
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रस्ताव पर सहमत होने के बाद इजराइल और हमास ने सोमवार को बंधकों और कैदियों की अदला-बदली की. यह ट्रंप के शांति प्रस्ताव का पहला कदम था. इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि अमेरिका और कुछ अरब देशों की मध्यस्थता से हुआ यह समझौता दो साल से जारी उस भीषण युद्ध का अंत करेगा, जिसमें अबतक हजारों लोग मारे गए हैं. इस युद्ध ने गाजा को मलबे के ढेर में बदल दिया है. दो साल चले युद्ध में गाजा शहर मलबे में तब्दील हो चुका है. उसकी अर्थव्यवस्था बर्बाद है. उसके फिर से उठ खड़ा होने में सालों का समय लग सकता है. युद्ध भले ही खत्म हो जाए, गाजा के लोगों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपनी जमीन और समाज को फिर से बसाने की है. ट्रंप के शांति प्रस्ताव के अमल में आने के बाद सबसे बड़ा सवाल गाजा के भविष्य को लेकर ही पूछे जा रहे हैं.
गाजा के अनसुलझे सवाल
हमास के निरस्त्रीकरण, गाजा पर शासन और फलस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता देने के मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं. इस वजह से इस युद्ध विराम समझौते के भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. कम से कम इजरायल के अतीत को देखते हुए. इजरायल ने अबतक अधिकांश समझौतों को तोड़ा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते का जश्न मनाने के लिए पश्चिम एशिया की यात्रा की. उन्होंने इजरायली संसद क्नेसेट को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अब समय है कि इस युद्ध की जीत को शांति और समृद्धि में बदला जाए. वहीं इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संसद में कहा,''यह समझौता हमारे सभी लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए युद्ध को समाप्त करता है.'' इजरायल के बाद वो मिस्र गए. वहां उन्होंने दुनिया के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की. इसका मकसद इस समझौते के अगले चरणों को लागू करना है. मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित शांति सम्मेलन में ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी और दुनिया के अन्य देशों के नेताओं ने गाजा के भविष्य पर चर्चा की.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में कहा कि यह समझौता हमारे सभी लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए युद्ध को खत्म करता है.
कौन करेगा गाजा पर शासन
ट्रंप की शांति योजना के मुताबिक, गाजा का विसैन्यीकरण किया जाएगा. वहां के सारे 'सैन्य, आतंकवादी और आक्रामक बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया जाएगा. योजना के मुताबिक गाजा पर पहले फिलस्तीनी टेक्नोक्रेट्स की एक अस्थायी समिति शासन करेगी. इसकी देखरेख एक 'पीस बोर्ड' करेगा. इसमें सात से 10 तक सदस्य हो सकते हैं. इसके कुछ सदस्यों को इसके सदस्य देश नामित करेंगे. वहीं इसमें एक फिलस्तीनी और संयुक्त राष्ट्र का एक सदस्य होगा. इस बोर्ड के अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रंप होंगे. इसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल होंगे.
बाद में गाजा पट्टी का शासन बेस्ट बैंक पर शासन कर रहे फिलस्तीनी प्राधिकरण को सौंप दिया जाएगा. इसके प्रमुख महमूद अब्बास हैं. इसमें यह भी है कि अगर हमास के लड़ाके शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध होंगे तो उन्हें माफी दी जाएगी. उन्हें किसी दूसरे देश में सुरक्षित जाने की भी इजाजत दे दी जाएगी. लेकिन इसके बाद से ही गाजा के भविष्य को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए. कहा जाने लगा कि चुनाव जीतने के बाद 2006 से गाजा पर शासन कर रहा हमास इतनी आसानी से उसे अपने हाथ से निकल जाने देगा.

इजरायल की कैद से रिहा हुए फिलस्तीनी कैदी गाजा में हथियार थामे हुए.
अब तक गाजा पर शासन करने वाले हमास ने 2006 में चुनाव जीता था. इसके बाद उसने गाजा से फतह को उखाड़ फेंका था. वह भी तब जब अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने हमास को आतंकी संगठन बताते हुए फतह को मान्यता दी थी. अब कई विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि इजरायल कुछ निर्वासित फतह नेताओं को गाजा लौटने की इजाजत दे सकता है. इससे वहां हमास और फतह में संघर्ष बढ़ सकता है. फतह अभी बेस्ट बैंक पर शासन करता है. फिलस्तीनी प्राधिकरण पर भी उसी का नियंत्रण है.
मानसिक तनाव
गाजा में पिछले दो साल चले युद्ध ने लोगों के मन पर घहरा घाव किया है. यह घाव कभी भर पायगा या नहीं, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. गाजा वासी मानसिक सदमे से गुजर रहे हैं. हालात इतने खराब थे कि लोगों को अपने प्रियजनों की मौत का शोक मनाने का भी समय नहीं मिला. गाजा के अधिकांश बच्चे डरावने सपनों, उदासी और नींद न आने की समस्या का सामना कर रहे हैं. आंकडों के मुताबिक गाजा में कम से कम 17 हजार ऐसे बच्चे हैं, जिनके या तो माता-पिता नहीं हैं या माता-पिता में से कोई एक नहीं है. ऐसे बच्चों के भविष्य को लेकर भी सवाल हैं. इन बच्चों का भविष्य इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वे अपने दुख को कितना सहन कर सकते हैं, बल्कि इस पर कि उनके आस-पास का समाज कैसा रहेगा. लेकिन गाजा का तो पूरा समाज ही नष्ट हो चुका है. इसलिए गाजा का पुनर्निर्माण बहुत जरूरी है.
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