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This Article is From Nov 25, 2015

क्या दुनिया में तीसरे विश्वयुद्‌ध की आशंका पैदा हो रही है?

क्या दुनिया में तीसरे विश्वयुद्‌ध की आशंका पैदा हो रही है?
नई दिल्‍ली: सोशल मीडिया में भी इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या दुनिया में तीसरे विश्वयुद्‌ध की आशंका पैदा हो रही है, ट्विटर पर वर्ल्ड वॉर थ्री हैशटैक का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। लोग अपने-अपने विचार रख रहे हैं। कईयों ने इस पर चिंता जताई है तो कुछ नहीं मानते कि हालात इतने ख़राब हुए हैं।

तुर्की ने मार गिराया रूसी लड़ाकू विमान
मंगलवार को जब तुर्की ने रूसी जेट को इस इल्जाम में गिराया कि वो तुर्की सीमा में घुस आया था, कई चेतावनियों के बावजूद तो इसके साथ ही सभी लोगों को उसके नतीजे या इस घटना का असर भई नजर आने लगा था। हो सकता है कि पश्चिमी देश और उनके सहयोगी देश के खिलाफ लड़ने की बजाए एक दूसरे के खिलाफ लड़ने लगें। पुतिन ने कहा है कि SU-24 को टर्की के F-16 ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से गिराया है। रूसी संसद की इंटरनेशनल कमिटी के अध्यक्ष एलेक्सी पुश्कोव ने कहा है कि अंकारा ने रूस के खिलाफ ये हरकत करने के पहले तुर्की के हित और इकॉनमी के बारे में सोचा नहीं होगा। इसके गंभीर नतीजे होंगे।

सीरिया पर देशों के अंदर राजनीति कितनी बंटी हुई है
ब्रिटेन के संसद IS के खिलाफ जंग में तुर्की की विशवसनियाता पर सवाल उठ रहे हैं। लेबर पार्टी के एक सदस्य ने ये भी आरोप लगाया है कि तुर्की तेल खरीद कर IS को मजबूत कर रहा है। इसके जवाब में ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने उन्हें रूस से हमदर्दी रखने वाला बताया जो दिखाता है कि सीरिया पर देशों के अंदर राजनीति कितनी बंटी हुई है। इस पूरे फसाद की जड़ सीरिया है। यहां नाटो, रूस, ईरान और मिडिल ईस्ट के मुल्क एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इस वजह से IS न सिर्फ बना रहेगा बल्कि मजबूत भी होगा। नाटो बशर अल असद के खिलाफ मॉडरेट कुर्द और सुन्नी बागियों की मदद कर रहा है, सऊदी अरब, तुर्की और कतर भी असद के खिलाफ हैं। हालांकि वो कौन से विरोधी गुट को सपोर्ट कर रहे हैं इस पर मतभेद हैं। ईरान सीरिया की मदद कर रहा है, रूस भी असद के बागियों पर बम बरसा रहा है क्योंकि असद उसके सबसे भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। ये दलदल बना है IS की मौजूदगी से जो न सिर्फ असद को बाहर करना चाहता है बल्कि दूसरे बागियों से भी लड़ रहा है, पूरी दुनिया में आतंक फैला रहा है। इस जाल में सब ऐसे फंसे हैं कि एक दूसरे को नुकसान ही पहुंचाएंगे।

IS के खिलाफ लड़ाई में कुछ खास हासिल नहीं होगा
सीरिया पर इतने मतभेद कि वजह से जानकारों को भी बहुत कम उम्मीद है कि IS के खिलाफ लड़ाई में कुछ खास हासिल होगा। जिस तादाद में IS, सीरिया और इराक में जिहादी भेज रहा है, शक है कि एरियल बॉंबिंग की रणनीति इस लड़ाई को दशकों खींच सकती है। रूस और फ्रांस हाल ही में IS के शिकार हुए। वो इस लड़ाई को और बड़ा करना चाहते हैं। लेकिन दूसरे पशचिमी देश IS को सीमित कर उसे धीरे-धीरे नुकसान पह़ंचा कर खत्म करना चाहते हैं। लेकिन नाटो के अंदर लड़ाई, पेरिस की हताशा, रूस पर तुर्की का हमला... ये सब IS की सड़ाई को अलग-अलग-दिशा में खींच रहा है।

