काम विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों का उल्लंघन हैं. एक नाजुक और कमजोर एलएलडीसी (लैंड-लॉक्ड डेवलपिंग कंट्रीज) देश, जो कठिन परिस्थितियों में फिर से निर्माण की कोशिश में है, उसके खिलाफ युद्ध की ऐसी खुली धमकियां और कार्रवाई UN चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है
उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता का भी पुरजोर समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि भारत सालों से अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का प्रबल समर्थक रहा है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए कि UN सुरक्षा परिषद द्वारा नामित आतंकी संगठन और आतंकवादी अब सीमा पार आतंकवाद में शामिल नहीं होंगे. भारत का इशारा ISIL, अल कायदा और उसके सहयोगी आतंकी संगठनों की ओर था. इनमें लश्कर ए तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद और उनके प्रॉक्सी शामिल है.
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