
- अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्राजील पर 50% टैरिफ लगाने का आदेश दिया है जो राजनीतिक कारणों से प्रेरित है.
- ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने अमेरिका के इस कदम का विरोध करते हुए देश की संप्रभुता की रक्षा का संकल्प लिया है.
- ट्रंप और बोल्सोनारो की दोस्ती राजनीतिक है जबकि लूला ने अमेरिका की आर्थिक शक्ति के बावजूद झुकने से इनकार किया.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राजील के खिलाफ अपनी नाराजगी को और तीखा कर दिया है. अमेरिका अपने विरोधी कहे जाने वाले चीन के खिलाफ जो व्यवहार नहीं करता, वो अपने पार्टनर माने जाने वाले ब्राजील के साथ कर रहा है. ट्रंप ने ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का आदेश दे दिया है. ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो पर तख्तापलट की कोशिश के आरोपों पर मुकदमा चल रहा है और ट्रंप इससे नाराज हैं. अब दूसरे देश की न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने की ऐसी तलब मची है कि ट्रंप अपने दोस्त बोल्सोनारो को बचाने के लिए टैरिफ वाला हथकंडा अपना रहे हैं. इतना ही नहीं बोल्सोनारो का केस सुनने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज अलेक्जेंड्रे डी मोरेस पर भी उन्होंने प्रतिबंधों को बढ़ा दिया है.
लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने कहा है कि "निश्चिंत रहें कि हम इसे अत्यंत गंभीरता से ले रहे हैं. लेकिन गंभीरता के लिए झुकने की जरूरत नहीं होती… मैं हर किसी के साथ बहुत सम्मान से पेश आता हूं. लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरे साथ भी सम्मान से व्यवहार किया जाए."
ब्राजील पर एक्शन के पीछे व्यापार नहीं, राजनीति वजह
50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा दिखाती है कि ट्रंप अपने दोस्त को बचाने के लिए ब्राजील को दंडित करने की हद तक उतर आए हैं. वो अमेरिका की आर्थिक ताकत का इस्तेमाल करने की ब्राजील को दी गई अपनी धमकी को और पैना कर रहे हैं. ट्रंप ने दावा किया है कि ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, उनका “विच हंट” किया जा रहा है.
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने इस कदम पर पलटवार करते हुए कहा कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा घोषित इन कदमों के सामने खड़े होकर ब्राजील के लोगों की संप्रभुता की रक्षा करेंगे."
ट्रंप के इन कदमों से सुप्रीम कोर्ट के जज मोरेस पर नाटकीय रूप से दबाव बढ़ गया. मोरेस दुष्प्रचार के मुद्दे पर बोल्सोनारो और ब्राजील के अन्य पावरफुर चेहरों के साथ बार-बार टकराव में हैं, वो फार-राइट अल्ट्राविंग के लिए एक शक्तिशाली कांटा बनकर उभरे हैं.
व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि ट्रंप के कार्यकारी आदेश के जरिए ब्राजीलियाई उत्पादों पर 40 प्रतिशत टैरिफ जोड़ा गया, जिससे कुल व्यापार शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है. आदेश में कहा गया है कि नए टैरिफ सात दिनों तक लागू नहीं होंगे, और ब्राजील के कुछ प्रमुख निर्यातों पर को छूट दी गई है - जिसमें विमान, संतरे का जूस और पल्प, ब्राजील नट्स और कुछ लोहा, स्टील और एल्यूमीनियम उत्पाद शामिल हैं.
व्हाइट हाउस ने टैरिफ की घोषणा करते हुए एक फैक्ट शीट में कहा, "ब्राजील सरकार का (बोल्सोनारो) और उनके हजारों समर्थकों का राजनीतिक रूप से प्रेरित उत्पीड़न, धमकी, उत्पीड़न, सेंसरशिप और मुकदमा गंभीर मानवाधिकारों का हनन है, जिसने ब्राजील में कानून के शासन को कमजोर कर दिया है." इसमें ब्राजील की "अमेरिकी कंपनियों, अमेरिकी व्यक्तियों के मुक्त भाषण अधिकारों, अमेरिकी विदेश नीति और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली असामान्य और असाधारण नीतियों और कार्यों" का भी हवाला दिया गया और मोरेस का नाम लिया गया.
लेकिन लूला ने झुकने से किया इनकार
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने बुधवार को राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ और प्रतिबंधों के सामने अपने देश की "संप्रभुता" की रक्षा करने की कसम खाई. लूला ने ब्रासीलिया में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, "अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा घोषित उपायों के सामने ब्राजील के लोगों की संप्रभुता की रक्षा के लिए मैं एक बैठक में भाग लूंगा."
इससे पहले लूला ने 13 साल बाद मंगलवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स को अपना पहला इंटरव्यू भी दिया. वजह थी कि वह अमेरिकी लोगों से ट्रंप के प्रति अपनी निराशा के बारे में बात करना चाहते थे. इंटरव्यू में लूला ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ब्राजील की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "ब्राजील किसी भी बिंदु पर इस तरह से बातचीत नहीं करेगा जैसे कि वह एक बड़े देश के सामने एक छोटा देश हो… हम अमेरिका की आर्थिक शक्ति को जानते हैं; हम अमेरिका की सैन्य शक्ति को पहचानते हैं; हम अमेरिका के तकनीकी आकार को पहचानते हैं.” उन्होंने कहा, ''लेकिन इससे हमें डर नहीं लगता… यह हमें चिंतित करता है.''
ट्रंप और बोल्सोनारो की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. दोनों की राजनीति करने का स्टाइळ बिल्कुल एक जैसा है. दोनों राष्ट्रपति के पद पर रहते अगला चुनाव हार गए थे और फिर दोनों ने ही हार मानने से इनकार कर दिया था. दोनों के मामलों में ही उनके समर्थकों ने अपने-अपने देश की राजधानी की सबसे अहम इमारतों पर धावा बोला था ताकि असल में चुनाव जीतने वाले को राष्ट्रपति पद संभालने से रोका जा सके. हालांकि आज ट्रंप एक और चुनाव जीतकर वापस राष्ट्रपति बने हैं जबकि बोल्सोनारो तख्तापलट की कोशिश के आरोप में जेल में हैं, मुकदमे का सामना कर रहे हैं.
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