एंटोनियो कोस्टा (तस्वीर : AFP)
पणजी:
गोवा देश का बेहद छोटा सा हिस्सा है, लेकिन यहां से निकलकर भारतवासी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और उन्हीं में से एक एंटोनियो कोस्टा पुर्तगाल के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं।
वामपंथी झुकाव वाले 54 वर्षीय कोस्टा की पैतृक जड़ें गोवा में हैं और पुर्तगाल में तीनों वामपंथी पार्टियों के 10 नवंबर को साथ आने के बाद उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं काफी प्रबल हो गई हैं।
पणजी से 35 किलोमीटर दूर मडगाव में रुआ आबेद फारिया राजमहल के बगल में स्थित कोस्टा के पैतृक बंगले में रह रहीं उनकी रिश्तेदार जस्सिलाइनेन कोस्टा एंटोनियो के पुर्तगाल का प्रधानमंत्री बनने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए किशोरवय में एंटोनियो की अपने पिता के साथ होने वाली राजनीतिक बहसों का जिक्र करती हैं।
उन्होंने बताया, 'उसने हम सभी को गौरवान्वित किया है। उसकी हमेशा से राजनीति में बहुत रुचि थी। उसकी अपने पिता से अक्सर राजनीति पर गर्मागर्म अंतहीन बहसें हुआ करती थीं।' तीन दशकों के अपने राजनीतिक कार्यकाल में पेशे से वकील और सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य एंटोनियो लिस्बन के तीन बार मेयर रह चुके हैं पुर्तगाल मंत्रिमंडल में मंत्री भी रह चुके हैं।
एंटोनियो के पिता पुर्तगीज कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य ऑरलैंडो प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। इस पार्टी पर तानाशाह ओलिविएरा सालाजार ने प्रतिबंध लगा दिया था। ऑरलैंडो का जन्म पुर्तगाल का उपनिवेश रहे मोजाम्बिक में 1929 में हुआ, जहां से उनका परिवार गोवा में आकर बस गया।
ऑरलैंडो 18 वर्ष की अवस्था में गोवा छोड़कर लिस्बन में जा बसे और वहीं मारिया एंटोनियो पाल्ला से शादी कर ली। उस समय गोवा से अफ्रीका के पुर्तगाल उपनिवेश वाले क्षेत्रों और पुर्तगाल की ओर प्रवसन आम बात थी। गोवा पर 451 वर्षों तक पुर्तगाल का शासन रहा, जिसे भारतीय सेना ने 1961 में आजादी दिलाई।
एंटोनियो का घरेलू नाम बाबूश है, जिसका कोंकणी में आशय 'छोटा बच्चा' है। मडगाव में ही रह रहीं एंटोनियो की सबसे बड़ी चचेरी बहन एना कारिना जस्सिलाइनेन कोस्टा ने बताया कि जिस तरह 'बाबूश' ने पुर्तगाल की राजनीति में शीर्ष तक का सफर तय किया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने कहा, 'वह जिस तरह पुर्तगाल की राजनीति में शीर्ष तक पहुंचा है, उस पर हमें गर्व है।'
इसे अजब विरोधाभास ही कहेंगे कि भारत से जाकर पुर्तगाल की राजनीति में इतनी ऊंचाई तक पहुंचने वाले एंटोनियो पर गोवा को गर्व है, वहीं भारत में बाहर से आकर बसने वालों को लेकर लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक तकरार की स्थिति रही है।
गोवा में पुर्तगाली पहचान का जश्न मनाने के लिए मनाए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम 'सेमाना डी कल्ट्यूरा' के सह-मेजबान जोस एलमानो कोएल्हो परेरा का हालांकि मानना है कि एंटोनियो गोवा की उदारवादी शक्ति के दुनिया भर में विस्तार का ज्वलंत उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा, 'गोवावासियों का पुर्तगाल में प्रभाव बढ़ रहा है। पुर्तगाल और पूरी दुनिया में अब गोवावासियों की आवाज सुनी जा रही है। निश्चित तौर पर यह गर्व करने वाली बात है कि गोवावासियों ने खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित किया है और दूसरे देशों में भी सर्वोच्च पदों पर पहुंचने की क्षमता रखते हैं।'
