बीजिंग:
चीन ने मंगलवार को कहा कि उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा का कभी भी उल्लंघन नहीं किया और हमेशा सीमाई इलाकों में शांति बनाए रखने संबंधी द्विपक्षीय समझौतों का सम्मान किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, चीन की सीमा पर तैनात कर्मियों ने हमेशा शांति कायम रखने संबंधी दो देशों के बीच हुए समझौतों का सम्मान किया है और कभी भी वास्तविक नियंत्रण रेखा को नहीं लांघा। वे उस रिपोर्ट का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि पिछले साल चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया तथा जम्मू-कश्मीर के लेह जिले के देमचौक इलाके में एक निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई। हांग ने कहा कि इस मुद्दे पर भारतीय पक्ष की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण पर हमने ध्यान दिया है। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि सरकार ने उस मीडिया रिपोर्ट को देखा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के लेह जिले में देमचौक इलाके में चीनी सैनिकों द्वारा कथित तौर पर घुसपैठ का आरोप लगाया गया है। ये रिपोर्ट निराधार है और तथ्यों पर खरी नहीं उतरती। विदेश सचिव निरूपमा राव ने कहा, हमने बार-बार कहा है कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा की अवधारणा को लेकर मतभेद हैं। जहां तक इस विशेष घटना का सवाल है, हमें कोई सीमा के उल्लंघन की जानकारी नहीं है। भारत और चीन ने सीमा समस्या पर चर्चा के लिए 1993 और 1996 में दो समझौते किए और इस मामले के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए। 2005 में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सीमांकन को लेकर एक समझौते पर दस्तखत किए, जिसमें राजनीतिक दिशानिर्देश तय किए गए हैं। दोनों पक्षों ने अभी तक मुद्दे के हल के लिए 14 दौर की बातचीत की है, लेकिन अधिक सफलता हाथ नहीं लगी है। भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर सहित 3500 किलोमीटर सीमा को लेकर विवाद है, जबकि चीन का दावा है कि यह केवल 2000 किलोमीटर तक सीमित है, खासकर अरुचाचल प्रदेश में जिसे वह दक्षिणी तिब्बत कहता है।
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