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This Article is From Apr 18, 2016

दक्षिणी चीन सागर में विवादित द्वीप पर 'पहली बार' उतरा चीनी सैन्य विमान

दक्षिणी चीन सागर में विवादित द्वीप पर 'पहली बार' उतरा चीनी सैन्य विमान
It was the first time Chinese military had publicly admitted landing an aircraft on Fiery Cross Reef.
बीजिंग: विवादित दक्षिणी चीन सागर में चीन द्वारा बनाए गए एक द्वीप पर बने नए हवाईअड्डे पर पहली बार सार्वजनिक रूप से चीन का एक सैन्य विमान उतरा है। यह जानकारी सरकारी मीडिया ने सोमवार को दी है, और इससे इस बात के आसार बढ़ गए हैं कि चीन वहां लड़ाकू विमानों को रख सकता है।

दक्षिणी चीन सागर में कृत्रिम द्वीप बनाने के लिए चीन की आलोचना अमेरिका कर चुका है, और चिंता जता चुका है कि चीन इन द्वीपों का इस्तेमाल सैन्य कारणों से कर सकता है, जबकि चीन का दावा है कि उसके इरादे कतई गलत नहीं हैं।

3,000 मीटर लंबा है रनवे...
फिएरी कोस्ट रीफ (Fiery Cross Reef) पर तैयार रनवे की लंबाई 3,000 मीटर (10,000 फुट) है, और पिछले एक साल से चीन इस रनवे के अलावा भी यहां दो और रनवे बना रहा है। वैसे, नागरिक विमानों ने इसी साल जनवरी में यहां परीक्षण उड़ानें शुरू कर दी थीं।

सरकारी 'पीपल्स लिबरेशन आर्मी डेली' ने मुखपृष्ठ पर प्रकाशित समाचार में बताया है कि दक्षिणी चीन सागर के ऊपर से गश्त पर उड़ रहे एक सैन्य विमान को रविवार को इमरजेंसी कॉल मिली और उसे गंभीर रूप से बीमार तीन लोगों को निकालकर ले जाने के लिए फिएरी कोस्ट रीफ पर उतरने के लिए कहा गया।

समाचार के अनुसार, उन लोगों को इलाज के लिए विमान में हैनान द्वीप पर ले जाया गया, और समाचारपत्र में हैनान में ज़मीन पर खड़े विमान की तस्वीर भी प्रकाशित की गई है।

विमान उतारना पहली बार कबूल किया है चीनी सेना ने...
'ग्लोबल टाइम्स' नामक टैबलॉयड के मुताबिक, यह पहला मौका है, जब चीन की सेना ने फिएरी कोस्ट रीफ पर अपने किसी विमान के उतरने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की है।

एक सैन्य विशेषज्ञ के हवाले से टैबलॉयड ने यह भी कहा है कि इस उड़ान ने साफ कर दिया है कि एयरफील्ड सेना के स्तर का है, और युद्ध की स्थिति में यहां लड़ाकू विमानों को रखा जा सकता है।
 

यहां रनवे की लंबाई इतनी ज़रूर होगी कि लंबी दूरी के बमवर्षक विमान तथा रसद विमान तो इसे इस्तेमाल कर ही सकें, चीन के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान भी इस पर उतर सकें। इससे चीन को दक्षिण-पूर्वी एशिया के उस इलाके में भी पकड़ बनाए रखने में मदद मिलेगी, जिस पर अभी तक वह मौजूदगी नहीं बना पाया था।

दक्षिणी चीन सागर के जरिये हर साल 5,000 अरब डॉलर से भी ज़्यादा का वैश्विक व्यापार होता है, और इस इलाके पर चीन के अलावा वियतनाम, मलेशिया, ब्रूनेई, फिलीपीन्स और ताइवान भी दावा करते रहे हैं।

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