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इधर गाजा में लागू ट्रंप का पीस प्लान... उधर 24 घंटे में नोबेल का ऐलान, क्या पासा पलटेगा?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि इजरायल और हमास ने उनके शांति प्रस्ताव के पहले चरण पर सहमति जता दी है. ट्रंप ने इसे "अरब और मुस्लिम देशों, इजरायल, आसपास के सभी देशों और अमेरिका के लिए एक महान दिन" बताया.

इधर गाजा में लागू ट्रंप का पीस प्लान... उधर 24 घंटे में नोबेल का ऐलान, क्या पासा पलटेगा?
डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल मिलना लगभग असंभव क्यों?
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इजरायल और हमास उनकी गाजा शांति योजना के पहले चरण पर सहमत हो गए हैं
  • ट्रंप ने इसे दो साल से चले आ रहे युद्ध को खत्म करने के लिए ऐतिहासिक और अभूतपूर्व कदम बताया है
  • नोबेल शांति पुरस्कार का विजेता पहले ही चुन लिया गया होगा, जिसका निर्णय अक्टूबर की शुरुआत में लिया जाता है
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (भारतीय समयानुसार) को कहा कि इजरायल और हमास उनकी गाजा शांति योजना के पहले चरण पर सहमत हो गए हैं, दोनों ने इसपर साइन कर दिया है. ट्रंप ने इसे दो साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए एक "ऐतिहासिक और अभूतपूर्व" कदम बताया है. अब फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा, जबकि इजरायल अपनी सेना को एक सहमत लाइन पर पीछे बुला लेगा. खास बात यह है कि ट्रंप ने जब यह ऐलान किया है, उसके एक दिन बाद यानी शुक्रवार को ही शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होनी है. 

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि खुद को बार बार शांतिदूत दिखाने वाले ट्रंप की दिली ख्वाहिश है कि उन्हें किसी तरह शांति का नोबेल मिल जाए. कई बार वो इसके लिए झूठे दावे करते हैं जैसे उन्होंने भारत और पाकिस्तान के सीजफायर कराने का झूठा श्रेय खुद को दर्जनों बार दिया है. सवाल है कि क्या गाजा में शांति के सफर में पहला पड़ाव पार करने के बाद ट्रंप को उनकी अहम भूमिका के लिए इस बार का नोबेल मिलेगा?

क्या एक दिन पहले ट्रंप ने पलटा पासा?

अब पासा पलटना बहुत मुश्किल है. पहली बात तो अभी गाजा में शांति आई नहीं है, न सीजफायर पर मुहर लगी है. ट्रंप के ओवरऑल शांति प्लान के पहले फेज पर सहमति भर बनी है. अब देखना होगा कि हमास बंधकों को रिहा करने में और इजरायल अपनी सेना को पीछे हटाने में कितना वक्त लेता है. माना जा रहा है कि इसमें 48 घंटे तक का समय लग सकता है. यहां यह भी जानना जरूरी है कि शांति के नोबेल विजेता का चुनाव करने वाली नॉर्वेजियन नोबेल समिति अक्टूबर की शुरूआत में ही बहुमत के माध्यम से अपना निर्णय लेती है. उसका निर्णय अंतिम है और उसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती. यानी अबतक तो उसने अपना विजेता चुन भी लिया होगा. यानी ट्रंप के जीतने की जितनी संभावना कल थी, वो आज भी उतनी ही है- जो कि बहुत कम है.

अब आप सवाल कर सकते हैं कि ट्रंप के नोबेल जीतने की संभावना कम क्यों मानी जा रही है. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार ओस्लो के पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की प्रमुख नीना ग्रेगर ने कहा, "गाजा के लिए शांति स्थापित करने की कोशिश के अलावा, हमने ऐसी नीतियां देखी हैं जो वास्तव में (अल्फ्रेड) नोबेल के इरादों और वसीयत में लिखी गई बातों के खिलाफ जाती हैं, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सहयोग, देशों के बीच भाईचारा और हथियारों को कम करने को बढ़ावा देने के लिए."

विशेषज्ञों का अनुमान है कि वह इस पुरस्कार के लिए समिति की पसंद नहीं होंगे - कम से कम इस साल तो नहीं. न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक्सपर्ट स्वीडिश प्रोफेसर पीटर वालेंस्टीन ने बताया, "नहीं, इस साल ट्रंप को नहीं मिलेगा होंगे… लेकिन शायद अगले साल तक? तब तक गाजा संकट सहित उनकी तमाम पहलों पर धूल जम चुकी होगी."

ट्रंप की जगह शांति का नोबेल किसे मिल सकता है, यह जानने के लिए आप नीचे दिए आर्टिकल पर क्लिक कीजिए और एक्सप्लेनर पढ़िए.

यह भी पढ़ें: ट्रंप का चांस कम! तो फिर किसे मिलेगा शांति का नोबेल पुरस्कार?

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