डेनमार्क ने मंगलवार को ऐलान किया है कि वह कोविड-19 वैक्सीन AstraZeneca के उपयोग को पूरी तरह से रोक देगा. साइड इफेक्ट के संदेह के चलते AstraZeneca वैक्सीन पर रोक लगाने वाला डेनमार्क, यूरोप का पहला देश है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO और यूरोपीय मेडिसिन्स की नियामक इकाई की ओर से वैक्सीन के पक्ष में राय जताए जाने के बाद भी डेनमार्क ने यह फैसला किया है. हेल्थ अथॉरिटी डायरेक्टर सोरेन ब्रोस्ट्रॉम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'डेनमार्क का टीकाकरण अभियान अब AstraZeneca वैक्सीन के बिना आगे बढ़ेगा.'
दिल्ली में 24 घंटों में कोरोना के 17000 से ज्यादा मामले, एक दिन में अब तक का सबसे बड़ा उछाल
डेनमार्क यूरोप का पहला देश था जिसने अपने टीकाकरण प्रोग्राम से AstraZeneca वैक्सीन के उपयोग सस्पेंड किया था. वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग की कुछ शिकायतों के बाद यह फैसला लिया गया था. ब्लड क्लॉटिंग के कुछ मामलों के बाद डेनमार्क ने एस्ट्राजेनेका के इस्तेमाल पर सबसे पहले रोक लगाई थी. डेनमार्क के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी घोषणा करते हुए कहा था कि ऐहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है. अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है कि वैक्सीन और रक्त के थक्के जमने की बीच कोई संबंध है. बाद में फ्रांस, नॉर्वे और जर्मनी सहित करीब एक दर्जन देशों ने AstraZeneca वैक्सीन के उपयोग को अस्थायी तौर पर सस्पेंड किया था.
छत्तीसगढ़ के रायपुर में कोरोना से बिगड़ते हालात, ट्रकों में रख श्मशान घाट ले जाए जा रहे शव
हालांकि यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) की ओर वे वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बताए जाने के बाद ज्यादातर देशों ने इस वैक्सीन का फिर से उपयोग करना प्रारंभ कर दिया था. हालांकि डेनमार्क ने AstraZeneca का उपयोग बंद ही रखा था और इस संबंध में अपनी ओर से जांच की थी. डेनमार्क में 14 हजार से अधिक लोगों को टीका लगाए जाने के बाद Thrombosis के दो केसों को इस वैक्सीन के साथ जोड़ा गया था, इसमें से एक केस गंभीर किस्म था बताया गया था. 58 लाख की आबाद वाली डेनमार्क में अब तक 8 फीसदी लोगों का पूरी तरह कोविड-19 वैक्सीनेशन हो चुका है जबकि 17 फीसदी को टीके का पहला डोज लगा है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं