
अमेरिका ने खुद को प्रमुख वैश्विक जलवायु असेसमेंट से बाहर कर लिया है. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी वैज्ञानिकों को यूएन क्लाइमेट चेंज असेसमेंट में शामिल होने से रोकने का फैसला लिया है, ये जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है. रॉयटर्स ने सूत्रों ने हवाले से बताया कि अमेरिका के इस कदम के पीछे जलवायु परिवर्तन शमन कोशिशें और बहुपक्षीय सहयोग शामिल है.
ट्रंप प्रशासन के इस आदेश का असर US ग्लोबल चेंज रिसर्च प्रोग्राम और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के कर्मचारियों पर पड़ेगा. ये कर्मचारी जलवायु परिवर्तन पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल के एक अहम वर्किंग ग्रुप के साथ जुड़े हुए हैं.
IPCC की बैठक में शामिल नहीं होगा अमेरिका
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप के इस फैसले का मतलब ये है कि अमेरिका अगले हफ्ते चीन के हांग्जो में होने वाली IPCC की बैठक में शामिल नहीं होगा. ये बैठक सातवें वर्ल्ड क्लाइमेट असेसमेंट की प्लानिंग के लिए होनी है. हालांकि व्हाइट हाउस ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है. वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने भी इस पर कुछ भी नहीं कहा.
बता दें कि IPCC के पास बहुत सी शक्तियां हैं. यूनियन ऑफ कंसर्न्ड साइंटिस्ट्स के डेल्टा मेरनर ने कहा कि अमेरिका का इस प्रक्रिया से पूरी तरह से अलग होना चिंताजनक है. हालांकि अमेरिकी वैज्ञानिक IPCC की क्लाइमेट रिसर्च में शामिल रहेंगे और इस पर काम करना जारी रखेंगे. लेकिन IPCC प्रोसेस में अमेरिका की गैरमौजूदगी जरूर खलेगी.
चीन को US से बाहर होने की जानकारी नहीं
बता दें कि चीन के हांग्जो में 24-28 फरवरी को होने वाली बैठक में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं. इन फैसलों का असर अगले क्लाइमेट असेसमेंट के रिजल्ट पर देखा जा सकता है. जिसमें कार्बन हटाने और कैप्चर तकनीक की भूमिका भी शामिल है. हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि उनको अमेरिका के बाहर होने की कोई जानकारी नहीं है.
बता दें कि अमेरिका मलेशिया के साथ जलवायु शमन या ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के तरीकों पर एक कार्य समूह का सह-अध्यक्ष है. अमेरिका ने आईपीसीसी को सपोर्ट करने के लिए करीब 1.5 मिलियन डॉलर का योगदान देने का वादा भी किया था. हालांकि वह रकम अब तक नहीं दी गई है.
US के IPCC से हटने पर हैरानी नहीं
अमेरिका का IPCC से हटना जलवायु वैज्ञानिकों के लिए हैरानी की बात नहीं है, क्यों कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर कर लिया है और जलवायु पर अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को भी खत्म कर लिया है.
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