कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic)ने लाखों कामकाजी पेशेवरों को काम करने के एक नए तरीके में ढलने के लिए प्रेरित किया है. घर से काम करने की सुविधा के कारण वैश्विक कार्यबल के विशाल अनुपात की कार्य संस्कृति में महत्वपूर्ण बदलाव आया. अब ज्यादातर स्टाफ वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) की मांग कर रहे हैं. हालांकि, वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने वाली कंपनियों के आधे से अधिक बॉस अब उन पर कड़ी निगरानी रखना चाहते हैं. एक स्टडी में ये दावा किया गया है. स्टडी के मुताबिक, कंपनियों के 55 प्रतिशत मालिक ये चाहते हैं कि उन्हें इस बात की जानकारी हो कि उनके कर्मचारी कंप्यूटर का उपयोग करते हुए उनकी कंपनी के लिए कितना समय देते हैं.
चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल एंड डेवलपमेंट (CIPD) के एक सर्वे के अनुसार, लगभग 55% मालिकों का मानना है कि घर से काम करने वाले कर्मचारियों पर कड़ी निगरानी की जानी चाहिए. उनका कहना है कि प्रोडक्टिविटी की जांच करने के लिए उनकी निगरानी की जानी चाहिए. CIPD ने 2000 मालिकों से की बात चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल एंड डेवलपमेंट की ओर इस स्टडी के लिए घर से काम करने की सुविधा देने वाली कई कंपनियों के मालिकों से बात की.
कुल मिलाकर 2,000 से अधिक मालिकों के साथ बातचीत की थी. स्टडी में दावा किया गया है कि 55 प्रतिशत मालिक ऐसे थे, जो अपने कर्मचारियों के प्रति दिन लैपटॉप पर खर्च किए गए समय समेत काम से जुड़े अन्य डेटा को एकत्र करने के पक्ष में थे.
वर्क फ्राम होम को लेकर स्टडी के मुताबिक प्रबंधकों ने घर से काम करने वाले कर्मचारियों का ड्यूटी के दौरान डेटा एकत्र करना आवश्यक माना. इस डेटा से मतलब उनके कर्मचारियों के काम, कंप्यूटर पर दिया जाने वाला समय और अन्य प्रोग्रेस के कार्यों से संबंधित होगा.
स्टडी के अनुसार, 10 में से केवल तीन (28%) कंपनी मालिकों का कहना है कि उनकी कंपनी वर्क फ्रॉम होम कर्मचारियों की निगरानी के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है. वहीं, सीआईपीडी के सीनियर रिसर्च एडवाइजर हायफा मोहम्मदजैनी के अनुसार, हाइब्रिड और रिमोट वर्किंग में "कर्मचारी निगरानी के ट्रेंड पर बहस को हवा दी है.
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