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This Article is From Sep 02, 2014

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से पहली बार भारत को सैन्य साजो-सामान बेचेगा जापान

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से पहली बार भारत को सैन्य साजो-सामान बेचेगा जापान
टोक्यो:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंज़ो आबे दोनों देश के रक्षा संबंधों और सामरिक साझेदारी को और ऊंचे स्तर पर ले जाने पर आज सहमत हुए। इसके तहत जापान और भारत के बीच शिनमाव्या द्वारा निर्मित विशेष नभ-जल विमान 'यूएस-2' की बिक्री और इसे बनाने के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी का भारत को हस्तांतरण करने के लिए राजी हो गया है। दोनों देशों के बीच हुए करार के बाद जापान दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार किसी देश को सैन्य साजो-सामान बेचेगा।

मोदी की पांच दिवसीय जापान यात्रा के तीसरे दिन दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर वार्ता हुई। शिखर वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आबे ने घोषणा की कि भारत-जापान सहयोग की मिसाल के तौर पर टोक्यो भारत को वित्तीय, प्रौद्योगिकी और बुलेट ट्रेन के संचालन में सहयोग करेगा। दोनों देशों ने अपने ‘सामरिक और वैश्विक साझीदारी’ संबंधों को और ऊंचाई देने का निर्णय करते हुए उसे 'विशेष सामरिक और वैश्विक साझीदारी' नाम देने की घोषणा की।

इस शिखर वार्ता में जापान ने निर्यात के लिए प्रतिबंधित भारत की अंतरिक्ष और रक्षा से जुड़ी छह संस्थाओं को 'फॉरन एन्ड यूजर लिस्ट' से हटा दिया।

वहीं असैन्य परमाणु सौदे के संदर्भ में जापान के प्रधानमंत्री ने कहा कि भागीदारी को मजबूत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस समझौते से संबंधित वार्ता में तेजी लाई जाए। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि मोदी की जापान यात्रा के दौरान इस समझौते पर सहमति बन जाएगी।

बताया जाता है कि भारत अमेरिका के साथ हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते की तर्ज पर जापान के साथ भी ऐसा समझौता चाहता था. लेकिन समझा जाता है कि टोक्यो इसके लिए उत्सुक नहीं है।

परमाणु सहयोग मुद्दे पर आबे ने कहा कि पिछले कई महीनों में इसमें 'महत्वपूर्ण प्रगति' हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने मुद्दे को समझने के लिए आपस में बेबाक चर्चा की। आबे ने कहा कि अगले पांच सालों में भारत में जापान की कंपनियों की उपस्थिति भी दोगुनी हो जाएगी।

मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा, 'हम दोनों ने संबंधों को विशेष सामरिक और वैश्विक साझीदारी तक आगे बढाने का निर्णय किया है।' उन्होंने कहा कि उनकी जापान यात्रा से दोनों देशों के संबंधों का नया युग शुरू हुआ है और दोनों के बीच भागीदारी में कोई 'सीमा' नहीं है।

मोदी ने कहा कि भारत और जापान प्राचीन मित्र हैं और उनकी यह यात्रा दोनों देशों को आपसी संबंधों का और विस्तार करने का अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि एशिया और विश्व में शांति तथा सुरक्षा के लिए 'विकसित भारत और खुशहाल जापान' महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भारत और जापान दो बड़े लोकतंत्र हैं और वे दोनों एशिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से हैं। (भाषा इनपुट के साथ)

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