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This Article is From Oct 31, 2018

पाकिस्तान में ईशनिंदा के कारण फांसी की सजा पाई ईसाई महिला को मिली बड़ी राहत 

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है व आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है. पूर्व सैन्य तानाशाह जियाउल हक ने 1980 के दशक में ईशनिंदा कानून लागू किया था.

पाकिस्तान में ईशनिंदा के कारण फांसी की सजा पाई ईसाई महिला को मिली बड़ी राहत 
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को ईशनिंदा की दोषी एक ईसाई महिला की फांसी की सजा को पलट दिया. इस फैसले के विरोध में इस्लामी देश में प्रदर्शन हुए. अपने पड़ोसियों के साथ विवाद के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था. उन्होंने हमेशा खुद को बेकसूर बताया हालांकि बीते आठ वर्ष में उन्होंने अपना अधिकतर समय एकांत कारावास में बिताया. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है व आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है. पूर्व सैन्य तानाशाह जियाउल हक ने 1980 के दशक में ईशनिंदा कानून लागू किया था. इन कानूनों के तहत दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार सुबह अपना फैसला सुनाया.

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पीठ ने इस नतीजे पर पहुंचने के करीब तीन सप्ताह बाद इस संबंध में फैसला सुनाया. फैसला आने में हो रही देरी को देखते हुए ईशनिंदा विरोधी प्रचारकों ने प्रदर्शन की धमकी दी थी. निसार ने फैसले में कहा कि उनकी दोषसिद्धि को निरस्त किया जाता है और अगर अन्य आरोपों के तहत जरूरी नहीं हो, तो उन्हें फौरन रिहा किया जाए. हिंसा की आशंका को देखते हुए इस्लामाबाद में सुनवाई के दौरान कड़े सुरक्षा इंतजाम किये गये थे. फैसले के बाद पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए. इस्लामाबाद पुलिस की घोषणा के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने राजधानी इस्लामाबाद को सैन्य शहर रावलपिंडी से जोड़ने वाले राजमार्ग और एक पुराने हवाईअड्डे को बाधित किया.

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पुलिस के अनुसार देश की सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब में हाई अलर्ट की चेतावनी दी गई थी और इसके गृह विभाग ने 10 नवंबर तक सभी तरह की जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाया है. इस्लामी राजनीतिक दल तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान की अगुवाई में लाहौर में प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन के तहत काफी बड़ी संख्या में इसके कार्यकर्ता माल रोड पर इकट्ठा हुए। सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि धार्मिक पार्टियों से संबद्ध रखने वाले समूहों ने कराची और अन्य शहरों में भी प्रदर्शन किये. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के प्रमुख फजलूर रहमान ने इस फैसले की निंदा की और आरोप लगाया कि यह फैसला अज्ञात विदेशी ताकतों से प्रेरित है. ऐसी खबरें है कि बीबी को बरी किये जाने के विरोध में विभिन्न जगहों पर मस्जिदों ने लोगों को सड़कों पर उतरने को कहा.

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चरमपंथियों के प्रदर्शन के बावजूद सोशल मीडिया पर इस फैसले को खूब सराहा जा रहा है. बीबी के वकील सैफुल मुलूक ने मीडिया को बताया कि यह उनके जीवन का सबसे खुशनुमा दिन है. बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनायी थी जिसे 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. (इनपुट भाषा से) 

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