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जानवरों की तरह हाथ और पैरों से चलते हैं यहां के लोग, ये है अजीबोगरीब वजह!

जानवर भले ही हाथ पैरों पर न चल सकें लेकिन कुछ इंसान जानवरों की तरह हाथ और पैरों के बल चल रहे हैं. इस परिवार को पहले इंसानी विकास से अंजान बताया गया लेकिन बाद में इसके पीछे की असल वजह पता चल ही गई.

जानवरों की तरह हाथ और पैरों से चलते हैं यहां के लोग, ये है अजीबोगरीब वजह!
साइंस में इस बीमारी को जेनेटिक ब्रेन इम्पेयरमेंट और सेरिबेलर एन्टाक्सिया कहा गया है.

अक्सर हम जानवरों को चार पैरों पर चलते देखते हैं, जबकि इंसान दो पैरों पर ही चलता है. लेकिन क्या आपने कभी किसी इंसान को जानवरों की तरह हाथ और पैरों के बल चलते देखा है? तुर्की में एक ऐसा ही परिवार रहता है, जिनके पांच भाई-बहन जानवरों की तरह हाथ-पैरों पर चलते हैं. यह परिवार सालों तक दुनिया से कटकर रहा, जिसकी वजह से इन्हें “बैकवर्ड इवोल्यूशन” यानी पीछे लौटता हुआ मानव विकास भी कहा गया. इस परिवार की अजीबोगरीब हरकत की वजह से इन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनी है. ऑस्ट्रेलिया में बनी इस डॉक्यूमेंट्री में इस अनोखे 'उलास परिवार' के बारे में बताया गया है.

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जानवरों की तरह हाथ पैरों पर चलते हैं पांच भाई बहन 

हाथ और पैरों की तरह चलने वाला ये परिवार सालों तक दुनिया से कटा हुआ रहा. शायद इसलिए शुरुआत में तुर्की में इस परिवार को बैकवर्ड इवोल्यूशन कहा गया यानी पीछे लौटता इंसानी विकास. लेकिन वैज्ञानिक इस बात को मानने से इनकार करते रहे. 2005 में जब एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने एक तुर्की प्रोफेसर की अनपब्लिश्ड थ्योरी देखी तो उन्हें इस परिवार के बारे में पता चला.

इस थ्योरी में कहा गया था कि ये परिवार इंसानी विकास की सभ्यता से दूर रहा इसलिए जानवरों जैसा रहा. लेकिन इस थ्योरी को पढ़ने के बाद वैज्ञानिकों ने इस परिवार की खोज की और इस राज की तह तक गए.

इस तरह खुला जानवरों की तरह चलने का राज

वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद दावा किया कि हाथ पैरों पर जानवरों की तरह चलने वाला उलास परिवार दरअसल 'यूनर टैन सिंड्रोम' का शिकार है. ये एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जिसमें दिमाग ये सोचता है कि शरीर दो पैरों पर संतुलन बनाकर नहीं चल पाएगा. इसलिए इस सिंड्रोम से पीड़ित परिवार पैरों के साथ-साथ हाथों का सहारा लेकर चलता है.

साइंस में इस बीमारी को जेनेटिक ब्रेन इम्पेयरमेंट और सेरिबेलर एन्टाक्सिया कहा गया है. आपको बता दें कि इस परिवार के मुखिया कपल भी हाथ और पैरों से चलते थे. उनके 19 बच्चे हुए जिनमें पांच बच्चे इस सिंड्रोम का शिकार होकर हाथ और पैरों पर चलते हैं.

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