भारत और ऑस्ट्रेलिया ने क्षेत्रीय शांति बढ़ाने तथा आतंकवाद की चुनौतियों के साथ ही अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने के साथ ही मंगलवार को द्विपक्षीय 'सुरक्षा सहयोग तंत्र' की स्थापना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबट ने वार्ता की और एक ''सुरक्षा सहयोग तंत्र'' की स्थापना पर सहमति जताई जो दोनों देशों के बीच गहराते तथा विस्तार पाते सुरक्षा एवं रक्षा संबंधों का परिचायक है।
दोनों देशों ने साझा हितों के क्षेत्रों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग और विचार-विमर्श की प्रक्रिया को गहरा करने के लिए इस तंत्र की स्थापना की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एबट के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक बयान में कहा, ''मैं सुरक्षा सहयोग के लिए नए तंत्र का स्वागत करता हूं। क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बढ़ाने, आतंकवाद से मुकाबले तथा दोनों देशों से संबंधित अपराधों से निपटने में भारत और ऑस्ट्रेलिया की नई साझेदारी में सुरक्षा और सहयोग महत्वपूर्ण तथा विस्तार पाते क्षेत्र हैं।''
मोदी ने बाद में संसद को संबोधित करने के दौरान नौवहन सुरक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग का आह्वान किया।
पिछले सप्ताह म्यामांर में ईस्ट एशिया और आसियान शिखर बैठक में नौवहन सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग के संबंध में किए गए अपने आह्वान को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''नौवहन सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हमें अधिक सहयोग करना चाहिए। हमें समुद्र में एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करना चाहिए। और हमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा वैश्विक नियमों के सार्वभौमिक सम्मान के लिए भी काम करना चाहिए।''
वार्ता के दौरान दोनों ही पक्षों ने एक समग्र आर्थिक साझेदारी के समझौतों को शीघ्र अंतिम रूप देने और असैन्य परमाणु करार को जल्द से जल्द पूरा करने की जरूरत बतायी। ऑस्ट्रेलियाई संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद एक बड़ा खतरा बन गया है।
मोदी ने कहा, ''भारत में हमने तीन दशक तक इसका चेहरा बहुत करीब से देखा है। आतंकवाद अपना चरित्र बदल रहा है और अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।'' उन्होंने कहा, ''इंटरनेट के जरिये भर्ती (आतंकियों की), हिंसा का आह्वान किया जाता है। धन शोधन, मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी भी इसके जरिये होती है। हमें अपना द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग बढ़ाना होगा। लेकिन हमें इस वैश्विक समस्या के लिए एक समग्र वैश्विक रणनीति की जरूरत है।''
सुरक्षा से जुड़ी नई चुनौतियों से निपटने के लिए मोदी ने मजबूत सुरक्षा, आतंकी समूहों के बीच या देशों के बीच कोई भेदभाव न बरतने की नीति, आतंकियों को शरणगाह उपलब्ध करवाने वाले देशों को अलग-थलग करने तथा उनसे लड़ने वाले देशों को सशक्त बनाने पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने उन देशों में चरमपंथ के खिलाफ एक सामाजिक आंदोलन खड़ा करने के लिए कहा, जहां इसकी मौजूदगी सबसे ज्यादा है। उन्होंने धर्म और आतंकवाद के बीच के संबंध को तोड़ने के प्रयासों पर भी जोर दिया।
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