वाशिंगटन:
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने भौतिक और खगोल विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण खोज की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्होंने आखिरकार गुरुत्वाकर्षी तरंगों का पता लगा लिया है, जिसकी भविष्यवाणी प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक सदी पहले ही कर दी थी।
ब्रह्मांड को समझने के नए रास्ते खुले
वैज्ञानिकों ने इस सफलता को उस क्षण से जोड़ा है, जब गैलीलियो ने ग्रहों को देखने के लिए दूरबीन का सहारा लिया था। इन तरंगों की खोज ने खगोलविदों को उत्साह से भर दिया है, क्योंकि इससे ब्रह्मांड को समझने के नए रास्ते खुल गए हैं। ये तरंगें ब्रह्मांड में भीषण टक्करों से उत्पन्न हुई थीं।
अनुसंधान में भारतीय संस्थान रहे शामिल
गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज के लिए महत्वपूर्ण परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों ने डाटा विश्लेषण सहित काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंस्टिट्यूट ऑफ प्लाजमा रिसर्च गांधीनगर, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए( पुणे और राजारमन सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलाजी इंदौर सहित कई संस्थान इस परियोजना से जुड़े थे।
गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज की घोषणा आईयूसीएए पुणे और वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में वैज्ञानिकों ने समानांतर रूप से की। भारत उन देशों में से भी एक है, जहां गुरुत्वाकषर्ण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है।
पीएम मोदी ने की भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना
उधर, इन तरंगों की खोज से संबंधित परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की है। उन्होंने ट्वीट किया, 'अत्यधिक गर्व है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इस चुनौतीपूर्ण खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।'
ब्रह्मांड को समझने के नए रास्ते खुले
वैज्ञानिकों ने इस सफलता को उस क्षण से जोड़ा है, जब गैलीलियो ने ग्रहों को देखने के लिए दूरबीन का सहारा लिया था। इन तरंगों की खोज ने खगोलविदों को उत्साह से भर दिया है, क्योंकि इससे ब्रह्मांड को समझने के नए रास्ते खुल गए हैं। ये तरंगें ब्रह्मांड में भीषण टक्करों से उत्पन्न हुई थीं।
अनुसंधान में भारतीय संस्थान रहे शामिल
गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज के लिए महत्वपूर्ण परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों ने डाटा विश्लेषण सहित काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंस्टिट्यूट ऑफ प्लाजमा रिसर्च गांधीनगर, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए( पुणे और राजारमन सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलाजी इंदौर सहित कई संस्थान इस परियोजना से जुड़े थे।
गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज की घोषणा आईयूसीएए पुणे और वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में वैज्ञानिकों ने समानांतर रूप से की। भारत उन देशों में से भी एक है, जहां गुरुत्वाकषर्ण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है।
पीएम मोदी ने की भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना
उधर, इन तरंगों की खोज से संबंधित परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की है। उन्होंने ट्वीट किया, 'अत्यधिक गर्व है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इस चुनौतीपूर्ण खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।'
Historic detection of gravitational waves opens up new frontier for understanding of universe!
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2016
Immensely proud that Indian scientists played an important role in this challenging quest.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2016
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
गुरुत्वाकर्षी तरंगों, सापेक्षता का सिद्धांत, ब्लैक होल, अल्बर्ट आइंस्टीन, ब्रह्मांड, गैलीलियो, Einstein's Theory Of Relativity, Black Holes, Gravitational Waves, Physicists