1945 में बेनितो मुसोलिनी की हत्या कर दी गई.(फाइल फोटो)
दुनिया के फलक पर जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर के उभरने से पहले इटली का तानाशाह बेनितो मुसोलिनी अपने देश का सबसे लोकप्रिय नेता था. उसको लोगों ने इतना प्यार और सम्मान दिया कि उसको 'द लीडर' कहा जाने लगा. लेकिन जब उनकी नीतियों से लोगों का मोहभंग हुआ तो विरोधियों ने 72 साल पहले आज ही के दिन 1945 में उसको गोलियों से उड़ा दिया. इस पर भी उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने उसकी बॉडी को चौराहे पर नुमाइश के लिए टांग दिया था.
बेनितो मुसोलिनी (1883-1945) इटली की नेशनल फासिस्ट पार्टी का नेता था. वह 1922-1943 तक देश का प्रधानमंत्री रहा. वह इटली के इतिहास में सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बना. उसने 1925 तक संवैधानिक तरीके से शासन किया. उसके बाद उसने लोकतंत्र का गला घोंट दिया और कानूनी रूप से तानाशाही को अपना लिया. वह इटली के फासीवाद का जनक था. तानाशाही के बाद उसने विरोधियों का अपनी खुफिया पुलिस के जरिये सफाया कर दिया. उसके बाद ऐसे कानून बनाए जिससे एक दल की तानाशाही का रास्ता इटली में प्रशस्त हुआ.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसने जर्मनी के तानाशाह का साथ देने का फैसला किया. 1943 तक आते-आते इटली में युद्ध को लेकर जनसमर्थन घटने लगा था और मुसोलिनी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे. इस कारण 1943 में ही इटली के राजा ने उसको बर्खास्त कर दिया और उसको गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि बाद में जर्मनी ने उसको जेल से रिहा करा लिया. 1945 में जब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध हार रहा है तो मुसोलिनी ने स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश की और इस चक्कर में रास्ते में अपनी प्रेमिका के साथ पकड़ा गया. उनकी हत्या कर दी गई और शव मिलान लाया गया. उस दौर के एक अखबार ने दावा किया था कि उनके शव नुमाइश के लिए चौराहे पर टांग दिए गए थे. मुसोलिनी विरोधी पार्टीसन गुट के प्रमुख ने तब कहा भी था कि ऐसी घटनाएं तानाशाही के खिलाफ लोगों के गुस्से को दर्शाती है और यह गलत नहीं है.
बेनितो मुसोलिनी (1883-1945) इटली की नेशनल फासिस्ट पार्टी का नेता था. वह 1922-1943 तक देश का प्रधानमंत्री रहा. वह इटली के इतिहास में सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बना. उसने 1925 तक संवैधानिक तरीके से शासन किया. उसके बाद उसने लोकतंत्र का गला घोंट दिया और कानूनी रूप से तानाशाही को अपना लिया. वह इटली के फासीवाद का जनक था. तानाशाही के बाद उसने विरोधियों का अपनी खुफिया पुलिस के जरिये सफाया कर दिया. उसके बाद ऐसे कानून बनाए जिससे एक दल की तानाशाही का रास्ता इटली में प्रशस्त हुआ.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसने जर्मनी के तानाशाह का साथ देने का फैसला किया. 1943 तक आते-आते इटली में युद्ध को लेकर जनसमर्थन घटने लगा था और मुसोलिनी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे. इस कारण 1943 में ही इटली के राजा ने उसको बर्खास्त कर दिया और उसको गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि बाद में जर्मनी ने उसको जेल से रिहा करा लिया. 1945 में जब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध हार रहा है तो मुसोलिनी ने स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश की और इस चक्कर में रास्ते में अपनी प्रेमिका के साथ पकड़ा गया. उनकी हत्या कर दी गई और शव मिलान लाया गया. उस दौर के एक अखबार ने दावा किया था कि उनके शव नुमाइश के लिए चौराहे पर टांग दिए गए थे. मुसोलिनी विरोधी पार्टीसन गुट के प्रमुख ने तब कहा भी था कि ऐसी घटनाएं तानाशाही के खिलाफ लोगों के गुस्से को दर्शाती है और यह गलत नहीं है.
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