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This Article is From Jul 27, 2012

पाक चैनल ने लाइव दिखाया हिन्दू लड़के का मुस्लिम बनना

पाक चैनल ने लाइव दिखाया हिन्दू लड़के का मुस्लिम बनना
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में एक टीवी चैनल ने एक हिन्दू लड़के द्वारा इस्लाम धर्म कबूल करने का लाइव टेलीकास्ट किया, जिसके बाद अग्रणी समाचारपत्र 'डॉन (Dawn)' ने लिखा है कि इससे साफ संकेत जाता है कि पाकिस्तान में इस्लाम की तुलना में दूसरों धर्मों को बराबरी का दर्जा हासिल नहीं है।

शुक्रवार को छपे अखबार के संपादकीय में कहा गया है कि कुछ समय से यह जाहिर हो गया है कि देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया किसी भी चीज को चटपटा बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और अब धर्म के नाम पर खिलवाड़ भी इसमें शामिल हो गया है। इसमें लिखा गया है कि यह घटना इस बात की एक और मिसाल है कि अब मीडिया ने अपने व्यावसायिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नैतिक मूल्यों, वैचारिक खुलापन और सामान्य ज्ञान को परे रख दिया है।

मंगलवार को टीवी के इस शो के दौरान उन्हीं के स्टूडियो में एक इमाम को एक हिन्दू लड़के को इस्लाम धर्म स्वीकार करते हुए लाइव दिखाया गया था। इसके अलावा शो के दौरान ही स्टूडियो में बैठे हुए दर्शकों से इस लड़के के लिए नए नाम सुझाने के लिए भी कहा गया।

अखबार ने यह भी लिखा है कि ऐसा कोई कारण नहीं, जिससे यह समझा जाए कि उस लड़के ने स्वेच्छा से इस्लाम कबूल नहीं किया है, परंतु यह शो टीवी के दर्शकों को कुछ नया और अलग दिखाने की ललक में तैयार किया गया, भले ही इससे एक निहायत व्यक्तिगत तथा आध्यात्मिक प्रक्रिया को सार्वजनिक बना दिया गया।

संपादकीय के मुताबिक इस शो के साथ सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि चैनल ने संभवत: एक बार भी यह नहीं सोचा कि इससे देश में बसे अल्पसंख्यकों (हिन्दुओं) को क्या संदेश जाएगा। जिस उत्साह और प्रसन्नता के साथ इस धर्मांतरण को दर्शकों ने सराहा, उससे यह स्पष्ट संकेत गया कि पाकिस्तान में इस्लाम की तुलना में दूसरों धर्मों को बराबरी का दर्जा हासिल नहीं है।

समाचारपत्र ने इस बात पर अफसोस जाहिर करते हुए लिखा है कि जिस देश में अल्पसंख्यकों से कई मामलों में पहले ही दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा बर्ताव किया जाता है, इस घटना के बाद वे देश की मुख्यधारा से और भी दूर हो जाएंगे।

अखबार के मुताबिक पाकिस्तानी मीडिया की समस्या यह है कि उनके पास जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं बचा है और वे किसी भी चीज को सनसनीखेज बनाने के लिए नैतिक मूल्यों और उसके औचित्य के बारे में सोचना ही बंद कर चुके हैं। मीडिया यह भी नहीं सोचता कि इनकी किस खबर से देशवासियों को क्या संदेश जाएगा।
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