उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर उसकी राजधानी में ड्रोन उड़ाने का आरोप लगाया है, जिससे दोनों देशों में महीनों से चल रहा तनाव और बढ़ गया है. उत्तर कोरिया का आरोप है कि दक्षिण कोरिया की ओर से उड़ाए गए ड्रोन ने कथित तौर पर प्योंगयांग में प्रचार सामग्री फेंकी. यह सामग्री उत्तर कोरिया के शासन के खिलाफ बताई जा रही है. इसी वजह से उत्तर कोरिया ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताया. उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को धमकी दी है कि इस प्रकार की कार्रवाई से "सशस्त्र संघर्ष और यहां तक कि युद्ध" भी हो सकता है.
उत्तर कोरिया ने सीमा पर सैनिकों तैयार किया
दक्षिण कोरिया पर ऐसा आरोप लगाने के बाद प्योंगयांग ने कहा कि उसने सीमा सैनिकों को गोलीबारी के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है. बदले में सीमा पर से दक्षिण कोरिया कड़क तेवर अपनाते हुए कहा कि वह जवाब देने के लिए तैयार है, और चेतावनी दी कि यदि उसके नागरिकों की सुरक्षा को खतरा हुआ तो यह "उत्तर कोरियाई शासन के अंत" का संकेत होगा. इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों देशों में किस हद तक की तल्खी है.
लाखों युवा सैनिक बनने को तैयार
शुक्रवार की घटना के बाद से उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद आरोप-प्रत्यारोप के बाद से मामला शांत हो जाएगा, लेकिन मंगलवार को उत्तर कोरिया ने दो सड़कों के कुछ हिस्सों को धमाकों के साथ उड़ा दिया जो इसे दक्षिण कोरिया से जोड़ते थे. यानी दोनों देशों को जोड़ने वाली सड़क को बम से उड़ाकर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने संदेश दिया है कि ये मामला जल्दी शांत होने वाला नहीं है. बुधवार को उत्तर कोरिया की ओर से बताया गया है कि देश के 14 लाख युवा लोगों ने सेना में शामिल होने या वापस लौटने के लिए आवेदन किया है. इस बात से उत्तर कोरिया यह साबित कर रहा है कि उसके देश के लोग किस हद तक किम जोंग उन के शासन को पसंद करते हैं. साथ ही यह भी संदेश दिया है कि लोग उसके लिए अपनी जान की परवाह तक नहीं करते हैं.
बता दें कि जनवरी में उत्तर कोरिया के तानाशाह उन ने कहा था कि उसका दुश्मन नंबर वन दक्षिण कोरिया है. इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव चरम पर पहुंच गया है.
11 अक्टूबर की रात ड्रोन आने का आरोप
आपको याद दिला दें कि 11 अक्टूबर को उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने दक्षिण कोरिया पर दो सप्ताह के दौरान रात में प्योंगयांग के आकाश में ड्रोन भेजने का आरोप लगाया. आरोप यह भी लगाया गया है कि इन ड्रोन के जरिए जासूसी की गई और उत्तर कोरिया के इलाकों में भड़काऊ पर्चे गिराए गए. ये पर्चे उत्तर कोरिया के शासन के खिलाफ थे.
इस पूरे मामले में किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने सियोल को कथित ड्रोन दोबारा उड़ानें पर "भयानक परिणाम" भुगतने की चेतावनी दी है. बाद में यो जोंग ने कहा कि इस बात के "स्पष्ट सबूत" हैं कि कथित उकसावे के पीछे दक्षिण कोरिया के "सैन्य गैंगस्टर" थे.
इसके साथ ही उत्तर कोरिया की ओर से आकाश में उड़ रहे ड्रोन की धुंधली तस्वीरें जारी की गई. इसके अलावा प्योंगयोंग की ओर से कथित तौर पर पर्चे दिखाने वाली तस्वीरें भी जारी की गई. उत्तर कोरिया के इन दावों को किसी भी स्तर पर स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है.
उधर, दक्षिण कोरिया ने पहले तो उत्तर में ड्रोन उड़ाने से इनकार किया था, लेकिन उसके संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ ने बाद में कहा कि वह प्योंगयांग के आरोप की न तो पुष्टि कर सकता है और न ही इनकार कर सकता है. यहां से पूरा मामला और गंभीर हो गया.
