बीजिंग:
चीन का कहना है कि उसने जम्मू-कश्मीर के लोगों को नत्थी वीजा देने की अपनी नीति को रोक दिया है और हाल के समय में इस तरह के मामले सामने नहीं आए हैं।
विदेश मंत्रालय में उप महानिदेशक ली केक्सिन ने इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘क्या आपने कोई रिपोर्ट (कश्मीरियों को नत्थी वीजा जारी करने की) देखी।’’ उनका यह बयान ‘ब्रिक्स’ (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति हु जिंताओ के दिल्ली दौरे के मद्देनजर सामने आया है।
बहरहाल, अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा जारी करने पर ली ने इसे दोनों देशों के बीच की सीमा समस्या बताते हुए कहा कि इस मुद्दे से दोनों देशों के बीच के समग्र द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस मुद्दे से समग्र द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। सीमा मुद्दे पर दोनों देश अलग-अलग स्थिति में हैं और हमें इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के प्रयास जारी रखने चाहिए।’’
चीन ने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को 2008 में यह वीजा जारी किया जिससे भारत नाराज है।
भारत में चीन के राजदूत झांग यान ने पिछले साल इस प्रक्रिया में गिरावट के संकेत दिए थे लेकिन इस पर कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान नहीं आया। लोगों के बीच बेहतर संपर्क का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा कि आबादी की तुलना में दोनों देशों के एक-दूसरे के यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम है।
विदेश मंत्रालय में एशियाई विभाग के उप महानिदेशक सुन वइदांग ने कहा, ‘‘हमारी आबादी 1.3 अरब और भारत में 1.2 अरब है जो कुल मिलाकर 2.5 अरब है। लेकिन पिछले साल करीब 70,00,00 लोगों ने एक-दूसरे के देश का दौरा किया जो काफी कम है। हमें इसे बढ़ावा देने होगा।’’ द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती दो अर्थव्यवस्थाओं को आर्थिक मंदी और सीरिया तथा ईरान की स्थिति जैसी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से निपटने के लिए एक ‘नया मंच’ बनाना चाहिए। सैन्य सहयोग के बारे में पूछे जाने पर ली ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच सैन्य आदान प्रदान और विश्वास पैदा करने में मददगार होगा।’’
विदेश मंत्रालय में उप महानिदेशक ली केक्सिन ने इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘क्या आपने कोई रिपोर्ट (कश्मीरियों को नत्थी वीजा जारी करने की) देखी।’’ उनका यह बयान ‘ब्रिक्स’ (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति हु जिंताओ के दिल्ली दौरे के मद्देनजर सामने आया है।
बहरहाल, अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा जारी करने पर ली ने इसे दोनों देशों के बीच की सीमा समस्या बताते हुए कहा कि इस मुद्दे से दोनों देशों के बीच के समग्र द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस मुद्दे से समग्र द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। सीमा मुद्दे पर दोनों देश अलग-अलग स्थिति में हैं और हमें इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के प्रयास जारी रखने चाहिए।’’
चीन ने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को 2008 में यह वीजा जारी किया जिससे भारत नाराज है।
भारत में चीन के राजदूत झांग यान ने पिछले साल इस प्रक्रिया में गिरावट के संकेत दिए थे लेकिन इस पर कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान नहीं आया। लोगों के बीच बेहतर संपर्क का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा कि आबादी की तुलना में दोनों देशों के एक-दूसरे के यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम है।
विदेश मंत्रालय में एशियाई विभाग के उप महानिदेशक सुन वइदांग ने कहा, ‘‘हमारी आबादी 1.3 अरब और भारत में 1.2 अरब है जो कुल मिलाकर 2.5 अरब है। लेकिन पिछले साल करीब 70,00,00 लोगों ने एक-दूसरे के देश का दौरा किया जो काफी कम है। हमें इसे बढ़ावा देने होगा।’’ द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती दो अर्थव्यवस्थाओं को आर्थिक मंदी और सीरिया तथा ईरान की स्थिति जैसी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से निपटने के लिए एक ‘नया मंच’ बनाना चाहिए। सैन्य सहयोग के बारे में पूछे जाने पर ली ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच सैन्य आदान प्रदान और विश्वास पैदा करने में मददगार होगा।’’
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