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This Article is From Mar 13, 2015

चुनावों में अपनी हार के लिए राजपक्षे ने भारत को जिम्मेदार बताया

चुनावों में अपनी हार के लिए राजपक्षे ने भारत को जिम्मेदार बताया
फाइल फोटो
कोलंबो(श्रीलंका):

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आरोप लगाया है कि जनवरी के चुनावों में हुई उनकी हार के लिए भारत, अमेरिका और यूरोपीय देश जिम्मेदार हैं।

हॉन्गकॉन्ग आधारित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के साथ एक इंटरव्यू में राजपक्षे ने कहा, 'यह बहुत खुली हुई बात है कि अमेरिका, नॉर्वे, यूरोप और रॉ (भारत का रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) मेरे खिलाफ खुले तौर पर काम कर रहे थे।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली श्रीलंका यात्रा से पहले राजपक्षे ने कहा, 'भारत और अमेरिका दोनों ने मुझे हराने के लिए अपने दूतावासों का इस्तेमाल खुले तौर पर किया है।'

आठ जनवरी के चुनाव में राजपक्षे की हार के तुरंत बाद कोलंबो से आई एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि राजपक्षे के खिलाफ सभी विरोधी पार्टियों मसलन श्रीलंका फ्रीडम पार्टी और युनाइटेड नेशनल पार्टी को एक करने में रॉ के एक अधिकारी की प्रमुख भूमिका थी।

रिपोर्ट के अनुसार एक अनाम अधिकारी को देश छोड़ने के लिए भी कहा गया था। बहरहाल, भारत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि श्रीलंका में कार्यरत सभी भारतीय अधिकारियों का कार्यकाल तीन साल का है और पिछले साल जिन भी अधिकारियों का श्रीलंका से तबादला किया गया, उस दौरान उनकी वहां सेवा-काल समाप्त हो गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'यह एक सामान्य ट्रांसफर है।' हांलाकि उस समय राजपक्षे ने कहा था कि  उनके पास सभी तथ्यों की जानकारी नहीं है।

पोस्ट को दिए अपने साक्षात्कार में कल राजपक्षे ने कहा था कि 'मैंने भारतीयों से पूछा था, 'आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह एक खुला रहस्य है कि आप क्या कर रहे हैं। मैंने उन्हें विश्वास दिलाया था कि मैं श्रीलंका की जमीन को किसी मित्र देश के खिलाफ प्रयोग करने की अनुमति नहीं दूंगा, लेकिन उनके पास अलग ही योजना थी।' उन्होंने उनके कार्यकाल में चीन के द्वारा विकसित की जाने वाली आधारभूत संरचनाओं का भी बचाव किया।

पिछले साल दो चीनी पनडुब्बियों के श्रीलंका में लंगर डालने से बढ़ी भारत की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'जब भी कोई चीनी पनडुब्बी विश्व के इस हिस्से में आती है वह तब हमेशा भारत को सूचित करते हैं।' उन्होंने कहा, 'चीन के राष्ट्रपति यहां थे तो उनकी पनडुब्बियां यहां थी। आपको यह पता करना चाहिए कि कितनी भारतीय पनडुब्बियां हमारी जल सीमा में आई थीं जब भारत के प्रधानमंत्री 2008 में दक्षेस सम्मेलन में भाग लेने आए थे।'

राजपक्षे ने पोस्ट को यह भी बताया कि लंका की नई सरकार गैरजरूरी रूप से चीन को घरेलू राजनीति में घसीटकर उसके साथ र्दुव्‍यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें चीन का शुक्रगुजार होना चाहिए क्योंकि उन्होंने हमें सहायता करना बढ़ा दिया है लेकिन ये लोग चीनियों के साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं कि जैसे कि वह अपराधी हों।

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