विज्ञापन
This Article is From Jul 04, 2017

एक नज़र : आखिर कैसे हैं भारत और इज़राइल देश के आपसी संबंध

भारत एक गुट निरपेक्ष राष्ट्र था जो कि पूर्व सोवियत संघ का समर्थक था, और इसी के चलते दूसर गुट निरपेक्ष राष्ट्रों की तरह इस्राइल को मान्यता नहीं देता था.

एक नज़र : आखिर कैसे हैं भारत और इज़राइल देश के आपसी संबंध
इस्राइल की यात्रा पर पीएम नरेंद्र मोदी.
नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर इस्राइल जा रहे हैं. भारत के किसी प्रधानमंत्री की 70 साल बाद इस्राइल की यात्रा है. इस यात्रा को अंतरराष्ट्रीय पटल पर काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है. यह यात्रा रणनीति, कूटनीति की दृष्टि से भी काफी अहम है. जहां तक दोनों देशों के बीच का संबंध में उस हमेशा से ही देश के भीतर और विदेशों में बैठे राजनीतिज्ञों की निगाहें लगी रही हैं. ऐसे में दोनों ही देशों में बीच संबंध कैसे रहे हैं इस पर एक नजर-

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर इस्राइल जा रहे हैं. भारत के किसी प्रधानमंत्री की 70 साल बाद इस्राइल की यात्रा है. इस यात्रा को अंतरराष्ट्रीय पटल पर काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है. यह यात्रा रणनीति, कूटनीति की दृष्टि से भी काफी अहम है. जहां तक दोनों देशों के बीच का संबंध में उस हमेशा से ही देश के भीतर और विदेशों में बैठे राजनीतिज्ञों की निगाहें लगी रही हैं. ऐसे में दोनों ही देशों में बीच संबंध कैसे रहे हैं इस पर एक नजर-

वर्ष 1992 में भारत और इस्राइल ने अपने पूर्ण राजनैतिक संबंध स्थापित किए और तब से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध आर्थिक, सैन्य, कृषि, और राजनीतिक स्तरों पर उभरकर सामने आया है. इससे पहले भारत और इस्राइल के बीच किसी प्रकार के संबंध नहीं रहे, इसके मुख्य दो कारण हैं पहला कारण ये था कि भारत एक गुट-निरपेक्ष राष्ट्र रहा है जो कि पूर्व सोवियत संघ का समर्थक था, और इसी के चलते दूसरे गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की तरह इस्राइल को मान्यता नहीं देता था. दूसरा कारण यह था कि भारत फिलिस्तीन की आजादी का समर्थक रहा है. यहां तक कि 1947 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीन नामक संगठन का निर्माण किया परन्तु 1989 में  कश्मीर विवाद के बाद तथा सोवियत संघ के पतन तथा पाकिस्तान के घुसपैठ के चलते राजनैतिक परिवेश में परिवर्तन आया और भारत ने अपनी सोच बदलते हुए इस्राइल के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया और 1992 में नए दौर की शुरुआत हुई.

जानिए आखिर क्यों महत्वपूर्ण भारत और इस्राइल संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को इस्राइल पहुंचेंगे, जो एक ऐतिहासिक यात्रा होगी. गौरतलब है कि इस्राइल दुनियाभर में अपने हथियार और अपने रक्षा सौदों के लिए जाना जाता है. बड़े देश अमेरिका और जर्मनी भी इस्राइल से हथियार खरीदते हैं, इस कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपना एक कदम अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ाया है. 

आइये जानते हैं अब इस्राइल के बारे में
इस्राइल का रक्षा बजट-
इस्राइल उन देशों में शुमार हैं जो रक्षा बजट पर काफी ध्यान देता है. अगर बात करें एक साल पहले की तो इस्राइल ने वर्ष 2016 में अपने रक्षा बजट में 17.8 बिलियन डॉलर खर्च किए थे, जो कि इस्राइल की जीडीपी का 5.8  फीसदी है. वहीं, दूसरी तरफ वर्ष 2016 में भारत का रक्षा बजट 55.9 बिलियन डॉलर था जो कि जीडीपी की मात्रा का 2.5 फीसदी हैं.

इस्राइल के वे ताकतवर हथियार जिनका लोहा दुनिया मानती है

डेलिलाह क्रूज मिसाइल ( DELILAH CRUISE MISSILE)
यह एक मध्यम श्रेणी, आईडीएफ का सबसोनिक क्रूज मिसाइल है जो एक मिनी टॉम हॉक मिसाइल के बराबर है. 250 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली यह सबसे हल्की मिसाइल है. इसे एफ-15/16 और यूएच हैलीकॉप्टर से भी लान्च किया जा सकता है. यह माक 0.3- 0.07  की स्पीड से दूरी तय करती है. यह अन्य मिसाइलों की तुलना में काफी हल्की है और इसकी रफ़्तार भी अच्छी है. 

आयरन डोम (IRON DOME)
आयरन डोम इंटरसेप्टर सिस्टम इ़ज़राइल मिलिट्री का सबसे चहेता हथियार है. यह एक ऐसी सी- रैम मिसाइल प्रणाली है जो ताइर इन्टरसेप्टर मिसाइल का प्रयोग अपने टारगेट को साधने के लिए करती है. कहा जाता है कि यह मिसाइल इस्राइल को छोटे खतरों से बचाने के लिए जरूरी है. इस आयरन डोम प्रणाली के द्वारा इस्राइल  87 फीसदी सफलता का दावा करता रहा है.

ऐरो 3 एबीएम (ARROW 3 ABM)
इस्राइल द्वारा कई बैलिस्टिक मिसाइलों को बनाया गया है, लेकिन सबसे काम की ऐरो 3 बैलेस्टिक मिसाइल प्रणाली है. इस मिसाइल को अमेरिकी एमआईएम -104 पैट्रियट एबीएम सिस्टम की तुलना में अधिक प्रभावी बनाने के लिए विकसित किया गया था. ऐरो इस्राइल के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों से सीमा को सुरक्षा प्रदान करता है. 

मर्कावा (MERKAVA 3/4 MBT)
1980 के दशक की शुरुआत में मर्केवा टैंक को इस्राइल की सैन्य आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन किया गया था. 80 के दशक की शुरुआत में मर्केवा टैंक को इस्राइल की सैन्य आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन किया गया था. यह डिजाइन पिछले कुछ वर्षों पहले की तुलना में काफी विकसित है और मर्केवा 3 और 4 इसका सबसे उन्नत रूप है.  एमके 4 में 120 एमएम की एक गन शामिल है. इसकी खूबी है कि यह एंटी टैंक मिसाइल 'लाहत' से लैस है जो इसे दुश्मन के टैंकों को दूर से ही नष्ट करने की क्षमता उपलब्ध कराता है.

टेवर  (TAVOR/ MICRO-TAVOR ASSAULT RIFLE)
यह आज के जमाने की आधुनिक राइफल है. इसे इस्राइल मिलिट्री इंडस्ट्रीज के द्वारा बनाया गया है. ये हल्की होने के साथ ही विश्वसनीय टिकाई और M4A1 कार्बाइन की तुलना में ज्यादा सटीक निशाना साधती है. इसमें कैलिबर 5.56 ×45 कैलिबर नाटो गोलियों जोकि 30 राउंड मैगजीन में इस्तेमाल किया जाता है. इस राइफल के कई अन्य रूप भी हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com