विज्ञापन
This Article is From Jun 16, 2024

Explainer : 90 से अधिक देशों ने यूक्रेन में शांति के लिए किया मंथन, क्या निकला सुलह का रास्ता? भारत ने रखा अपना पक्ष

Ukraine Peace Summit 2024 : यूक्रेन में शांति की स्थापना के लिए कई तरह के कूटनीतिक प्रयास चल रहे हैं. हालांकि, दो साल के बाद भी वहां संघर्ष जारी है. भारत दोनों पक्षों में शांति के लिए हर स्तर पर प्रयास और भागीदारी कर रहा है.

Explainer : 90 से अधिक देशों ने यूक्रेन में शांति के लिए किया मंथन, क्या निकला सुलह का रास्ता? भारत ने रखा अपना पक्ष
Ukraine Peace Summit 2024 : 90 से अधिक देशों ने यूक्रेन में शांति लाने के लिए बैठक की.

Ukraine Peace Summit 2024  : स्विट्जरलैंड में जुटे दुनिया के शक्तिशाली नेताओं ने यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता और युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस के साथ अंतिम वार्ता की आवश्यकता का समर्थन किया, लेकिन कैसे और कब के प्रमुख प्रश्नों को अनसुलझा छोड़ दिया. यह शिखर सम्मेलन 15-16 जून 2024 को स्विट्जरलैंड के बर्गेनस्टॉक में हुआ. यूक्रेन पर आक्रमण के दो साल से अधिक समय बाद 90 से अधिक देशों के नेताओं और शीर्ष अधिकारियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े यूरोपीय संघर्ष को हल करने के लिए समर्पित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के लिए स्विस पहाड़ी रिसॉर्ट में सप्ताहांत बिताया. हालांकि, AFP के अनुसार, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने इस आयोजन की कूटनीतिक "सफलता" की सराहना की, जो रूस के बिना हुआ, और कहा कि न्यायसंगत और स्थायी समाधान के साथ युद्ध को समाप्त करने की दृष्टि से दूसरे शांति शिखर सम्मेलन के लिए रास्ता खुला है. मगर उन्होंने एक समापन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि "रूस और उनका नेतृत्व न्यायसंगत शांति के लिए तैयार नहीं हैं. रूस बिना किसी इंतजार के कल भी हमारे साथ बातचीत शुरू कर सकता है. अगर वे हमारे कानूनी क्षेत्र छोड़ दें."

Latest and Breaking News on NDTV

शिखर सम्मेलन की अंतिम विज्ञप्ति में कहा गया, "शांति तक पहुंचने के लिए सभी पक्षों की भागीदारी और बातचीत की आवश्यकता होती है." इसका शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के विशाल बहुमत ने समर्थन किया. इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन सहित सभी देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता" के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की गई.  साथ ही कहा गया कि युद्ध में परमाणु हथियारों का कोई भी खतरा या उपयोग "अस्वीकार्य" है और खाद्य सुरक्षा को "हथियारबंद नहीं किया जाना चाहिए." इसमें युद्धबंदियों की पूर्ण अदला-बदली और "सभी निर्वासित और गैरकानूनी रूप से विस्थापित बच्चों" और गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिए गए अन्य यूक्रेनी नागरिकों की यूक्रेन वापसी का भी आग्रह किया गया. हालांकि, सभी उपस्थित लोगों ने संयुक्त विज्ञप्ति का समर्थन नहीं किया, भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात उन देशों में शामिल थे, जो इसका समर्थन करने वाले देशों की सूची में शामिल नहीं थे. शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे स्विस राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने स्वीकार किया, "आगे का रास्ता लंबा और चुनौतीपूर्ण है."

Latest and Breaking News on NDTV

रूस और उसके सहयोगी चीन ने इस शिखर सम्मेलन में शिरकत करने से इंकार कर दिया था. शुक्रवार को, पुतिन ने शांति वार्ता के आधार के रूप में कीव के प्रभावी आत्मसमर्पण की मांग की. साथ ही उन्होंने यूक्रेन को अपने दक्षिण और पूर्वी हिस्से से अपने सैनिकों को वापस बुलाने को भी कहा था मगर शिखर सम्मेलन में शिरकत करने वाले देशों ने उनकी मांग को व्यापक रूप से खारिज कर दिया. क्रेमलिन ने फिर भी रविवार को जोर देकर कहा कि जमीन पर सैन्य स्थिति देखते हुए यूक्रेन को पुतिन की मांगों पर "चिंतन" करना चाहिए. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "यह तभी संभव है, जब एक राजनेता अपने देश के हितों को अपने और अपने आकाओं के हितों से ऊपर रखता हो, तह वह इस तरह के प्रस्ताव पर विचार करेगा. सामने की स्थिति की वर्तमान गतिशीलता हमें स्पष्ट रूप से दिखाती है कि यूक्रेन के लिए स्थिति लगातार खराब होती जा रही है." रूस ने रविवार को दावा किया कि उसके सैनिकों ने अग्रिम पंक्ति में अपनी प्रगति जारी रखते हुए दक्षिणी यूक्रेन के ज़ाग्रीन गांव पर कब्जा कर लिया है.

क्या है भारत का पक्ष?

भारतीय विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने 15-16 जून 2024 को बर्गेनस्टॉक में स्विट्जरलैंड द्वारा आयोजित यूक्रेन में शांति पर शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन और समापन सत्रों में भाग लिया. हालांकि, भारत ने इस शिखर सम्मेलन से निकली किसी भी विज्ञप्ति या दस्तावेज से स्वयं को संबद्ध नहीं किया है. भारत की तरफ से कहा गया कि शिखर सम्मेलन और यूक्रेन के शांति फॉर्मूला पर आधारित पिछली एनएसए/राजनीतिक निदेशक-स्तरीय बैठकों में भारत की भागीदारी, बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की सुविधा के लिए हमारे निरंतर दृष्टिकोण के अनुरूप थी. हमारा मानना ​​है कि इस तरह के समाधान के लिए संघर्ष के दोनों पक्षों के बीच ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव की आवश्यकता होती है. इस संबंध में, भारत शीघ्र और स्थायी शांति लाने के लिए सभी ईमानदार प्रयासों में योगदान देने के लिए सभी हितधारकों के साथ-साथ दोनों पक्षों के साथ जुड़ा रहेगा.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com