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एक दिवाली शंघाई वाली! भारतीय दूतावास ने चीन के शहर में यूं मनाया रोशनी का 'ग्लोबल' त्योहार

Diwali 2025 Celebration: पूर्वी चीन के शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास और इंडियन एसोसिएशन शंघाई ने संयुक्त रूप से क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े दिवाली उत्सव का आयोजन किया.

एक दिवाली शंघाई वाली! भारतीय दूतावास ने चीन के शहर में यूं मनाया रोशनी का 'ग्लोबल' त्योहार
  • दिवाली अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक होने के साथ अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती है
  • शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास और इंडियन एसोसिएशन ने क्षेत्र में सबसे बड़े दिवाली उत्सव का सफल आयोजन किया
  • इस उत्सव में आठ सौ से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें भारतीय प्रवासी, स्थानीय चीनी नागरिक और वाणिज्यिक प्रतिनिधि थे
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दिवाली यानी रोशनी का त्योहार. आज पूरा भारत ही नहीं दुनिया भर में बसे भारतीय मूल के लोग इस पर्व को खुशी और उत्साह के साथ मना रहे हैं. यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और इसका अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व है. दिवाली सद्भाव, नई शुरुआत और आशा का संदेश देती है, क्योंकि परिवार और समुदाय खुशी में एक साथ आते हैं. दीये जलाकर, प्रार्थनाएं करके और मिठाइयां बांटकर मनाया जाने वाला यह त्योहार अब भारत तक ही सीमित नहीं है, अब यह दुनिया भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसका एक ज्वलंत उदाहरण पूर्वी चीन के शंघाई में देखने को मिला, जहां भारतीय वाणिज्य दूतावास और इंडियन एसोसिएशन शंघाई ने संयुक्त रूप से क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े दिवाली उत्सव का आयोजन किया.

इस कार्यक्रम का नेतृत्व महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने किया. इस भव्य उत्सव में 800 से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें भारतीय प्रवासी, स्थानीय चीनी नागरिक और विभिन्न देशों के वाणिज्यिक प्रतिनिधि शामिल थे.

इस उत्सव की शुरुआत लक्ष्मी पूजा के साथ हुई, जिसके बाद मनमोहक परफॉर्मेंस हुए, जिसमें भारतीय विरासत की समृद्धि को दिखाया गया. प्रतीक माथुर ने अपने संबोधन में कहा कि दिवाली जैसे त्योहार न केवल भारतीय प्रवासियों को जोड़ते हैं बल्कि भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक समझ और सहयोग को भी मजबूत करते हैं.

इस मौके पर परोसे गए भारतीय व्यंजनों को विदेशी मेहमानों ने खास तौर पर सराहा. इस कार्यक्रम ने न केवल दुनिया को रोशनी से रोशन किया बल्कि भारत-चीन संबंधों और प्रवासी भारतीयों के बीच सांस्कृतिक संबंधों में नई गहराई भी जोड़ी. अमावस्या की रात, जिसे अमावस्या की रात भी कहा जाता है, दिवाली के दौरान विशेष आध्यात्मिक महत्व रखती है. दिवाली की धूम इस अंधेरी रात को जगमग कर रही थी, लोगों को रास्ता दिखा रही थी.

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