नई शब्दावलियों का उपयोग करने और बेहतरीन वक्ता के तौर पर पहचान रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त राष्ट्र में 'जी-ऑल' के रूप में नयी शब्दावली का इस्तेमाल किया और कहा कि कई तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए अलग अलग समूहों को मिलकर ठोस प्रयास करना चाहिए।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, 'आज, हम अब भी कई 'जी' (समूहों) में विभिन्न संख्या में काम कर रहे हैं। भारत भी इनमें से कई में शामिल है। परंतु हम जी-1 या जी-ऑल के रूप मिलकर काम करने में कितना सफल हुए हैं।'
उन्होंने कहा कि जी-5, जी-20 जैसे समूहों के नाम बदलते रहते हैं, लेकिन हमें जी-ऑल की जरूरत है, ताकि कई लक्ष्यों को पूरा किया जा सके और पूरे विश्व में लोगों के जीवन में सुधार किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'एक तरफ हम कहते हैं कि हमारे भाग्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, दूसरी तरफ हम अब भी नफा-नुकसान की शतो' में सोचते हैं। अगर दूसरे को लाभ होता है, तो मुझे नुकसान होता है।'
आतंकवाद तथा दूसरी चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रयासों का आह्वान करते हुए मोदी ने सवाल किया कि क्या हम अधिक एकजुट हुए हैं जबकि हम परस्पर निर्भर विश्व की बात करते हैं।
उन्होंने कहा, 'निंदक होना और यह कहना आसान है कि कुछ नहीं बदल सकता, लेकिन हम ऐसा करते हैं तो हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं तथा हम अपने सामूहिक भविष्य को खतरे में डालते हैं।'
मोदी ने कहा कि वास्तविक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ' नैतिक रुख नहीं है, बल्कि व्यवहारिक वास्तविकता है।'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं