'कोविड का कोई विश्वसनीय प्राकृतिक पूर्वज नहीं', लैब विवाद के बीच शोध में दावा

ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस और नार्वे के साइंटिस्ट डॉ. बिर्गर सोरेनसेन द्वारा नये रिसर्च पेपर का हवाला देते हुए कहा कि नोवल कोरोना वायरस कोई विश्वसनीय प्राकृतित पूर्वज नहीं है और इस खतरनाक वायरस को चीनी वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया है जो वुहान लैब में गेन ऑफ फंक्शन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.    

'कोविड का कोई विश्वसनीय प्राकृतिक पूर्वज नहीं', लैब विवाद के बीच शोध में दावा

प्रतीकात्मक तस्वीर.

लंदन:

कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इसे लेकर विश्वभर में बहस चल रही है. इस बीच एक नये शोध के मुताबिक कोरोना को चीन के वुहान में एक लैब में एक वैज्ञानिक द्वारा विकसित किया है. इसके बाद इस वायरस को रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से इसे ढकने की कोशिश की गई, ताकि ये लगे कि कोरोना वायरस चमगादड़ द्वारा प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ है. रविवार को डेली मेल ने ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस और नार्वे के साइंटिस्ट डॉ. बिर्गर सोरेनसेन द्वारा नये रिसर्च पेपर का हवाला देते हुए कहा कि नोवल कोरोना वायरस कोई विश्वसनीय प्राकृतित पूर्वज नहीं है और इस खतरनाक वायरस को चीनी वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया है जो वुहान लैब में गेन ऑफ फंक्शन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.    

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नए शोध में दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने चीनी गुफा में चमगादड़ों में पाए जाने वाले एक प्राकृतिक कोरोनावायरस "रीढ़ की हड्डी" को लिया और उस पर एक नया "स्पाइक" मिला दिया, जिससे यह घातक और अत्यधिक संक्रामक COVID-19 में बदल गया.  वहीं, ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों का भी अब मानना है कि ऐसा ''''संभव'''' है कि कोविड-19 महामारी चीन की प्रयोगशाला से कोरोना वायरस के लीक होने से फैली हो. एक मीडिया रिपोर्ट में रविवार को यह दावा किया गया. उसके बाद ब्रिटेन के टीका मंत्री नाधिम ज़हावी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इस घातक वायरस की उत्पत्ति के संबंध में पूर्ण जांच की मांग उठायी.

कोविड-19 की उत्पत्ति व्यापक बहस का मुद्दा रही है. कई वैज्ञानिक एवं नेता इस घातक वायरस के प्रयोगशाला से फैलने की संभावना जता चुके हैं.सूत्रों के हवाले से ''द संडे टाइम्स'' ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शुरुआत में ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों का विचार था कि इस बात की बेहद कम संभावना है कि कोरोना वायरस इस प्रयोगशाला से लीक हुआ, जहां चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस पर अनुसंधान किया जाता है और यह वायररसकोविड-19 के वायरस से काफी मिलता -जुलता है.

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संडे टाईम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन अब इसको लेकर दोबारा आकलन किए जाने के बाद इस बात की संभावना को बल मिला है कि ये वायरस किसी प्रयोगशाला से निकलकर दुनिया में फैला.इस रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला दिया गया है. चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी वुहान के उस सीफुड मार्केट के पास ही है जहां 2019 में यह वायरस सामने आया और महामारी का रूप ले लिया.