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This Article is From May 04, 2016

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्य संख्या बढ़ाई जाए, बहुमत इसके पक्ष में : भारत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्य संख्या बढ़ाई जाए, बहुमत इसके पक्ष में : भारत
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (फाइल फोटो)
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद को अधिक सहभागी एवं लोकतांत्रिक निर्णय लेने वाली संस्था बनाने के लिए इसके स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए। यह बात सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता हासिल करने की कोशिश में लगे भारत और तीन अन्य देशों ने कही है।

सुरक्षा परिषद के सुधारों पर इंटरगवर्नमेंटल नेगोसिएशंस (आईजीएन) में सोमवार को भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 'स्थाई और अस्थाई दोनों श्रेणियों की सदस्य संख्या हर हाल में बढ़ाई जाए, ताकि एक ऐसा संतुलन बने जो मौजूदा स्थिति को प्रदर्शित करे।'

अकबरुद्दीन जी-4 की ओर से बोल रहे थे। यह भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान का समूह है। ये चारों देश संयुक्त रूप से सुधारों के लिए दबाव डाल रहे हैं और विस्तारित सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए परस्पर एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं।

इटली-पाकिस्तान के समूह ने फिर किया विरोध
आईजीएन सत्र सदस्यता की श्रेणी और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के मुद्दे से निपटता है। यूनाइटिंग फॉर कॉनसेंसस (यूएफसी) के रूप में जाना जाने वाला 13 सदस्यों का समूह, जिसमें पाकिस्तान भी है और जिसका नेतृत्व इटली करता है, उसने स्थाई सदस्य बढ़ाने के अपने विरोध को दोहराया है। जबकि, सुधार प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण बात सदस्यों की संख्या बढ़ानी ही है।

इस समूह के किसी सदस्य देश का नाम लिए बगैर अकबरुद्दीन ने कहा कि केवल अस्थाई श्रेणी के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के उनके मत से पांच स्थाई सदस्यता वाले देशों के पक्ष में पलड़ा और झुकेगा। ये पांच वे देश हैं, जो साल 1945 से ही विशेष शक्तियां रखते हैं। दुनिया में नई शक्तियों के उभार से चमत्कारिक बदलाव आया है और संयुक्त राष्ट्र ने खुद ही इसके सदस्यों की संख्या 51 से तीन गुना से भी अधिक बढ़ाकर 193 कर दी है।

सिर्फ पांच देशों के पास वीटो शक्ति
द्वितीय विश्वयुद्ध के मलबे पर संयुक्त राष्ट्र की जब स्थापना हुई थी, तब पांच विजेता थे -ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, सोवियत संघ और अमेरिका। इन सभी ने खुद ही सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता और वीटो की शक्ति ले ली थी।

20 साल से अधिक समय तक रुके रहने के बाद पिछले साल सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को तब गति मिली, जब महासभा के अंतिम सत्र में पाकिस्तान और इटली जैसे छोटे देशों के लगातार विरोध के बावजूद इस पर बातचीत के एक मसौदे को स्वीकार किया गया।

90 फीसदी से ज्यादा की चाहत बढ़े सदस्यों की संख्या
122 देशों को जिन्होंने लिखित रूप से सर्वेक्षण की बात कही है, उनमें 90 फीसदी से अधिक, कुल 113 देशों ने सुरक्षा परिषद के दोनों श्रेणियों के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन किया है।

इनमें अफ्रीकी संघ के 54 सदस्य हैं, 42 एल-69 समूह के सदस्य हैं, जो सुधारों का समर्थन करता है, जी-4 और 21 अन्य सदस्य हैं। इसके अलावा दो स्थाई सदस्य ब्रिटेन एवं फ्रांस हैं, जो इसके विस्तार के समर्थन में हैं।

कितने नए स्थाई सदस्य हों, इस पर अकबरुद्दीन कहते हैं कि जी-4 चाहता है कि इसका चुनाव महासभा के गुप्त मतदान से हो और इसके लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी हो। जर्मनी एवं जापान प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरे हैं, जबकि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मामलों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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