
'मेरे परिवार वाले इस बात के लिए राजी नहीं थे कि मैं टिकटॉक पर आऊं,' यह कहना है पाकिस्तान की टिकटॉक स्टार सुनैना बुखारी का जिन्होंने अपने अकाउंट को बंद करने और अपने 88000 फॉलोअर्स को छोड़ने का फैसला कर लिया है. सुनैना का कहना है कि उनके परिवार वालों ने भले ही उन्हें शुरुआत में मंजूरी नहीं दी हो लेकिन वह किसी तरह से परिवारवालों को मनाने में कामयाब रही थीं. वह इसमें सफल भी रहीं लेकिन पिछले दिनों पाकिस्तान में टिकटॉकर सना यूसुफ की उनके घर के बाहर ही हत्या कर दी गई. इस घटना ने सुनैना को तो अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर किया ही साथ ही साथ देश की हकीकत को भी सामने लाकर रख दिया.
प्रपोजल रिजेक्ट करने पर हत्या
पिछले हफ्ते सना यूसुफ को राजधानी इस्लामाबाद में उनके घर के बाहर उस शख्स ने गोली मार दी जिसके प्रस्ताव को उन्होंने बार-बार अस्वीकार कर दिया था. पुलिस की तरफ से भी इसकी पुष्टि की गई है. हत्या की खबर के बाद सना की आखिरी पोस्ट कई ऐसे कमेंट्स आए जो वायरल हो गए थे. सना की आखिरी पोस्ट उनके 17वें बर्थड का जश्न की फोटोग्राफ थी. केक पर लगी मोमबत्तियों को बुझाती सना, उस दिन काफी खुश थीं.
लोगों ने मौत को बताया सही
कई शोक संदेशों के बीच कुछ कमेंट्स ऐसे भी थे जो उनकी मौत के लिए सना को ही दोषी ठहरा रहे थे. एक शख्स ने कमेंट किया, 'आप जो बोते हैं, वही काटते हैं.' वहीं एक और यूजर ने कमेंट किया, 'यही ठीक था क्योंकि वह इस्लाम को कलंकित कर रही थीं.' सना के यूसुफ के सोशल मीडिया पर एक मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स थे. सोशल मीडिया पर सना अक्सर अपने पसंदीदा कैफे, स्किनकेयर प्रॉडक्ट्स और पारंपरिक सलवार कमीज से जुड़ी पोस्ट शेयर करती थीं.
Another day, another precious life taken for simply saying No!
— Muniba Mazari (@muniba_mazari) June 3, 2025
We all failed to protect a 17 year old vibrant girl who was creating joy for millions. #SanaYousaf You deserved better.
We failed you! 💔 #JusticeForSanaYousaf pic.twitter.com/5PYbiQUU3V
भारत में जहां टिकटॉक पूरी तरह से बैन है तो वहीं पाकिस्तान में यही काफी पॉपुलर है. पकिस्तान जहां पर साक्षरता स्तर बहुत कम है, वहां की आबादी के लिए टिकटॉक काफी आसान है. इसके जरिये महिला यूजर्स को व्यूअर्स और अच्छी इनकम दोनों ही हासिल होते हैं. ऐसे देश में जहां रोजगार के मौके कम हों और जहां अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागेदारी एक चौथाई से भी कम हो, वहां टिकटॉक पर महिलाओं की सफलता असाधारण भी है.
ऑनलाइन मॉनिटरिंग में तेजी
वहीं जैसे-जैसे टिकटॉक पॉपुलर हुआ महिलाओं को अच्छे व्यूज मिलते गए, वैसे ही वैसे प्लेटफॉर्म की मॉनिटरिंग भी बढ़ती गई. LGBTQ और यौन सामग्री के खिलाफ विरोध के बीच पाकिस्तानी टेलीकॉम ऑफिसर्स ने बार-बार इस ऐप को 'अनैतिक बर्ताव' के नाम पर ब्लॉक किया है या ब्लॉक करने की धमकी दी है. टिकटॉक ने बेहतर तरीके से कंटेंट को मॉडरेट करने का वादा किया है. फिर भी पाकिस्तान के अधिकारियों के अनुरोध पर कई ऐसे लाखों वीडियो को ब्लॉक किया है जो इसके सामुदायिक दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं हैं.
'आलोचना का डर'
यूसुफ की हत्या के बाद 28 साल की सुनौन बुखारी ने कहा कि उनका परिवार अब इस इंडस्ट्री में उनकी भागीदारी को सपोर्ट नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा, 'मैं अपने परिवार में पहली प्रभावशाली व्यक्ति हूँ, और शायद आखिरी भी.' साल 2025 की मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में केवल 30 प्रतिशत महिलाओं के पास स्मार्टफोन है. जबकि पुरुषों की संख्या दोगुनी (58 प्रतिशत) है, जो दुनिया में सबसे बड़ा अंतर है.
डिजिटल राइट्स फाउंडेशन (डीआरएफ) के एक बयान में कहा गया है, 'दोस्त और परिवार अक्सर उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग करने से हतोत्साहित करते हैं क्योंकि उन्हें आलोचना का डर होता है.' दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान में, जहां कई ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी कानून लागू है, एक व्यक्ति ने इस साल की शुरुआत में अपनी 14 वर्षीय बेटी की हत्या की साजिश रचने की बात कबूल की. इसके बारे में उसने कहा कि उसने टिकटॉक वीडियो के कारण उसने बेटी की इज्जत को खतरे में डाला था.
याद आई कंदील बलोच की हत्या
अक्टूबर में, दक्षिण में कराची में पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तारी किया था. पुलिस का कहना था कि उसने 'अश्लील' टिकटॉक वीडियो के कारण चार महिला रिश्तेदारों की हत्या कर दी थी. ये हत्याएं कंदील बलोच की यादों को ताजा करती हैं, जिन्हें पाकिस्तान की किम कार्दशियन कहा जाता है. वह देश की पहली ब्रेकआउट सोशल मीडिया स्टार्स में से एक हैं, जिनके वीडियो ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई. सालों तक सुर्खियों में रहने के बाद, उन्हें उनके भाई ने मार डाला.
'यह संस्कृति का हिस्सा'
देश के मानवाधिकार आयोग के अनुसार, पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा व्यापक है. पुरुषों को अस्वीकार करने के बाद महिलाओं पर हमला किए जाने के मामले असामान्य नहीं हैं. कंवल अहमद जो 300,000 महिलाओं के लिए बंद हो चुके एक फेसबुक ग्रुप को लीड करते हैं, उनका कहना था, 'यह एक संस्कृति है.' उनका कहना था कि पाकिस्तान की हर महिला इस डर को जानती है. चाहे वह टिकटॉक पर हो या 50 फॉलोअर्स वाला कोई प्राइवेट इंस्टाग्राम हो, डीएम से लेकर कमेंट्स तक में पुरुष नजर आते हैं.'
यूसुफ की हत्या के मामले में 22 साल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और उसे अगले हफ्ते अदालत में पेश होना है. पिछले हफ्ते राजधानी में एक जुलूस में, लगभग 80 पुरुष और महिलाएं इकट्ठा हुई थीं जिनके हाथों में ' नो मीन्स नो' लिखे हुए प्लेकार्ड थे.
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