75 साल के हेतुल्ला गिलेन कभी प्रेजिडेंट एर्दोग़ान के करीबी थे... (फाइल फोटो)
लॉस एंजिलिस/यूएस:
तुर्की में हुई तख्तापलट की कोशिश के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे अमेरिका में बसे हुए धर्मगुरु फेतुल्ला गिलेन के अपने खुद के देश तुर्की में काफी बड़ी संख्या में समर्थक हैं। उनके समर्थकों में पुलिस और न्यायपालिका के लोग भी शामिल हैं। बता दें कि बेहद प्रभावशाली मुस्लिम धर्मगुरु अमेरिका के पेनसिल्वानिया में पोकोनो पर्वत इलाके में रह रहे हैं।
In Pics : तस्वीरों में देखें तुर्की के हालात हालात
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान ने शुक्रवार को देश में हुई तख्तापलट की कोशिशों के लिए उन्हें तुरंत ही जिम्मेदार ठहराया। बाद में एक स्टेटमेंट में उनकी ओर से किसी भी तरह से इसमें शामिल होने को लेकर इंकार किया गया और कहा गया कि उनकी गतिविधियां लोकतंत्र के प्रति समर्पित हैं और किसी भी प्रकार के सैन्य हस्तक्षेफ के खिलाफ हैं।
पढ़ें- राष्ट्रपति एर्दोग़ान सामने आए, कहा 'मैं कहीं नहीं जा रहा'
75 साल के गिलेन कभी एर्दोग़ान के करीबी थे लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच दरार आ गई। एर्दोग़ान को शक्तिशाली 'गिलेनिस्ट मूवमेंट' के तुर्की समाज में मौजूदगी का शक होने लगा था जिसमें मीडिया और पुलिस व जुडिशरी के शामिल होने को लेकर भी उन्हें अंदेशा था।
1999 में गिलेन अमेरिका आ गए। इसके बाद ही उन पर तुर्की में देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। इसके बाद से गिलेन ने सार्वजनिक जीवन से एकदम खुद को अलग कर लिया। वह जनता के बीच बमुश्किल देखे जाते। कोई इंटरव्यू भी नहीं देते।
साल 2013 के आखिर में इन दोनों शीर्ष स्तंभों के बीच की शत्रुता एकदम मुखर हो गई थी। यह तब हुआ जब न्यायिक अधिकारी जो गिलेन के करीब समझे जाते थे, पर करप्शन के चार्ज लगे। इन आरोपों में गिलेन के बेहद करीबी जिनमें उनके बेटे बिलाल भी शामिल थे, की ओर भी इशारा था।
एर्दोगान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए सैंकड़ों आर्मी अधिकारियों को निकाल दिया। इनमें कई टॉप जनरल भी शामिल थे। गिलेन आंदोलन 'हिज्मत' (Hizmet) द्वारा चलाए जाने वाले कई स्कूलों को बंद कर दिया गया। कई पुलिस अधिकारियों को भी नौकरियों से निकाल दिया गया।
एर्दोगान ने उन अखबारों के संपादकों को भी निकाल दिया जो गिलेन के प्रति सहानुभूति रखने वाले माने जाते थे। ऐसे ही कई अखबारों को बंद भी कर दिया गया। तुर्की के प्राधिकारी वर्ग ने देश में 'राज्य के अंदर एक और राज्य' स्थापित करने के आरोप गिलेन पर लगाए हालांकि उनके आंदोलन ने बार बार यही कहा कि वह देश में लोकतंत्र को सुधारने और अलग अलग धार्मिक विश्वासों के साथ डॉयलॉग को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
शुक्रवार को जारी किए गए एक बयान में अलायंस फॉर शेयर्ड वैल्यूज ने कहा- 40 साल से भी ज्यादा समय तक फेतुल्ला गिलेन और हिज्मत समर्थक शांति और लोकतंत्र के प्रति समर्पित रहे हैं और इन मूल्यों की वकालत करते रहे हैं। हमने हमेशा घरेलू राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप की निंदा की है। ये हिज्मत से जुड़े लोगों समर्थकों के मूलभूत मूल्य हैं। हम टर्की में घरेलू राजनीति में किसी भी प्रकार के सैन्य हस्तक्षे की निंदा करते हैं।
इस समूह ने एर्दोगान के समर्थकों द्वारा फेतुल्ला गिलेन की सैन्य तख्तापलट की कोशिशों से जुड़े होने के कयासों को 'बेहद गैर जिम्मेदाराना' करार दिया है।
