
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा तरीके से भारत के ऊपर 50 फीसदी टैरिफ थोप दिए हैं. इनमें से 25 फीसदी टैरिफ तो लागू भी हो चुके हैं. ट्रंप के इस कदम से बड़े पैमाने पर भारतीय कारोबारी प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि उद्योग जगत के दिग्गज इसे आपदा में अवसर की तरह देख रहे हैं. टैरिफ के इस 'मंथन' से 'अमृत' निकालने की उम्मीद जगा रहे हैं. हर्ष गोयनका ने तो कह दिया कि भारत किसी के आगे नहीं झुकता.
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन उद्योगपति आनंद महिंद्रा अमेरिका द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर को भारत के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देखते हैं. उन्होंने इस वैश्विक उथल-पुथल की तुलना 1991 के आर्थिक संकट से की, जिसने भारत को उदारीकरण की राह दिखाई थी. महिंद्रा का मानना है कि आज की वैश्विक चुनौतियों का 'मंथन' करके भारत अपने लिए 'अमृत' निकाल सकता है. उन्होंने यूरोप और कनाडा का उदाहरण देते हुए कहा कि यह टैरिफ वॉर वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहा है. भारत को भी इसका फायदा उठाना चाहिए.
यूरोप-कनाडा जैसे भारत उठाए फायदा
महिंद्रा ने कहा कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने यूरोप को अपनी रक्षा पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर किया है. फ्रांस और जर्मनी जैसे देश अब अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भरता कम करने लगे हैं. जर्मनी ने अपनी आर्थिक नीतियों में भी बदलाव किए हैं, जिससे वह यूरोप के लिए आर्थिक ग्रोथ का नया इंजन बन सकता है. वहीं कनाडा ने भी अपनी आंतरिक व्यापार बाधाओं को खत्म करना शुरू कर दिया है. इससे उसके प्रांतों के बीच मुक्त व्यापार हो सकेगा. यह कदम कनाडा की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाएगा. महिंद्रा ने कहा कि ये दोनों ही 'अनैच्छिक परिणाम' वैश्विक विकास के लिए लंबे समय में सकारात्मक साबित हो सकते हैं.
The ‘law of unintended consequences' seems to be operating stealthily in the prevailing tariff war unleashed by the U.S.
— anand mahindra (@anandmahindra) August 6, 2025
Two examples:
The EU may appear to have accepted the evolving global tariff regime, responding with its own strategic adjustments. Yet the friction has… pic.twitter.com/D5lRe5OWUa
भारत के लिए 'अमृत मंथन' का समय
महिंद्रा ने आगे कहा कि जिस तरह 1991 के विदेशी मुद्रा संकट ने भारत को उदारीकरण की ओर धकेला था, वैसे ही आज की वैश्विक उथल-पुथल भारत के लिए एक बड़ा मौका बन सकती है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हम टैरिफ के इस 'मंथन' से अपने लिए 'अमृत' निकाल सकते हैं? उन्होंने इसका रास्ता भी बताया. आनंद महिंद्रा ने कहा कि ऐसा करने के लिए भारत को दो बड़े कदम उठाने होंगे. पहला, कारोबार करना आसान बनाने के लिए क्रांतिकारी सुधार करने होंगे और दूसरा पर्यटन को विदेशी मुद्रा का इंजन बनाना होगा.
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में क्रांतिकारी सुधार
महिंद्रा ने कहा कि भारत में बिजनेस करना आसान बनाने के लिए सरकार को केवल छोटे-मोटे सुधारों से आगे बढ़कर एक मजबूत सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम बनाना होगा. अगर हम प्रक्रियाओं को तेज, सरल और भरोसेमंद बना दें तो दुनिया भर की कंपनियां भारत को एक पसंदीदा निवेश डेस्टिनेशन के रूप में देखेंगी. हम राज्यों के साथ मिलकर ऐसा राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म बना सकते हैं, जो निवेश की प्रक्रिया को बेहद आसान बना सके.
पर्यटन को विदेशी मुद्रा का इंजन बनाएं
महिंद्रा ने दूसरा सुझाव देते हुए कहा कि पर्यटन भारत के लिए विदेशी मुद्रा और रोजगार का एक बहुत बड़ा, लेकिन अभी तक कम इस्तेमाल किया गया जरिया है. हमें वीजा प्रक्रिया को आसान बनाना होगा और पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाएं देनी होंगी. मौजूदा पर्यटन स्थलों के आसपास टूरिजम कॉरिडोर बनाकर हम सुरक्षा, साफ-सफाई और बेहतरीन अनुभव का भरोसा दे सकते हैं. ये कॉरिडोर देश के बाकी हिस्सों के लिए भी एक मॉडल बन सकते हैं.
इन दो बड़े कदमों के अलावा आनंद महिंद्रा ने कहा कि हमारे एजेंडे में MSME (लघु एवं मध्यम उद्योगों) को सहायता, इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, PLI (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजनाओं का विस्तार और आयात शुल्क को तर्कसंगत बनाने जैसे कदम भी होने चाहिए. उन्होंने कहा कि दुनिया के बाकी देश पहले अपने राष्ट्रहित को देख रहे हैं. यह समय है कि हम भी अपने राष्ट्र को और भी महान बनाने के लिए कदम उठाएं.
Trump has provided us a once in a generation opportunity to take the next big leap on reforms.
— Amitabh Kant (@amitabhk87) August 6, 2025
Crisis must be fully utilised.
ये मौका पीढ़ियों में एक बार मिलता हैः अमिताभ कांत
नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत ने लिखा कि ट्रंप ने हमें ऐसा मौका दिया है, जो पीढ़ियों में एक बार मिलता है. हमें इसका फायदा उठाना चाहिए और सुधारों को नई ऊंचाई तक पहुंचाना चाहिए. इस संकट का पूरा फायदा उठाना जरूरी है.
You can tariff our exports, but not our sovereignty. Raise your tariffs- we'll raise our resolve, find better alternatives, and build self-reliance. 🇮🇳
— Harsh Goenka (@hvgoenka) August 6, 2025
India bows to none. pic.twitter.com/XjMHCyXwXr
भारत किसी के आगे नहीं झुकताः गोयनका
आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने ट्रंप के लिए कहा कि आप हमारे निर्यात पर टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन हमारी संप्रभुता पर नहीं. जितना आपका टैरिफ बढ़ेगा, उतनी हमारी प्रतिबद्धता बढ़ेगी. हम अच्छे विकल्प तलाशेंगे और आत्मनिर्भर बनेंगे... भारत किसी के आगे झुकता नहीं है.
दबाब में नहीं आएगा भारतः आकाश जिंदल
अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने कहा कि अमेरिका को आगे चलकर हिंदुस्तान की जरूरत पड़ेगी. लेकिन भारत किसी तरह के दबाव में नहीं आएगा. इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने कहा कि ट्रंप के ऐलान निश्चित रूप से भारत के लिए चिंतित होने की वजह हैं . लेकिन ये याद रखना जरूरी है कि चीन के उलट, भारत की अर्थव्यवस्था काफी अलग है. भारत काफी हद तक घरेलू स्तर पर संचालित इकोनमी है.
ये बनेगा भारत का मजबूत आधारः प्रो. फातिमा
सरला अनिल मोदी स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर नाहिद फातिमा ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ का अल्पकालिक प्रभाव बड़ा हो सकता है, जीडीपी पर असर पड़ सकता है. लेकिन अच्छी बात ये है कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, उपभोग का मजबूत आधार लंबे समय में भारत के लिए मजबूत आधार बन सकता है.
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