प्रतीकात्मक तस्वीर
बीजिंग:
एनएसजी में प्रवेश पाने के लिए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने के भारत के बयान के बीच अपने रुख पर अड़े चीन ने कहा कि किसी भी देश को खुद को एनपीटी के खिलाफ नहीं रखना चाहिए, ना ही खुद को इसके खिलाफ रख सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, 'हमने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में गैर एनपीटी देशों को शामिल किए जाने पर बार-बार अपना रुख बताया है।' लु ने लोकसभा में बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के दिए बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर की, जिन्होंने कहा था कि भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
लु ने कहा, 'यह जिक्र करना लाजिमी है कि नए सदस्य बनाने के तरीके के लिए चीन नियम नहीं बनाता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने काफी समय पहले ही यह आमराय बना लिया था कि एनपीटी अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की एनपीटी बुनियाद है। किसी देश को खुद को एनपीटी के खिलाफ नहीं रखना चाहिए या, वह खुद को इसके खिलाफ नहीं रख सकता।' लु की टिप्पणी में कहा गया कि एनपीटी पर चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और इसलिए एनएसजी में शामिल होने की इच्छा रखने वाले नए सदस्यों को इस पर हस्ताक्षर करना होगा।
गौरतलब है कि पिछले महीने दक्षिण कोरिया में हुई एनएसजी की बैठक में भारत की सदस्यता की अर्जी स्वीकार करने के खिलाफ फैसला लिया गया था। दरअसल, चीन और कुछ अन्य देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देश के प्रवेश का विरोध किया था।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, 'हमने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में गैर एनपीटी देशों को शामिल किए जाने पर बार-बार अपना रुख बताया है।' लु ने लोकसभा में बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के दिए बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर की, जिन्होंने कहा था कि भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
लु ने कहा, 'यह जिक्र करना लाजिमी है कि नए सदस्य बनाने के तरीके के लिए चीन नियम नहीं बनाता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने काफी समय पहले ही यह आमराय बना लिया था कि एनपीटी अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की एनपीटी बुनियाद है। किसी देश को खुद को एनपीटी के खिलाफ नहीं रखना चाहिए या, वह खुद को इसके खिलाफ नहीं रख सकता।' लु की टिप्पणी में कहा गया कि एनपीटी पर चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और इसलिए एनएसजी में शामिल होने की इच्छा रखने वाले नए सदस्यों को इस पर हस्ताक्षर करना होगा।
गौरतलब है कि पिछले महीने दक्षिण कोरिया में हुई एनएसजी की बैठक में भारत की सदस्यता की अर्जी स्वीकार करने के खिलाफ फैसला लिया गया था। दरअसल, चीन और कुछ अन्य देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देश के प्रवेश का विरोध किया था।
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