एंटोलिया न्यूज एंजेसी के मुताबिक, गिलेन समर्थकों की धर पकड़ के तहत पिछले दो सालों में 1800 के करीब लोग हवालात में बंद कर दिए गए हैं। इनमें 80 सैनिक और 750 पुलिस अधिकारी शामिल हैं। करीब 280 लोगों के जेल ट्रायल अभी पेंडिंग ही हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान ने शुक्रवार को देश में हुई तख्तापलट की कोशिशों के लिए उन्हें तुरंत ही जिम्मेदार ठहराया। बाद में एक स्टेटमेंट में उनकी ओर से किसी भी तरह से इसमें शामिल होने को लेकर इंकार किया गया और कहा गया कि उनकी गतिविधियां लोकतंत्र के प्रति समर्पित हैं और किसी भी प्रकार के सैन्य हस्तक्षेफ के खिलाफ हैं।
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75 साल के गिलेन कभी एर्दोग़ान के करीबी थे लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच दरार आ गई। एर्दोग़ान को शक्तिशाली 'गिलेनिस्ट मूवमेंट' के तुर्की समाज में मौजूदगी का शक होने लगा था जिसमें मीडिया और पुलिस व जुडिशरी के शामिल होने को लेकर भी उन्हें अंदेशा था।
1999 में गिलेन अमेरिका आ गए। इसके बाद ही उन पर तुर्की में देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। इसके बाद से गिलेन ने सार्वजनिक जीवन से एकदम खुद को अलग कर लिया। वह जनता के बीच बमुश्किल देखे जाते। कोई इंटरव्यू भी नहीं देते।
साल 2013 के आखिर में इन दोनों शीर्ष स्तंभों के बीच की शत्रुता एकदम मुखर हो गई थी। यह तब हुआ जब न्यायिक अधिकारी जो गिलेन के करीब समझे जाते थे, पर करप्शन के चार्ज लगे। इन आरोपों में गिलेन के बेहद करीबी जिनमें उनके बेटे बिलाल भी शामिल थे, की ओर भी इशारा था।
एर्दोगान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए सैंकड़ों आर्मी अधिकारियों को निकाल दिया। इनमें कई टॉप जनरल भी शामिल थे। गिलेन आंदोलन 'हिज्मत' (Hizmet) द्वारा चलाए जाने वाले कई स्कूलों को बंद कर दिया गया। कई पुलिस अधिकारियों को भी नौकरियों से निकाल दिया गया।
एर्दोगान ने उन अखबारों के संपादकों को भी निकाल दिया जो गिलेन के प्रति सहानुभूति रखने वाले माने जाते थे। ऐसे ही कई अखबारों को बंद भी कर दिया गया। तुर्की के प्राधिकारी वर्ग ने देश में 'राज्य के अंदर एक और राज्य' स्थापित करने के आरोप गिलेन पर लगाए हालांकि उनके आंदोलन ने बार बार यही कहा कि वह देश में लोकतंत्र को सुधारने और अलग अलग धार्मिक विश्वासों के साथ डॉयलॉग को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
शुक्रवार को जारी किए गए एक बयान में अलायंस फॉर शेयर्ड वैल्यूज ने कहा- 40 साल से भी ज्यादा समय तक फेतुल्ला गिलेन और हिज्मत समर्थक शांति और लोकतंत्र के प्रति समर्पित रहे हैं और इन मूल्यों की वकालत करते रहे हैं। हमने हमेशा घरेलू राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप की निंदा की है। ये हिज्मत से जुड़े लोगों समर्थकों के मूलभूत मूल्य हैं। हम टर्की में घरेलू राजनीति में किसी भी प्रकार के सैन्य हस्तक्षे की निंदा करते हैं।
इस समूह ने एर्दोगान के समर्थकों द्वारा फेतुल्ला गिलेन की सैन्य तख्तापलट की कोशिशों से जुड़े होने के कयासों को 'बेहद गैर जिम्मेदाराना' करार दिया है।
एंटोलिया न्यूज एंजेसी के मुताबिक, गिलेन समर्थकों की धर पकड़ के तहत पिछले दो सालों में 1800 के करीब लोग हवालात में बंद कर दिए गए हैं। इनमें 80 सैनिक और 750 पुलिस अधिकारी शामिल हैं। करीब 280 लोगों के जेल ट्रायल अभी पेंडिंग ही हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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