नई दिल्ली:
रियो पृथ्वी सम्मेलन के संदर्भ में भारत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर वार्ता के संबंध में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती का आधार ‘समानता’ के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। पर्यावरण मंत्री जयंति नटराजन ने कहा, ‘भारत के लोग समझते हैं कि चाहे वैश्विक उद्देश्यों या जलवायु परिवर्तन की बात हो, चाहे रियो सम्मेलन ही क्यों न हो, इसका आधार समानता होना चाहिए।’
नटराजन की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डरबन शिखर सम्मेलन में नटराजन की ओर से अपनाए गए रुख का समर्थन किया था।
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नटराजन ने कहा कि मेरा दृढ़ मत है कि सतत विकास के माध्यम से बदलती हुई जरूरतों के संदर्भ में सफल पहल सामने आएगी जो समानता और लोक केंद्रित होगी। उन्होंने कहा, ‘हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि जलवायु और पर्यावरण हमारे ऊपर निर्भर नहीं है, बल्कि हम उनके ऊपर निर्भर है। जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हमें पर्यावरण और वैश्विक उद्देश्यों में सहभागी होना चाहिए।’
नटराजन की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डरबन शिखर सम्मेलन में नटराजन की ओर से अपनाए गए रुख का समर्थन किया था।
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नटराजन ने कहा कि मेरा दृढ़ मत है कि सतत विकास के माध्यम से बदलती हुई जरूरतों के संदर्भ में सफल पहल सामने आएगी जो समानता और लोक केंद्रित होगी। उन्होंने कहा, ‘हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि जलवायु और पर्यावरण हमारे ऊपर निर्भर नहीं है, बल्कि हम उनके ऊपर निर्भर है। जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हमें पर्यावरण और वैश्विक उद्देश्यों में सहभागी होना चाहिए।’
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