वामपंथी झुकाव वाले 54 वर्षीय कोस्टा की पैतृक जड़ें गोवा में हैं और पुर्तगाल में तीनों वामपंथी पार्टियों के 10 नवंबर को साथ आने के बाद उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं काफी प्रबल हो गई हैं।
पणजी से 35 किलोमीटर दूर मडगाव में रुआ आबेद फारिया राजमहल के बगल में स्थित कोस्टा के पैतृक बंगले में रह रहीं उनकी रिश्तेदार जस्सिलाइनेन कोस्टा एंटोनियो के पुर्तगाल का प्रधानमंत्री बनने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए किशोरवय में एंटोनियो की अपने पिता के साथ होने वाली राजनीतिक बहसों का जिक्र करती हैं।
उन्होंने बताया, 'उसने हम सभी को गौरवान्वित किया है। उसकी हमेशा से राजनीति में बहुत रुचि थी। उसकी अपने पिता से अक्सर राजनीति पर गर्मागर्म अंतहीन बहसें हुआ करती थीं।' तीन दशकों के अपने राजनीतिक कार्यकाल में पेशे से वकील और सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य एंटोनियो लिस्बन के तीन बार मेयर रह चुके हैं पुर्तगाल मंत्रिमंडल में मंत्री भी रह चुके हैं।
एंटोनियो के पिता पुर्तगीज कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य ऑरलैंडो प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। इस पार्टी पर तानाशाह ओलिविएरा सालाजार ने प्रतिबंध लगा दिया था। ऑरलैंडो का जन्म पुर्तगाल का उपनिवेश रहे मोजाम्बिक में 1929 में हुआ, जहां से उनका परिवार गोवा में आकर बस गया।
ऑरलैंडो 18 वर्ष की अवस्था में गोवा छोड़कर लिस्बन में जा बसे और वहीं मारिया एंटोनियो पाल्ला से शादी कर ली। उस समय गोवा से अफ्रीका के पुर्तगाल उपनिवेश वाले क्षेत्रों और पुर्तगाल की ओर प्रवसन आम बात थी। गोवा पर 451 वर्षों तक पुर्तगाल का शासन रहा, जिसे भारतीय सेना ने 1961 में आजादी दिलाई।
एंटोनियो का घरेलू नाम बाबूश है, जिसका कोंकणी में आशय 'छोटा बच्चा' है। मडगाव में ही रह रहीं एंटोनियो की सबसे बड़ी चचेरी बहन एना कारिना जस्सिलाइनेन कोस्टा ने बताया कि जिस तरह 'बाबूश' ने पुर्तगाल की राजनीति में शीर्ष तक का सफर तय किया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने कहा, 'वह जिस तरह पुर्तगाल की राजनीति में शीर्ष तक पहुंचा है, उस पर हमें गर्व है।'
इसे अजब विरोधाभास ही कहेंगे कि भारत से जाकर पुर्तगाल की राजनीति में इतनी ऊंचाई तक पहुंचने वाले एंटोनियो पर गोवा को गर्व है, वहीं भारत में बाहर से आकर बसने वालों को लेकर लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक तकरार की स्थिति रही है।
गोवा में पुर्तगाली पहचान का जश्न मनाने के लिए मनाए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम 'सेमाना डी कल्ट्यूरा' के सह-मेजबान जोस एलमानो कोएल्हो परेरा का हालांकि मानना है कि एंटोनियो गोवा की उदारवादी शक्ति के दुनिया भर में विस्तार का ज्वलंत उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा, 'गोवावासियों का पुर्तगाल में प्रभाव बढ़ रहा है। पुर्तगाल और पूरी दुनिया में अब गोवावासियों की आवाज सुनी जा रही है। निश्चित तौर पर यह गर्व करने वाली बात है कि गोवावासियों ने खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित किया है और दूसरे देशों में भी सर्वोच्च पदों पर पहुंचने की क्षमता रखते हैं।'
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