- सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौते के बाद एक देश के खिलाफ आक्रामकता को दोनों देशों के खिलाफ मानी जाएगी.
- इस समझौते से दोनों देशों के बीच पुरानी साझेदारी को औपचारिक सुरक्षा संधि में बदला किया गया है.
- जानकारों की मानें तो पाकिस्तान इसका फायदा कश्मीर मसले को उठाने और एलओसी पर तनाव बढ़ाने में उठाएगा.
किसी भी एक देश के खिलाफ आक्रामकता को दोनों देशों के खिलाफ आक्रामकता माना जाएगा. पहली नजर में यह एक आम समझौता लग सकता है लेकिन यही एक प्वाइंट भारत की टेंशन बढ़ा सकता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सऊदी अरब के दौरे पर गए. यहां क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने उनका शाही अंदाज में स्वागत भी किया. एमबीएस जिन्होंने हमेशा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है, इस समझौते को देखकर लगता है कि मानों वह भारत के खिलाफ कोई बड़ा प्लान बनाने में बिजी हैं. एबीएस और शहबाज शरीफ ने जो रक्षा समझौता साइन किया है, उसे पुराने संबंधों की दिशा में लिया गया एक कदम बताया जा रहा है.
एक पर हमला तो दूसरे पर भी हमला
17 सितंबर 2025 को शहबाज शरीफ और एमबीएस ने जिस समझौते को साइन किया है, उसे 'स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' नाम दिया गया है. पाकिस्तान की मीडिया के अनुसार इस समझौते के साथ ही दोनों देशों ने अपनी लंबी साझेदारी को औपचारिक सुरक्षा संधि में बदल दिया है. शहबाज शरीफ के आधिकारिक दौरे पर साइन हुए इस समझौते के अनुसार अगर किसी भी देश के खिलाफ आक्रामकता दिखाई गई तो उसे दोनों देशों के खिलाफ समझा जाएगा.
एक-दूसरे के मददगार
भारत के लिए यही रक्षा समझौता भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पिछले कई सालों से सऊदी अरब, पाकिस्तान के बीच रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं. पिछले कई दशकों से सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रिश्ते काफी करीबी रहे हैं जो आर्थिक साझेदारी और आपसी सुरक्षा सहयोग से जुड़े हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए रियाद एक तरह से लाइफलाइन हे जिसने कई बार आर्थिक संकट के समय बेलआउट पैकेज देकर मुल्क को मुश्किल से निकाला है. इसके बदले में पाकिस्तान ने सऊदी अरब को जरूरत मदद पड़ने पर चुपचाप सैन्य महारत, मदद और यहां तक कि कभी-कभी ट्रूप्स भेजकर उसकी मदद की है.
पाकिस्तान के हर एक्शन को मंजूरी?
इस समझौते के साथ ही सऊदी अरब, पाकिस्तान की सुरक्षा में उसका साथी बन गया है. इसके अलावा पाकिस्तान के संघर्षों में भी अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल हो गया है. वहीं इस समझौते ये पाकिस्तान को कश्मीर मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने और लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर तनाव बढ़ाने की दिशा में फायदे की स्थिति में पहुंचा दिया है. दूसरी ओर इस समझौते के कारण जनरल असिम मुनीर के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की मिलिट्री को भी ताकत मिल गई है. जबकि सऊदी अरब, परमाणु ताकत से लैस पाकिस्तान की मदद से ईरान को रोकने की कोशिश करेगा. समझौते के बाद पाकिस्तान की मिलिट्री के हर उस एक्शन को भी कानूनी वैधता मिल गई है जो वह क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए पूरा करता है.
समझौते की टाइमिंग!
शहबाज एक हफ्ते में तीसरी बार किसी खाड़ी देश के दौर पर गए. इससे पहले वह दो बार कतर गए थे और उनके दौरे और इस समझौते की टाइमिंग काफी खास है. शरीफ ऐसे समय में खाड़ी देशों के दौरे पर जा रहे हैं जब खाड़ी में इजरायल-गाजा संकट है और इस्लामाबाद के रिश्ते भारत के साथ गर्त में हैं.
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