टोरंटो:
कनाडा के एक हिंदू मंदिर में बेसबॉल के बल्लों से लैस दो लोगों ने तोड़फोड़ मचाई जिससे इस देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय गुस्से में है। कनाडा के हिंदू समुदाय ने इसे ‘‘नफरत की वजह से अंजाम दिया गया गुनाह’’ करार दिया है।
वीडियो रिकॉर्डिंग्स में दिखाया गया है कि तोड़फोड़ मचाने वालों ने 23 जून को ब्रिटिश कोलंबिया केर्से स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास की तीन खिड़कियां तोड़ डालीं।
स्थानीय मीडिया ने मंदिर के एक अधिकारी के हवाले से बताया, ‘‘वे खिड़कियां तोड़ने के बाद उन बल्लों को वहीं छोड़कर चले गए, जो अपने आप सारी चीजें बयान कर देता है ।’’ वैदिक हिंदू सांस्कृतिक सोसाइटी के अध्यक्ष पुरुषोतम गोयल ने कहा, ‘‘जब मुझे तथ्यों का पता चला तो मुझे लगा कि यह ऐसा हमला नहीं था कि कोई सिर्फ नुकसान पहुंचाना चाहता था। यह नफरत की वजह से अंजाम दिया गया गुनाह है जो दुर्भाग्यपूर्ण एवं परेशान करने वाला है।’’
सोसाइटी के सचिव विनय शर्मा ने कहा, ‘‘मैं सदमे में था। कोई लूट नहीं हुई। कोई हताहत नहीं हुआ। किसी ने इमारत में दाखिल होने की कोशिश नहीं की।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस तरह का हमला या इस तरह का नस्लीय हमला या नफरत की वजह से अंजाम दी गई घटना यहां हो सकती है।’’
इस घटना की जांच कर रही केर्से रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने कहा कि वह नहीं मानती कि यह नफरत की वजह से अंजाम दिया गया गुनाह है।
‘सीटीवी ब्रिटिश कोलंबिया’ ने केर्से आरसीएमपी के प्रवक्ता डेल कार्र के हवाले से बताया, ‘‘पूजा करने की जगह को लोग पवित्र मानते हैं। यह बहुत निजी किस्म का हमला है।’’ खबरों के मुताबिक, मौके से एक बल्ला बरामद किया गया है जिस पर ‘सिखों का एक आखिरी नाम’ और ‘खांडा’ लिखा हुआ है।
विश्व सिख संगठन की कनाडा इकाई के अध्यक्ष प्रेम सिंह विनिंग ने मंदिर पर हुए हमले की निंदा की है। उन्होंने मंदिर का दौरा भी किया।
विनिंग ने कहा, ‘‘पूजा करने की जगह पर किसी हमले की निंदा की जानी चाहिए। जल्द से जल्द इस घटना के दोषियों को इंसाफ के कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। हमें पूरी उम्मीद है कि यह सिख एवं हिंदू समुदाय के बीच दरार डालने की कोशिश नहीं है। किसी निष्कर्ष से पहले आरसीएमपी को अपनी जांच पूरी करने देना चाहिए।’’ इस बीच, कनाडा के नागरिकता, आव्रजन एवं बहुसंस्कृतिवाद मामलों के मंत्री जेसन केनी ने हमले की निंदा की है।
वीडियो रिकॉर्डिंग्स में दिखाया गया है कि तोड़फोड़ मचाने वालों ने 23 जून को ब्रिटिश कोलंबिया केर्से स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास की तीन खिड़कियां तोड़ डालीं।
स्थानीय मीडिया ने मंदिर के एक अधिकारी के हवाले से बताया, ‘‘वे खिड़कियां तोड़ने के बाद उन बल्लों को वहीं छोड़कर चले गए, जो अपने आप सारी चीजें बयान कर देता है ।’’ वैदिक हिंदू सांस्कृतिक सोसाइटी के अध्यक्ष पुरुषोतम गोयल ने कहा, ‘‘जब मुझे तथ्यों का पता चला तो मुझे लगा कि यह ऐसा हमला नहीं था कि कोई सिर्फ नुकसान पहुंचाना चाहता था। यह नफरत की वजह से अंजाम दिया गया गुनाह है जो दुर्भाग्यपूर्ण एवं परेशान करने वाला है।’’
सोसाइटी के सचिव विनय शर्मा ने कहा, ‘‘मैं सदमे में था। कोई लूट नहीं हुई। कोई हताहत नहीं हुआ। किसी ने इमारत में दाखिल होने की कोशिश नहीं की।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस तरह का हमला या इस तरह का नस्लीय हमला या नफरत की वजह से अंजाम दी गई घटना यहां हो सकती है।’’
इस घटना की जांच कर रही केर्से रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने कहा कि वह नहीं मानती कि यह नफरत की वजह से अंजाम दिया गया गुनाह है।
‘सीटीवी ब्रिटिश कोलंबिया’ ने केर्से आरसीएमपी के प्रवक्ता डेल कार्र के हवाले से बताया, ‘‘पूजा करने की जगह को लोग पवित्र मानते हैं। यह बहुत निजी किस्म का हमला है।’’ खबरों के मुताबिक, मौके से एक बल्ला बरामद किया गया है जिस पर ‘सिखों का एक आखिरी नाम’ और ‘खांडा’ लिखा हुआ है।
विश्व सिख संगठन की कनाडा इकाई के अध्यक्ष प्रेम सिंह विनिंग ने मंदिर पर हुए हमले की निंदा की है। उन्होंने मंदिर का दौरा भी किया।
विनिंग ने कहा, ‘‘पूजा करने की जगह पर किसी हमले की निंदा की जानी चाहिए। जल्द से जल्द इस घटना के दोषियों को इंसाफ के कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। हमें पूरी उम्मीद है कि यह सिख एवं हिंदू समुदाय के बीच दरार डालने की कोशिश नहीं है। किसी निष्कर्ष से पहले आरसीएमपी को अपनी जांच पूरी करने देना चाहिए।’’ इस बीच, कनाडा के नागरिकता, आव्रजन एवं बहुसंस्कृतिवाद मामलों के मंत्री जेसन केनी ने हमले की निंदा की है।
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