मुमकिन है कि तीसरा विश्व युद्ध हो
तो क्या ये तीसरे विश्व युद्ध के हालत पैदा कर रहा है? मुमकिन है कि तीसरा विश्व युद्ध हो। पेरिस के हमले के बाद पोप फ्रांसिस ने कहा था कि ये वर्ल्‍ड वॉर थ्री की शुरूआत जैसी स्थिति बन रही है। इसमें कई खेमे एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। शिया, सुन्नी के खिलाफ, अरब ईरान के खिलाफ, ईरान के सहयोग के साथ लेबनन का हिज्बुल्लाह खाड़ी के अरब मुल्कों से लड़ रहा है। अल कायदा का अल नुसरा फ्रंट ISIS के खिलाफ है। कुर्द IS के खिलाफ भी और सीरिया की सेना के खिलाफ भी लड़ रहे हैं। तुर्की कुर्दों से लड़ रहा है और IS के खिलाफ उसकी लड़ाई कम असद को बाहर करने के लिए ज्यादा है।

पहले दो विश्व युद्ध शुरू कैसे हुए थे?
ऐसा क्यों लग रहा है कि तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है। पहले दो विश्व युद्ध शुरू कैसे हुए थे? क्या हुआ था? पहले विश्वयुद्ध में यूरोप के दो देशों की लड़ाई में दुनिया के ताकतवर मुल्क शरीक हुए थे। दुनिया बंट गई और बड़ी तादाद में लोग मारे गए। आखिर पहला विश्‍व युद्ध शुरू कैसे हुआ। बीसवीं सदी के शुरुआती दशक में जर्मनी एक बड़ी ताकत के तौर पर उभर रहा था। यूरोप में ऑस्ट्रिया उसका इकलौता भरोसेमंद सहयोगी था। ऑस्ट्रिया से कुछ लोग सर्बिया जाना चाहते थे और इसी दौरान बोस्नियां की राजधानी साराजेवो गए ऑस्ट्रिया के प्रिंस आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई। ऑस्ट्रिया ने आरोप लगाया कि हत्या के पीछे सर्बिया का हाथ है। ऑस्ट्रिया ने हत्या की जांच उसे सौंपने की मांग करते हुए सर्बिया को अल्टीमेटम दिया। सर्बिया ने अल्टीमेटम मानने से इंकार कर दिया और फिर 28 जुलाई को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर हमला कर दिया। ऑस्ट्रिया, जर्मनी के दम पर लड़ रहा था और रूस ने सर्बिया का साथ दिया। रूस ने अपनी सेना भेजी और उसके बाद ही जर्मनी भी जंग में कूद गया। रूस और जर्मनी के आमने-सामने होते ही उस वक्त रूस का सहयोगी फ्रांस भी लड़ाई में शामिल हो गया। फ्रांस-जर्मनी की सीमा में भी लड़ाई शुरू हो गई। इस बीच फ्रांस और रूस के सहयोगी ब्रिटेन ने जर्मनी से लड़ाई रोकने की मांग की लेकिन जर्मनी नहीं माना और ऐसे में ब्रिटेन ने भी जर्मनी पर हमला शुरू कर दिया। बाद में उस समय की सबसे ताकतवर नेवी मानी जाने वाली ब्रिटिश नेवी ने जर्मनी पर हमला कर दिया। अमेरिका इस युद्ध में शरीक नहीं हुआ। आखिर में जर्मनी और ऑस्ट्रिया यानी की धुरी राष्ट्रों की हार हुई।  

कुछ यूं शुरू हुआ था दूसरा विश्‍वयुद्ध
पहले विश्वयुद्ध की हार के बाद हालात से जूझ रहा जर्मनी संभलने की कोशिश के साथ अपनी फौजी ताकत बढ़ा रहा था। तभी देश के मौजूदा हालात का फायदा उठाते हुए हिटलर का उदय हुआ जिसने लोगों की भावनाओं का लाभ उठाते हुए साम्राज्यवादी नीतियों पर अमल करना शुरू किया। जर्मनी ने 1938 में चेकोस्लाविया पर हमला कर दिया। 1939 में जर्मनी ने पूरे चेकोस्लाविया पर क़ब्ज़ा कर लिया। उधर एशिया में 1937 में जब चीन गृहयुद्ध से जूझ रहा था तो जापान ने चीन पर हमला कर दिया। यूरोप में जर्मनी के हिटलर के साथ इटली के मुसोलिनी खड़े थे। 1939 में जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया, इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी पर हमला कर दिया। इसी बीच जापान ने पहले एक अमेरिकी जलपोत को निशाना बनाया और फिर हवाई के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया। इसके साथ ही अमेरिका जंग में उतरने पर मजबूर हुआ और जवाब में जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराए। ये कदम इतिहास का सबसे विनाशकारी और निर्णायक था जिसके बाद जापान ने सरेंडर कर दिया और धुरी राष्ट्र एक बार फिर पराजित हुए। इसका असर दुनिया के शक्ति संतुलन पर पड़ा और अब ब्रिटेन की जगह अमेरिका दुनिया का नया सुपरपावर बना।

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