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हज यात्रा की वजह से कैसे दोस्त बन रहे कट्टर दुश्मन ईरान और सऊदी, पढ़ें पूरी कहानी

ईरान एक शिया-बहुल देश है और दुनिया में शिया इस्लाम का केंद्र है, जबकि सऊदी अरब एक सुन्नी-बहुल मुस्लिम देश है. दोनों देशों के रिश्तों के बीच मार्च 2023 में चीन की मध्यस्थता के बाद सुधार आया.

साल 2024 में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मुलाकात भी हुई.

सऊदी अरब और ईरान- मिडिल ईस्ट की दो ऐसी ताकतें हैं, जिनकी आपसी दुश्मनी जगजाहिर रही है. लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं. साल 2015 के बाद पहली बार सऊदी एयरलाइंस ने ईरान के लिए अपनी उड़ानें फिर से शुरू की हैं. ये फ्लाइट्स खासतौर पर हज यात्रियों के लिए चलाई जा रही हैं. AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, Flynas नाम की सऊदी एयरलाइन अब तेहरान और मशहद से हाजियों को सीधे सऊदी अरब ला रही है. इससे करीब 35,000 ईरानी हज यात्री सीधे यात्रा कर सकेंगे, वो भी बिना चार्टर्ड फ्लाइट के झंझट के. पहले हज यात्री किराए पर विमान लेकर सऊदी आते थे. अब आपको ये भी बताते हैं कि दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे और कब - कब बिगड़ते चले गए. 

इस तरह शुरू हुई थी दुश्मनी

साल 2015 में मक्का में हज के दौरान भगदड़ मच गई थी जिसमें 139 ईरानी हाजियों की जान गई थी. इसके बाद रिश्तों में इतनी तल्ख़ी आई कि 2016 में सऊदी ने अपने यहां एक शिया धर्मगुरु अल-निम्र को फांसी दी जिसका ईरान में जमर विरोध किया गया. नतीजा ये हुआ कि दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते टूट गए.

दोनों देशों के बीच शत्रुता का एक कारण धार्मिक मतभेद भी है. ईरान एक शिया-बहुल देश है और दुनिया में शिया इस्लाम का केंद्र है, जबकि सऊदी अरब एक सुन्नी-बहुल मुस्लिम देश है. हालांकि मार्च 2023 में चीन की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आया. दोनों देशों ने सामान्य समझौते पर दस्तखत किए और फिर ईरान ने सऊदी की राजधानी रियाद में अपना दूतावास दोबारा खोल दिया.

साल 2024 में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मुलाकात भी हुई. नवंबर 2024 में भी इस्लामिक देशों की एक इमरजेंसी मीटिंग में ईरान के वाइस प्रेजिडेंट मोहम्मद रेजा आरेफ ने सऊदी क्राउन प्रिंस से मुलाकात की थी. दोनों देशों ने एक-दूसरे को दौरे का न्योता भी दिया था.

हज जैसे पवित्र मौके को अब दोनों देश एक नई शुरुआत का ज़रिया बना रहे हैं. धार्मिक यात्राएं अब कूटनीतिक पुल का काम कर रही हैं. क्या सऊदी और ईरान की ये नई दोस्ती लंबे वक्त तक चलेगी? क्या इससे मध्य-पूर्व में स्थिरता आएगी?

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