अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) के प्रमुख विलियम बर्न्स ने तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के साथ काबुल में एक गुप्त बैठक की. वाशिंगटन पोस्ट ने मंगलवार को यह खबर दी है. सोमवार को हुई इस बैठक की पुष्टि होने पर इस्लामी समूह और बाइडेन प्रशासन के बीच चरमपंथियों की सत्ता में वापसी के बाद से उच्चतम स्तर पर आना-सामना होगा. तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान से हजारों लोगों को निकालने के प्रयासों में तेजी लाना जरूरी हो गया है.
बर्न्स अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सबसे अनुभवी राजनयिकों में से एक हैं, जबकि कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का नेतृत्व करने वाले बरादर काबुल में सत्ता संभालने वाले शासन के शीर्ष नेताओं में से एक हैं.
सीआईए के एक प्रवक्ता ने एएफपी को इस बैठक की पुष्टि नहीं की. उन्होंने कहा कि एजेंसी "कभी भी डायरेक्टर की यात्रा पर चर्चा नहीं करती है."
वाशिंगटन पोस्ट ने इस बैठक की जानकारी अज्ञात अमेरिकी स्रोतों के हवाला से दी है. उसने कहा है कि तालिबान के सह-संस्थापक और सीआईए के बॉस के बीच चर्चा से संबंधित विवरण नहीं मिला.
हालांकि उसने कहा है कि यह संभावना है कि अमेरिका के लिए अफगान राजधानी के हवाई अड्डे पर निकासी को समाप्त करने की समय सीमा में देरी को लेकर चर्चा हो सकती है. अफगानिस्तान में हजारों अफगान, इस्लामवादियों की वापसी से घबराए हुए हैं. वे बड़े पैमाने पर हैं और देश से भागने की आशा लगाए हैं.
बाइडेन ने अस्थायी रूप से तैनात अमेरिका और ब्रिटेन के हजारों सैनिकों द्वारा अराजक एयरलिफ्ट को समाप्त करने के लिए 31 अगस्त की समय सीमा तय की है, लेकिन जरूरत पड़ने पर समय सीमा में विस्तार का रास्ता खुला छोड़ दिया है.
हालांकि तालिबान के एक प्रवक्ता ने सोमवार को चेतावनी दी कि कट्टरपंथी इस्लामी समूह किसी भी विस्तार के लिए सहमत नहीं होगा. इस समय सीमा के मुद्दे को "रेड लाइन" कहते हुए, किसी भी देरी को "कब्जे के विस्तार" के रूप में देखा जाएगा.
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने स्काई न्यूज को बताया, "अगर अमेरिका या ब्रिटेन को निकासी जारी रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगना है - तो जवाब नहीं है. या इसके परिणाम देखने को मिलेंगे."
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