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This Article is From Feb 10, 2012

मालदीव में संकट गहराया, भारतीय राजनयिक माले रवाना

मालदीव में संकट गहराने के साथ ही विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल वास्तविक स्थिति का आकलन करने और स्थिति सामान्य बनाने में मदद देने के लिए शुक्रवार को माले रवाना हो गया।

सरकारी सूत्रों ने कहा है कि विदेश मंत्रालय में सचिव एम. गणपति (पश्चिम) के नेतृत्व में यह दल एक विशेष विमान से माले रवाना हुआ।

समझा जाता है कि भारत, मालदीव के लिए एक आपात योजना तैयार कर रहा है, जहां लोकतांत्रिक रूप से पहली बार निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के तख्तापलट के तीन दिन बाद लगातार अशांति बनी हुई है।

मालदीव की एक अदालत ने गुरुवार को नशीद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। बुधवार को नशीद के समर्थक राजधानी माले की सड़कों पर उतर आए थे। लेकिन वैश्विक दबाव बढ़ने के बाद नए राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन ने आश्वस्त किया है कि नशीद गिरफ्तार नहीं किए जाएंगे।

इस तरह की खबरें आने के बाद भारत ने नए प्रशासन से यह सुनिश्चित कराने का आग्रह किया है कि नशीद न तो गिरफ्तार किए जाएं और न उन्हें किसी तरह का नुकसान ही पहुंचाया जाए। इसके साथ ही भारत शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन सुनिश्चित कराने की सक्रिय कोशिश कर रहा है।

मालदीव में राजनीतिक हालात उस समय एक बुरे मोड़ पर पहुंच गए, जब नशीद ने इस बात का खुलासा किया कि उनसे बंदूक की नोक पर जबरन इस्तीफा लिया गया, और उन्होंने नए राष्ट्रपति पर इस घटना की साजिश रचने का आरोप लगाया। लेकिन वहीद ने तख्तापलट की कोशिश में संलिप्तता से इंकार किया है और कहा है कि मंगलवार का सत्ता स्तांतरण एक राजनीतिक बदलाव का हिस्सा था।

नशीद ने समाचार पत्र 'न्यूयार्क टाइम्स' में प्रकाशित 'द ड्रेग्स ऑफ डिक्टेटरशिप' शीर्षक वाले अपने एक लेख में लिखा है, "मैं इसे तख्तापलट की एक घटना मानता हूं, और मुझे संदेह है कि मेरे उपराष्ट्रपति, जो कि उसके बाद से राष्ट्रपति पद पर हैं, ने इस साजिश में मदद की।"

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