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क्या होती हैं UNESCO की अमूर्त धरोहर? दीपावली के अलावा भारत के ये त्योहार भी हैं शामिल- पूरी लिस्ट

Intangible Heritage Of India List: दीपावली को यूनेस्को की तरफ से अमूर्त धरोहरों की लिस्ट में डाला गया है. इससे पहले भी इस लिस्ट में कई भारतीय त्योहारों और पारंपरिक चीजों को शामिल किया गया है.

क्या होती हैं UNESCO की अमूर्त धरोहर? दीपावली के अलावा भारत के ये त्योहार भी हैं शामिल- पूरी लिस्ट
अमूर्त धरोहर क्या होती हैं

Intangible Heritage List: हर साल की तरह इस साल भी यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन यानी UNESCO  की तरफ से भारत के एक पर्व को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया है. इस बार यूनेस्को ने दीपावली के त्योहार को अमूर्त धरोहर घोषित किया है. हालांकि ये पहली बार नहीं है कि यूनेस्को की तरफ से ऐसा किया गया हो, इससे पहले कई चीजों को ये टैग दिया जा चुका है. आइए जानते हैं कि ये अमूर्त धरोहर क्या होती हैं और अब तक यूनेस्को की तरफ से किन भारतीय चीजों को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया है. 

क्या होती हैं अमूर्त धरोहर?

अमूर्त धरोहर को अंग्रेजी में Intangible Cultural Heritage कहा जाता है. किसी भी देश की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान देने के लिए यूनेस्को की तरफ से इन्हें अमूर्त धरोहरों की लिस्ट में डाला जाता है. इसमें सिर्फ स्मारक या कोई वस्तु शामिल नहीं होती है, बल्कि पूर्वजों से मिली विरासत और कई पौराणिक परंपराएं भी शामिल हो सकती हैं. इसके अलावा कला, समाजिक प्रथाएं, अनुष्ठान और त्योहार भी इसमें शामिल होते हैं. बढ़ते हुए वैश्वीकरण के दौर में सांस्कृतिक विविधता को बचाए रखने के लिए यूनेस्को की तरफ से ये काम किया जाता है. 

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ये हैं भारत की अमूर्त धरोहर

  • साल 2008 में सबसे पहले केरल की प्राचीन कुटियाट्टम संस्कृत नाट्य शैली को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया. इसके साथ ही वेदों के उच्चारण और रामलीला मंचन को भी अमूर्त धरोहर बनाया गया. 
  • साल 2009 में उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र का धार्मिक त्योहार अमूर्त धरोहर घोषित हुआ. भूमियाल देवता को समर्पित ये त्योहार आज भी धूमधाम से मनाया जाता है. 
  • साल 2010 में स्थानीय लोककलाओं पर आधारित छाऊ नृत्य, राजस्थान के पारंपरिक कालबेलिया नृत्य और केरल के डांस ड्रामा मुडियेट्टू को इस लिस्ट में शामिल किया गया. 
  • 2012 में लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार भी अमूर्त धरोहर घोषित हुआ. 
  • 2013 में मणिपुरी नाट्य संकीर्तन को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया. 
  • 2014 में ट्रेडिशनल तांबे और पीतल की कारीगरी को इसमें शामिल किया गया.
  • 2016 में यूनेस्को ने योग को इस लिस्ट में शामिल किया. 
  • 2017 में भारत में हर 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया. 
  • 2021 में कोलकाता की दुर्गा पूजा को इस लिस्ट में शामिल किया गया. 
  • 2023 में गुजरात के गरबा को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया. 
  • 2024 में पारसी त्योहार नवरोज को अमूर्त धरोहर की लिस्ट में डाला गया. 
  • 2025 में अब भारतीय पर्व दीपावली को अमूर्त धरोहर घोषित किया गया है. 

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