प्रतीकात्मक तस्वीर
बीजिंग:
समझा जा रहा है कि चीन-भारत सीमा विवाद और भारत में मौजूद निर्वासित तिब्बती समूहों के बारे में 2012 से सूचना की चीनी हैकर जासूसी कर रहे हैं। अमेरिका आधारित एक साइबर सुरक्षा कंपनी ने यह दावा किया है।
साइबर सुरक्षा कंपनी फायर आई ने बताया कि मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले अप्रैल में हैकरों का अप्रैल में पता चला और वे लोग अब तक हमले कर रहे हैं।
मॉर्निंग पोस्ट ने फायर आई के एक बयान के हवाले से बताया कि एक एडवांस टीम सीमा विवाद और तिब्बती निर्वासित समूहों के बारे में सूचना चुराने के लिए है। इसने बताया है, 'पिछले चार साल से अधिक समय से इस संगठन ने 100 से अधिक (लोगों या संस्थाओं) को निशाना बनाया है जिनमें से करीब 70 फीसदी भारत में है।'
अप्रैल में फायर आई ने बताया था कि एक अलग चीनी हैकिंग टीम एपीटी 30 दक्षिण पूर्व एशिया एवं भारत में सरकार और व्यापारिक प्रतिष्ठानों की निर्बाध रूप से एक दशक से जासूसी कर रहा है।
अमेरिकी कंपनी मैकएफी ने 2011 के अध्ययनकर्ताओं ने ऐसा ही दावा किया था। हालांकि, चीन ने अप्रैल में इस तरह के आरोपों का खंडन किया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने फायर आई के आरोपों के जवाब में कहा था, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि चीन सरकार सभी तरह के हैकर हमलों पर दृढ़ता से प्रतिबंध लगाए हुए है और कार्रवाई कर रही है।'
इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि एपीटी हैकर समूह ने सरकार, राजनयिक और शैक्षणिक संगठनों पर ध्यान केंद्रित हुए तिब्बती कार्यकर्ताओं और दक्षिण एशिया के अन्य लोगों को भी निशाना बनाया है।
गौरतलब है कि भारत में रह रहे तिब्बती समूहों को उस वक्त से चीन संदेह की नजरों से देखता आ रहा है, जब दलाई लामा 1959 में चीन से पलायन कर गए थे और धर्मशाला में रहने लगे।
साइबर सुरक्षा कंपनी फायर आई ने बताया कि मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले अप्रैल में हैकरों का अप्रैल में पता चला और वे लोग अब तक हमले कर रहे हैं।
मॉर्निंग पोस्ट ने फायर आई के एक बयान के हवाले से बताया कि एक एडवांस टीम सीमा विवाद और तिब्बती निर्वासित समूहों के बारे में सूचना चुराने के लिए है। इसने बताया है, 'पिछले चार साल से अधिक समय से इस संगठन ने 100 से अधिक (लोगों या संस्थाओं) को निशाना बनाया है जिनमें से करीब 70 फीसदी भारत में है।'
अप्रैल में फायर आई ने बताया था कि एक अलग चीनी हैकिंग टीम एपीटी 30 दक्षिण पूर्व एशिया एवं भारत में सरकार और व्यापारिक प्रतिष्ठानों की निर्बाध रूप से एक दशक से जासूसी कर रहा है।
अमेरिकी कंपनी मैकएफी ने 2011 के अध्ययनकर्ताओं ने ऐसा ही दावा किया था। हालांकि, चीन ने अप्रैल में इस तरह के आरोपों का खंडन किया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने फायर आई के आरोपों के जवाब में कहा था, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि चीन सरकार सभी तरह के हैकर हमलों पर दृढ़ता से प्रतिबंध लगाए हुए है और कार्रवाई कर रही है।'
इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि एपीटी हैकर समूह ने सरकार, राजनयिक और शैक्षणिक संगठनों पर ध्यान केंद्रित हुए तिब्बती कार्यकर्ताओं और दक्षिण एशिया के अन्य लोगों को भी निशाना बनाया है।
गौरतलब है कि भारत में रह रहे तिब्बती समूहों को उस वक्त से चीन संदेह की नजरों से देखता आ रहा है, जब दलाई लामा 1959 में चीन से पलायन कर गए थे और धर्मशाला में रहने लगे।
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