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अंतरिक्षयान कैसिनी हाल में शनि ग्रह के चंद्रमा एनसेलाडस के पास से गुज़रा
कैसिनी ने एनसेलाडस पर मॉलीक्यूलर हाइड्रोजन का सुराग पाया
इससे संकेत मिलते हैं कि वहां समुद्र की गहराई में जीवनयोग्य हालात संभव हैं
'वाशिंगटन पोस्ट' में प्रकाशित समाचार के अनुसार, समुद्र की गहराई में अजीबोगरीब जीवों के मिलने का उदाहरण हासिल करने के लिए हमें बहुत पीछे जाने की ज़रूरत नहीं है, और सिर्फ '70 के दशक तक की बातें और खोजें याद करनी पड़ेंगी... इसी दशक के दौरान समुद्र की तलहटी में मानव को ट्यूबवर्म मिले थे, जो उस समय के विज्ञान के अनुसार, समुद्रतल से 8,000 फुट की गहराई में हो ही नहीं सकते थे...
इक्वाडोर के समुद्रतट से लगभग 400 मील की दूरी पर भूविज्ञानियों का एक दल प्रशांत महासागर की गहराइयों में सुरंगें (सुराख) ढूंढ रहा था... विज्ञानियों ने भविष्यवाणी की थी कि इस तरह की हाइड्रोथर्मल सुरंगें होनी चाहिए, लेकिन तब तक किसी ने भी ऐसी कोई सुरंग कभी नहीं देखी थी... और फिर समुद्र की तलहटी तक जा सकने में सक्षम दुनिया की शुरुआती पनडुब्बियों में से एक 'एल्विन' से बाहर निकले समुद्रविज्ञानी जैक कॉरलिस, जिन्होंने पहली बार वर्म भी देखे...
शोधकर्ताओं को उम्मीद थी कि वहां लावा से बना बंजर तल होगा, लेकिन वहां न सिर्फ 4-फुट लम्बे वर्म मिले, बल्कि केकड़े और एक ऑक्टोपस भी मिला... सो, माना जा रहा है कि जिस तरह '70 के दशक में पृथ्वी पर समुद्र की तलहटी में अजीबोगरीब प्राणियों के होने का पता चला था, उसी तरह मिलते-जुलते हालात होने की वजह से शनि के चंद्रमा पर मौजूद समुद्रों की तलहटी में भी इसी तरह के प्राणी होने की संभावना है...
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