Covid-19 Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी ने गरीबी के ख़िलाफ़ दुनिया की 'जंग' को कई बरस पीछे धकेल दिया है. वर्ल्ड बैंक (World Bank) के अध्यक्ष डेविड मल्पास (David Malpass) ने आशंका जताई है कि कोरोना के असर (COVID-19 Fallout) से दुनिया में 6 करोड़ से ज्यादा लोग अत्यधिक (एक्सट्रीम) गरीबी की चपेट में आ सकते हैं. कोरोना महामारी का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एक दशक तक रह सकता है. वर्ल्ड बैंक प्रमुख ने बीबीसी वर्ल्ड को दिए एक इंटरव्यू में कहा कोरोना वायरस की महामारी और लॉकडाउन के बीच लाखों की संख्या में लोग रातों-रात बेरोज़गार और बेसहारा हो गए.
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की वजह से छह करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी की चपेट में सकते हैं और इस कारण उनकी रोजाना की कमाई 100 रुपये से भी नीचे गिर सकती है. उन्होंने कहा कि टूरिज्म सेक्टर कोरोना वायरस के कारण सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, जहां सैकड़ों नौकरियां हमेशा के लिए ख़त्म हो चुकी हैं. इनकी जगह नया निवेश कर मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर में नई नौकरियां पैदा करनी होंगी. साफ़ है, ये भारत के लिए भी खतरे की घंटी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल के मुकाबले मई 2020 में 10 करोड़ से ज्यादा लोग भारत में बेरोज़गार रहे. अर्थशास्त्री मानते हैं कि कोरोना संकट की वजह से भारत में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा.
इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICAI) के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने NDTV से कहा, "कोविड-19 की वजह से बेरोज़गारी दर 7 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी के करीब पहुंच गई है. इसका भारत में गरीबी पर काफी प्रभाव होगा. देश की बड़ी आबादी, जो गरीबी रेखा से ऊपर निकलने वाली थी या निकल चुकी थी, अब वह वापस गरीबी रेखा के नीचे आ जाएगी.
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