
Donald Trump's Crackdown On Harvard: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनका प्रशासन अमेरिका की तमाम यूनिवर्सिटी के पीछे हाथ-पैर धोकर पड़ गया है. खासकर उनके निशाने पर प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी है. ट्रंप सरकार ने इंटरनेशनल स्टूडेंट्स का एडमिशन करने के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अधिकार को रद्द कर दिया है.
सरकार ने हार्वर्ड के हजारों वर्तमान इंटरनेशनल स्टूडेंट्स से कहा कि उन्हें अन्य स्कूलों में ट्रांसफर होना होगा नहीं तो वे अमेरिका में रहने की अपनी कानूनी अनुमति खो देंगे. यह कदम यूनिवर्सिटी को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकता है, जहां लगभग 6,800 इंटरनेशनल स्टूडेंट्स का एडमिशन है. इनमें से अधिकांश ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. अब ये स्टूडेंट इस बात को लेकर संघर्ष कर रहे हैं कि उनका अगला कदम क्या होगा.
इस एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि
- ट्रंप हार्वर्ड के पीछे क्यों पड़े हैं?
- ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर क्या एक्शन लिया है?
- ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर एक्शन क्यों लिया है?
- क्या ट्रंप सरकार को ऐसा करने का अधिकार है?
- हार्वर्ड में कितने भारतीय स्टूडेंट पढ़ते हैं?
- भारत सहित दूसरे देशों के स्टूडेंट्स पर क्या असर पड़ेगा?
ट्रंप हार्वर्ड के पीछे क्यों पड़े हैं?
ट्रंप प्रशासन के साथ हार्वर्ड की आमने-सामने की कलह अप्रैल की शुरुआत में शुरू हुई. ट्रंप सरकार ने अमेरिका की तमाम यूनिवर्सिटी से कहा कि वो अपने कैंपस में फिलीस्तीनी समर्थक विरोध प्रदर्शनों को सीमित करे और विविधता, समानता और समावेशन नीतियों को खत्म करे. लेकिन हार्वर्ड ट्रंप सरकार की इन मांगों का पालन करने से इनकार करने वाला पहला विशिष्ट कॉलेज बन गया. इसके बाद ट्रंप प्रशासन हार्वर्ड के खिलाफ एक से बढ़कर एक कार्रवाइयों में व्यस्त हो गया. होमलैंड सिक्योरिटी विभाग और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ सहित तमाम फेडरल एजेंसियों ने हार्वर्ड को दी जाने वाली अपनी अनुदान राशि में कटौती कर दी है. हार्वर्ड ने फंडिंग पर रोक को समाप्त करने की मांग करते हुए प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है.
क्या एक्शन लिया गया?
ट्रंप प्रशासन ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को यह आदेश दिया है कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) सर्टिफिकेशन को समाप्त कर दे. SEVP का सर्टिफिकेट संस्थानों को इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को एडमिशन देने और उन्हें वीजा के लिए आवेदन करने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट जारी करने की अनुमति देता है.
एक्शन क्यों लिया गया है?
होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने इस संबंध में एक लेटर जारी किया है. इसमें सरकार कहा है कि कैंपस में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के संबंध में जानकारी के लिए अमेरिकी सरकार के अनुरोध किया था लेकिन हार्वर्ड उसको पूरा करने में विफल रहा. विशेष रूप से, यूनिवर्सिटी पर कैंपस में विरोध प्रदर्शनों से संबंधित अनुशासनात्मक रिकॉर्ड और ऑडियो-विजुअल डॉक्यूमेंट प्रस्तुत नहीं करने का आरोप लगाया गया है. आरोप लगाया गया है कि इनमें से कुछ विरोध प्रदर्शन में कथित तौर पर हमास समर्थक भावनाओं को बढ़ाया गया और इजरायल की आलोचना की गई. क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड की विविधता, समानता और समावेशन (DEI) नीतियों की भी आलोचना की, उन्हें "नस्लवादी" और "यहूदी छात्रों के प्रति शत्रुतापूर्ण" कहा.
This administration is holding Harvard accountable for fostering violence, antisemitism, and coordinating with the Chinese Communist Party on its campus.
— Secretary Kristi Noem (@Sec_Noem) May 22, 2025
It is a privilege, not a right, for universities to enroll foreign students and benefit from their higher tuition payments… pic.twitter.com/12hJWd1J86
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड को मांगे गए डॉक्यूमेंट तैयार करने और अन्य मांगों को पूरा करने के लिए 72 घंटे का समय दिया है. अगर उसे अपनी SEVP स्थिति बहाल करने की उम्मीद जगाए रखनी है तो यह करना होगा.
ट्रंप सरकार को ऐसा करने का अधिकार है?
अमेरिका के कानून के तहत, होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के पास स्टूडेंट वीजा पर अधिकार क्षेत्र है और वह SEVP की देखरेख करता है. अब हार्वर्ड के SEVP सर्टिफिकेशन को रद्द करके, होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने ऐसी स्थिति बना दी है कि यूनिवर्सिटी अब कानूनी रूप से इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को अपने यहां एडमिशन नहीं दे पाएगा.
यह सही है कि पहले भी कुछ संस्थानों को SEVP लिस्ट से हटा दिया गया था, लेकिन ऐसी कार्रवाइयां आम तौर पर गंभीर प्रशासनिक चूक जैसे मान्यता की हानि, योग्य फैकल्टी की कमी, या संस्थान को बंद करने के मामले में इस्तेमाल में आती थीं. विशेषज्ञों का कहना है कि हार्वर्ड के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने के पीछे ऐसी कोई मिसाल नहीं दिखती है.
हार्वर्ड में कितने भारतीय स्टूडेंट पढ़ते हैं?
अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट का यह निर्णय सीधे तौर पर हार्वर्ड के लगभग 6,800 इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के भविष्य को खतरे में डालता है, जिसमें भारत के लगभग 800 छात्र भी शामिल हैं.
हार्वर्ड के रिकॉर्ड के अनुसार, इसके विभिन्न स्कूलों और विभागों में हर साल 500 से 800 भारतीय छात्र और विद्वान एडमिशन लेते हैं. लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 788 भारतीय छात्र वर्तमान में हार्वर्ड में पढ़ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रेजुएशन स्तर के प्रोग्राम्स में हैं.
भारत सहित दूसरे देशों के स्टूडेंट्स पर क्या असर पड़ेगा?
पहले सवाल कि जो इंटरनेशनल स्टूडेंट अभी हार्वर्ड में पढ़ रहे हैं उनका क्या. जिन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स ने इस सेमेस्टर में अपनी डिग्री पूरी कर ली है उन्हें ग्रेजुएशन करने की अनुमति दी जाएगी. हालांकि, जिन स्टूडेंट्स ने अभी तक अपनी डिग्री पूरी नहीं की है, उन्हें किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर लेना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो वे अमेरिका में रहने की अपनी कानूनी अनुमति खो देंगे.
अब सवाल कि हार्वर्ड में इंटरनेशनल स्टूडेंट का नया एडमिशन लिया जाएगा या नहीं. ऐसा करना उस समय तय कानूनी नहीं होगा जब तक कि सरकार अपना निर्णय नहीं बदलती या अदालत हस्तक्षेप नहीं करती. फिलहाल, नोएम ने कहा कि अगर हार्वर्ड 72 घंटों के भीतर मांगों की सूची का अनुपालन करता है तो वह इंटरनेशनल स्टूडेंट के लिए एक मेजबान संस्थान के रूप में अपनी स्थिति बहाल कर सकता है.
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