केरल की एक नर्स (Kerala Nurse) को यमन (Yemen) में सजा-ए-मौत की सजा दी गई है. वकील का कहना है कि नर्स को मौत की सजा से बचाने का एकमात्र तरीका पीड़ित के परिवार के साथ "ब्लड मनी" (Blood Money) पर बातचीत करना है. नर्स की मां ने दिल्ली की अदालत में यमन जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya ) को एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई है.
प्रिया की ओर से यमन की सुप्रीम कोर्ट में सजा माफ करने की अपील खारिज कर दी गई है. वकील सुभाष चंद्रन ने कहा कि यमन में प्रचलित शरिया कानून के तहत पीड़ित परिवार के साथ सीधी बातचीत ही अब सजा माफी की दिशा में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. लेकिन यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है.
वकील सुभाष चंद्रन ने कहा, "2016 से यमन की यात्रा पर प्रतिबंध है, जिसके कारण भारतीय नागरिक भारत सरकार की अनुमति के बिना यमन नहीं जा सकते. इसलिए हम 'ब्लड मनी' वार्ता के लिए पीड़ित परिवार तक पहुंच नहीं पा रहे हैं." बता दें कि निमिषा के लिए न्याय की मांग कर रहे एक मंच में राजनेता, व्यवसायी, कार्यकर्ता और प्रवासी शामिल हैं.
क्या है ब्लड मनी..?
"ब्लड मनी" वह मुआवजा है, जो पीड़ित के परिवार द्वारा उसकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तय किया जाता है. हालांकि, ब्लड मनी को लेकर बातचीत पीडि़त और दोषी के परिवार के बीच होती है. अगर दोनों किसी एक रकम पर सहमत हो जाते हैं, तो दोषी की रिहाई का रास्ता साफ हो जाता है. लेकिन इस बातचीत के लिए नर्स की मां का यमन जाना जरूरी है और दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से उनकी मां के अनुरोध पर एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आग्रह किया है.
वकील सुभाष चंद्रन ने कहा कि निमिषा की मां, जो कोच्चि में एक परिवार के लिए घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं, उसने केस लड़ने के लिए अपनी संपत्ति बेच दी है. एक मां को न्याय मिले यह सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यकर्ताओं और प्रवासियों ने 2023 में निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल का गठन किया. मंच अब केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से पीड़ित परिवार से बातचीत करने का अनुरोध कर रहा है. उन्होंने कहा, "हम भुगतान करने को तैयार हैं, लेकिन यमन में राजनीतिक स्थिति को देखते हुए सरकार बातचीत के लिए उपयुक्त प्राधिकारी है."
"उसके साथ दुर्व्यवहार किया, उसे प्रताड़ित किया"
प्रिय को तलाल अब्दो महदी के कब्जे से अपना पासपोर्ट वापस पाने के प्रयास में उसे नशीला इंजेक्शन देकर उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया था. 2017 में हुई हत्या के बाद से वह यमनी जेल में बंद है. वकील सुभाष चंद्रन ने कहा, "2017 में यमन में आंतरिक संघर्ष शुरू हो गया और उनके पति और बच्चे भारत लौट आए. वह उस समय अकेली थीं, जब उनके स्पॉन्सरों ने उनके साथ दुर्व्यवहार करना और उन्हें शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. उन्होंने प्रिया का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और वह वहां से भागने में असमर्थ थीं. अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए प्रिया ने उसे बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन अधिक मात्रा में दवा देने से उसकी मृत्यु हो गई. उस समय यमन में आंतरिक संघर्ष चल रहा था, इसलिए प्रिया को उचित कानूनी बचाव नहीं मिला. सना शहर में प्रिया पर मुकदमा चलाया गया था, यहां हूथी विद्रोहियों का नियंत्रण है. दरअसल, प्रिया युद्ध की शिकार है."
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