इस्लामाबाद:
देश के बेहद कड़े ईशनिन्दा कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में पाकिस्तानी अधिकारियों ने 11-वर्षीय एक ईसाई लड़की को उस समय गिरफ्तार किया, जब गुस्साए पड़ोसियों ने उसके घर को घेरकर पुलिस से कार्रवाई की मांग की।
पुलिस अधिकारी जबी उल्लाह ने सोमवार को जानकारी दी कि इस्लामाबाद में इस लड़की को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि सैकड़ों पड़ोसियों ने इस खबर को सुनने के बाद उसके घर को चारों तरफ से घेर लिया था कि उसने धार्मिक कागजात जला डाले हैं। उन्होंने कहा कि लड़की को 14 दिन के लिए पकड़ा गया है, जब तक पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जबी उल्लाह के मुताबिक उस लड़की के घर को करीब 500-600 बेहद गुस्साए लोगों ने घेर लिया था, और यदि पुलिस ने उसे (लड़की को) गिरफ्तार न किया होता तो वे उसे नुकसान भी पहुंचा सकते थे। इलाके के कुछ लोगों का आरोप है कि उस लड़की ने कुरान के पन्ने जलाए हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
पाकिस्तान में कानून के मुताबिक इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद अथवा पवित्र पुस्तक कुरान का अपमान करने का दोषी पाए जाने पर किसी को भी सजा-ए-मौत सुनाई जा सकती है, और इस बच्ची की गिरफ्तारी तथा स्थानीय लोगों में उपजे गुस्से को देखते हुए साफ समझा जा सकता है कि ईशनिन्दा के नाम पर पाकिस्तान में भावनाओं को आसानी से भड़काया जा सकता है, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय अक्सर यहां डर के साये में ही जीते हैं।
पुलिस अधिकारी जबी उल्लाह ने सोमवार को जानकारी दी कि इस्लामाबाद में इस लड़की को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि सैकड़ों पड़ोसियों ने इस खबर को सुनने के बाद उसके घर को चारों तरफ से घेर लिया था कि उसने धार्मिक कागजात जला डाले हैं। उन्होंने कहा कि लड़की को 14 दिन के लिए पकड़ा गया है, जब तक पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जबी उल्लाह के मुताबिक उस लड़की के घर को करीब 500-600 बेहद गुस्साए लोगों ने घेर लिया था, और यदि पुलिस ने उसे (लड़की को) गिरफ्तार न किया होता तो वे उसे नुकसान भी पहुंचा सकते थे। इलाके के कुछ लोगों का आरोप है कि उस लड़की ने कुरान के पन्ने जलाए हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
पाकिस्तान में कानून के मुताबिक इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद अथवा पवित्र पुस्तक कुरान का अपमान करने का दोषी पाए जाने पर किसी को भी सजा-ए-मौत सुनाई जा सकती है, और इस बच्ची की गिरफ्तारी तथा स्थानीय लोगों में उपजे गुस्से को देखते हुए साफ समझा जा सकता है कि ईशनिन्दा के नाम पर पाकिस्तान में भावनाओं को आसानी से भड़काया जा सकता है, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय अक्सर यहां डर के साये में ही जीते हैं।
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