बता दें कि दक्षिण कोरिया में स्थानीय स्तर पर यह कहा जा रहा है कि ड्रोन कार्यकर्ताओं द्वारा उड़ाए गए थे, जो गुब्बारों का उपयोग करके वही सामग्री उत्तर में भेज रहे थे.
फ्री नॉर्थ कोरिया मूवमेंट कोएलिशन के नेता पार्क सांग-हक ने ड्रोन घुसपैठ के बारे में उत्तर कोरिया के दावे का खंडन करते हुए कहा, "हमने उत्तर कोरिया को ड्रोन नहीं भेजे."
किम जोंग उन का एक्शन
उधर, उत्तर की आधिकारिक समाचार एजेंसी केसीएनए ने कहा कि किम ने जानकारी दी कि ऐसी घटना के बाद किम जोंग उन तुरंत एक्शन मोड में आ गए. उन्होंने सेना प्रमुख, सैन्य प्रमुखों, राज्य सुरक्षा और रक्षा मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की. जिसके बाद किम ने "तत्काल सैन्य कार्रवाई की दिशा" निर्धारित की और अधिकारियों को "युद्ध निवारक के संचालन और आत्मरक्षा के अधिकार के अभ्यास" का काम सौंप दिया. इसके बाद मंगलवार को दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया को जोड़ने वाली सड़कों को बम धमाकों के साथ उड़ा दिया. यह दोनों विस्फोट ग्योंगुई और डोंगहे सड़कों पर हुए. इन धमाकों के साथ उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को स्पष्ट संदेश दे दिया. गौरतलब है कि दोनों सड़कें लंबे समय से बंद हैं, उन्हें नष्ट करने से यह संदेश जाता है कि किम दक्षिण के साथ बातचीत नहीं करना चाहते हैं.
दक्षिण कोरिया का सधी प्रतिक्रिया
इसके बाद दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के जनसंपर्क अधिकारी ली सुंग-जून ने अपने प्रतिक्रिया में इस घटना को मामूली बताते हुए कहा कि उत्तर कोरिया जोड़ने वाली सड़कों पर छोटे विस्फोट जैसे "छोटे पैमाने पर उकसावे" वाले काम कर सकता है.
दक्षिण कोरिया का कहना है कि उसने अपने सीमाई इलाकों पर निगरानी बढ़ा दी है. साथ ही सीमाई प्रांत ग्योंगगी की सरकार ने भी लोगों को सीमा पार प्रचार सामग्री भेजने से रोकने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है.
ग्योंगगी प्रांत के उप गवर्नर किम सुंग-जोंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "ग्योंगगी प्रांत ने निर्धारित किया है कि उत्तर कोरिया की ओर पर्चे बिखेरने का कार्य एक बेहद खतरनाक कार्य है जो सैन्य संघर्ष को जन्म दे सकता है."
किम ने कहा, ऐसे पर्चों के बिखरने से "हमारे निवासियों के जीवन और सुरक्षा" को खतरा हो सकता है, क्योंकि "अंतर-कोरियाई संबंध तेजी से बिगड़ रहे हैं."
दुनिया के लिए क्या संदेश
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि ड्रोन के मामले को तूल देकर उत्तर कोरिया ने आंतरिक समर्थन हासिल कर लिया. बाहरी खतरे को दिखाकर लोगों की निष्ठा शासन प्रति करने का मौका तानाशाह को मिल गया है. खास बात यह है कि उत्तर कोरिया की ओर से दक्षिण कोरिया को मिलाने की बात कही जाती रही है.
क्या युद्ध की कोई संभावना बन रही है
जानकारों का कहना है कि फिलहाल युद्ध की कोई संभावना नहीं है. इस प्रकार का तनाव उत्तर कोरिया को लोगों के मन में शासन के प्रति निष्ठा बढ़ाने का मौका होता है. किसी प्रकार से बड़े स्तर पर युद्ध कोई भला तो नहीं कर सकता है. दोनों ही देशों में जुबानी जंग के ज्यादा आसार हैं. दोनों ही देशों में किसी भी प्रकार का शांति समझौता नहीं है. दोनों ही देश सैन्य शक्ति के रूप में जाने जाते हैं. याद दिला दें कि उत्तर कोरिया रूस और चीन के करीब है और दक्षिण कोरिया की करीबी अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ है. तनाव बढ़ने पर विश्व पर भी इसका असर जरूर पड़ेगा.
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