
- आईबीएम और नासा ने एक एआई तकनीक से लैस टेलिस्कोप 'सूर्य' विकसित किया है जो सूरज के मौसम का अध्ययन करेगा.
- सूर्य हाई-रेजोल्यूशन सोलर डेटा को समझकर पृथ्वी और अंतरिक्ष तकनीक पर सौर गतिविधियों के प्रभाव का अनुमान लगाएगा.
- सौर तूफान सैटेलाइट, एयरलाइन नेविगेशन, बिजली ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकते हैं और बड़ा तकनीकी व्यवधान हो सकता है.
सूरज, यूं तो हमारी धरती से कई लाख किलोमीटर दूर है लेकिन इसके बगैर हमारे जीवन का कोई मोल नहीं है. जरा सोचिए कि अगर आपको इस बात की पल-पल की जानकारी मिल सके कि आखिर सूरज पर मौसम कैसा और इसकी एनर्जी का धरती पर या हमारी जिंदगी पर कैसा असर पड़ता है तो कैसा रहेगा. हो सकता है कि आप आने वाले समय में इस बारे में कई अहम बातों को जान सकें. दरअसल आईबीएम और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कुछ ऐसा ही किया है. दोनों ने 20 अगस्त यानी बुधवार को सबसे एडवांस्ड ओपन-सोर्स फाउंडेशन मॉडल को दुनिया के सामने लेकर आए हैं. यह दरअसल एक AI टेक्नोलॉजी से लैस एक टेलीस्कोप है जो सूरज का मौसम पता लगाएगा.
क्या-क्या करेगा सूर्य
नासा और आईबीएम का यह टेलीस्कोप इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसकी मदद से हाई-रेजॉल्यूशन वाले सोलर ऑब्जर्वेशन डेटा को समझने और सोलर एक्टिविटीज का पृथ्वी और अंतरिक्ष-आधारित तकनीक पर पड़ने वाले प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकेगा. इसका नाम है, इस टेलीस्कोप का नाम सूर्य है और यह एक संस्कृत भाषा का शब्द है. यह टेलीस्कोप सूरज की तस्वीरों के बारे में विस्तार से बताएगा और साथ ही अंतरिक्ष में मौसम के लिए होने वाली रिसर्च में एआई को कैसे प्रयोग किया जा सकेगा, इस बारे में जानकारी मुहैया करा पाएगा. इसके अलावा जीपीएस नेविगेशन से लेकर पावर ग्रिड और टेलीकम्युनिकेशन तक, हर चीज को सूर्य, निरंतर बदलती प्रकृति से बचाने में मदद करता है.
अगर आया सूरत पर तूफान तो...
सूरज, पृथ्वी से 9.3 करोड़ मील दूर ह है लेकिन हमारे जीवन पर इसका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है. सोलर फ्लेयर्स या सौर तूफान और कोरोनाल मास इजेक्शन सैटेलाइट को नष्ट कर सकते हैं, एयरलाइन नेविगेशन को ब्लॉक कर सकते हैं, बिजली गुल कर सकते हैं और यहां तक कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रेडिएशन का बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं. अंतरिक्ष-आधारित तकनीक पर मानवता की बढ़ती निर्भरता और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण की योजनाओं के साथ, सटीक सौर मौसम पूर्वानुमान महत्वपूर्ण हो गया है.
अंतरिक्ष का मौसम भी है जरूरी
इंसानों की निर्भरता तकनीक पर बढ़ती जा रही है और ठीक वैसे ही अंतरिक्ष मौसम के लिए भी संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है. लॉयड्स की तरफ से एक सिस्टैमैटिक रिस्क सिनैरियों के अनुसार ग्लोबल इकोनॉमी को पांच साल के दौरान 2.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. इस नुकसान में एक काल्पनिक सौर तूफान के खतरे से 17 बिलियन डॉलर का अनुमानित नुकसान भी शामिल है. हाल ही में हुई सौर घटनाओं ने पहले ही इस जोखिम का एक नमूना पेश कर दिया है. इससे जीपीएस सर्विसेज पर असर पड़ा है, फ्लाइट्स को डायवर्ट करना पड़ा है और यहां तक कि सैटेलाइट्स को भी नुकसान पहुंचा है. माना गया है इस नुकसान की वजह सौर तूफान ही रहे हैं.
सूरज को हुआ बुखार तो क्या होगा
सौर ज्वाला या भू-चुंबकीय तूफान उपग्रहों, स्मार्टफोन और यहां तक कि इंटरनेट जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी संरचनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. आईबी रिसर्च यूरोप, यूके और आयरलैंड के निदेशक, जुआन बर्नबे-मोरेनो के अनुसार, सूर्य को नौ सालों तक हाई रेजॉल्यूशन वाली तस्वीरों के साथ ट्रेन्ड किया गया है.इसका प्रयोग नासा साल 2010 से सूरज पर रिसर्च करने के लिए कर रहा है. इसे सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी कहा जाता है. उन्होंने इस मॉडल के लिए 'सूर्य के लिए एआई टेलीस्कोप' शब्द का प्रयोग किया.
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