Climate Change पर जारी वैश्विक रिपोर्ट में भारतीय कंपनियों पर क्या कहा गया?

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर जारी हुई एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता के मामले में भारतीय कंपनियां पांचवें स्थान पर हैं. सर्वे में 80% भारतीय कार्यकारियों ने माना कि जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया ‘नोक' पर है.

Climate Change पर जारी वैश्विक रिपोर्ट में भारतीय कंपनियों पर क्या कहा गया?

Climate Change पर आई रिपोर्ट बताती है समस्या की गंभीरता को दर्शाती है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की गंभीर समस्या तेजी से बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों के बोर्ड रूम में एक अहम मुद्दा बनती जा रही है.  जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता के मामले में भारतीय कंपनियां (Indian Companies) वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर हैं. सलाहकार कंपनी डेलॉयट की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. हालांकि, वैश्विक कंपनियों की तुलना में भारतीय कंपनियों के अधिक सख्त जलवायु कार्रवाई के क्रियान्वयन की संभावना है. डेलॉयट का यह सर्वे सितंबर-अक्टूबर, 2021 के दौरान 21 देशों में किया गया. जनवरी-फरवरी, 2021 के सर्वे की तुलना में इस बार अधिक संख्या में शीर्ष स्तर के भारतीय कार्यकारियों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी. डेलॉयट ने कहा कि 2,000 शीर्ष स्तर के कार्यकारियों ने सर्वे में हिस्सा लिया. इनमें 163 CXO भारत के हैं. इस वैश्विक सर्वे में शामिल 91% एक्ज़ीक्यूटिव्स ने कहा कि उन्हें अपने व्यापार पर क्लाइमेट चेंज का असर पता चलता है.

डेलॉयट की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय कंपनियां जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दूसरों से अधिक सख्त कदम उठाएंगी. भारतीय CxOs ने कहा कि कार्बन इमिशन को लेकर डेटा का मेजरमेंट कम होता है और इसे दर्ज भी कम जगह किया जाता है. यह एक बड़ी चुनौती है. 

डेलॉयट की वैश्विक 2022 सीएक्सओ स्थिरता सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता के मामले में भारतीय कंपनियां पांचवें स्थान पर हैं. सर्वे में 80 प्रतिशत भारतीय कार्यकारियों ने माना कि जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया को लेकर दुनिया ‘नोक' पर है. आठ महीने पहले ऐसा कहने वाले भारतीय कार्यकारियों की संख्या सिर्फ 53 प्रतिशत थी. ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार  89% चीफ एक्सपीरिएंस ऑफिसर्स ( CXO) ने माना कि क्लाइमेट चेंज का उनके बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ेगा.  

सर्वे में शामिल 94 प्रतिशत कार्यकारियों ने इस बात पर सहमति जताई कि तत्काल कार्रवाई से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित किया जा सकता है. आठ माह पहले ऐसा कहने वाले कार्यकारियों की संख्या 61 प्रतिशत थी.

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डेलोइट की सीईओ और भारतीय-अमेरिकी पुनीत रंजन का कहना है, "पर्यावरण की चुनौती बहुत बड़ी और कोई भी संस्थान अकेले इससे नहीं निपट सकता है. सबसे बड़ा असर एक जैसी सोच वाले संस्थानों, लोगों और गैर सरकारी संगठनों के साझा प्रयास से आएगा.