आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर (फाइल फोटो)
बीजिंग:
चीन ने शनिवार को पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने को रोकने के लिये अपनी दूसरी तकनीकी अड़चन का बचाव करते हुए कहा कि भारत के आवेदन पर अलग-अलग राय थी और बीजिंग का कदम ‘प्रासंगिक पक्षों’ को विचार-विमर्श करने का और समय देगा.
भारत की आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की समिति संख्या 1267 को सदस्य देशों द्वारा सौंपे गये आवेदन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों की विशेष जरूरतों का अवश्य अनुपालन करना चाहिए.
भारत ने कहा था कि अजहर पर प्रतिबंध के प्रयासों की राह में चीन की दूसरी तकनीकी अड़चन खतरनाक संदेश भेजेगा. चीन 15 सदस्यीय यूएनएससी का एकमात्र सदस्य है जिसने अजहर पर प्रतिबंध का विरोध किया है. उसका का दावा है कि अजहर के खिलाफ भारत के आवेदन पर अलग-अलग राय है.
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस साल मार्च में किए गए भारत के आवेदन पर अब भी अलग-अलग राय है. इसपर तकनीकी रोक लगाना समिति को मामले पर विचार करने और संबंधित पक्षों को इसपर और विचार-विमर्श करने के लिए और समय मुहैया कराएगा.’ ‘और विचार-विमर्श’ का उल्लेख वस्तुत: इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे विचार-विमर्श के संदर्भ में किया गया है.
चीन ने पठानकोट आतंकवादी हमले में अजहर की कथित संलिप्तता के बाद भारत के आवेदन पर छह महीने पहले पहली बार अड़ंगा लगाया था. चीन ने इस सप्ताह के दौरान दूसरी बार तकनीकी रोक को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया था. ऐसा नयी दिल्ली और बीजिंग के बीच विभिन्न स्तरों पर कई विचार-विमर्श के बावजूद किया गया. यह मुद्दा 15 और 16 अक्टूबर को गोवा में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली बैठक के दौरान उठने की उम्मीद है.
अजहर के खिलाफ प्रतिबंध का विरोध करने के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय ने हालांकि कहा, ‘चीन सभी स्वरूपों में आतंकवाद से लड़ने, आतंकवाद के खिलाफ मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोध में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय और समन्वयकारी भूमिका का समर्थन करता है.’ इसमें कहा गया है चीन का हमेशा कहना है कि मामले को सूचीबद्ध करने पर 1267 समिति को निष्पक्षता और पेशेवराना अंदाज के सिद्धांतों पर कायम रहना चाहिए और अपने फैसलों को ठोस सबूतों पर आधारित करना चाहिए और सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच आम सहमति से इसपर फैसला करना चाहिए.
चीन का नाम लिए बिना विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने छह अक्टूबर को कहा कि सिर्फ एक देश ने तकनीकी अड़ंगा लगाया है. इसके जरिए तीन और महीने के लिए अजहर पर प्रतिबंध को अवरुद्ध कर दिया गया. भारत पाकिस्तान से उपजने वाले सीमा पार आतंकवाद को उजागर कर रहा है और नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनाव जम्मू कश्मीर में पिछले महीने उरी हमले के बाद से बढ़ रहा है. उस हमले में 19 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भारत की आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की समिति संख्या 1267 को सदस्य देशों द्वारा सौंपे गये आवेदन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों की विशेष जरूरतों का अवश्य अनुपालन करना चाहिए.
भारत ने कहा था कि अजहर पर प्रतिबंध के प्रयासों की राह में चीन की दूसरी तकनीकी अड़चन खतरनाक संदेश भेजेगा. चीन 15 सदस्यीय यूएनएससी का एकमात्र सदस्य है जिसने अजहर पर प्रतिबंध का विरोध किया है. उसका का दावा है कि अजहर के खिलाफ भारत के आवेदन पर अलग-अलग राय है.
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस साल मार्च में किए गए भारत के आवेदन पर अब भी अलग-अलग राय है. इसपर तकनीकी रोक लगाना समिति को मामले पर विचार करने और संबंधित पक्षों को इसपर और विचार-विमर्श करने के लिए और समय मुहैया कराएगा.’ ‘और विचार-विमर्श’ का उल्लेख वस्तुत: इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे विचार-विमर्श के संदर्भ में किया गया है.
चीन ने पठानकोट आतंकवादी हमले में अजहर की कथित संलिप्तता के बाद भारत के आवेदन पर छह महीने पहले पहली बार अड़ंगा लगाया था. चीन ने इस सप्ताह के दौरान दूसरी बार तकनीकी रोक को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया था. ऐसा नयी दिल्ली और बीजिंग के बीच विभिन्न स्तरों पर कई विचार-विमर्श के बावजूद किया गया. यह मुद्दा 15 और 16 अक्टूबर को गोवा में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली बैठक के दौरान उठने की उम्मीद है.
अजहर के खिलाफ प्रतिबंध का विरोध करने के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय ने हालांकि कहा, ‘चीन सभी स्वरूपों में आतंकवाद से लड़ने, आतंकवाद के खिलाफ मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोध में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय और समन्वयकारी भूमिका का समर्थन करता है.’ इसमें कहा गया है चीन का हमेशा कहना है कि मामले को सूचीबद्ध करने पर 1267 समिति को निष्पक्षता और पेशेवराना अंदाज के सिद्धांतों पर कायम रहना चाहिए और अपने फैसलों को ठोस सबूतों पर आधारित करना चाहिए और सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच आम सहमति से इसपर फैसला करना चाहिए.
चीन का नाम लिए बिना विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने छह अक्टूबर को कहा कि सिर्फ एक देश ने तकनीकी अड़ंगा लगाया है. इसके जरिए तीन और महीने के लिए अजहर पर प्रतिबंध को अवरुद्ध कर दिया गया. भारत पाकिस्तान से उपजने वाले सीमा पार आतंकवाद को उजागर कर रहा है और नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनाव जम्मू कश्मीर में पिछले महीने उरी हमले के बाद से बढ़ रहा है. उस हमले में 19 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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