सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद
मैड्रिड:
राष्ट्रपति बशर अल असद चाहते हैं कि अब से 10 बरस बाद लोग उन्हें ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद करें जिसने सीरिया को बचाया। यह बात असद ने एक स्पैनिश अखबार एल पेरिस को दिए एक साक्षात्कार में कही है। सीरिया में करीब छह साल से हिंसक गृह युद्ध चल रहा है और इसका खात्मा करने के प्रयासों का असद के भविष्य से सीधा संबंध है। उनका कहना है कि वह बहुप्रतीक्षित संघषर्विराम लागू करने के लिए तैयार थे बशर्ते विद्रोही और उनके अंतरराष्ट्रीय समर्थक तुर्की आदि अपना आधार बनाने के लिए इसका उपयोग नहीं करते।
अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशित साक्षात्कार में असद ने कहा ‘अगले दस साल में मैं राष्ट्रपति के तौर पर सीरिया को बचा सकता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अगले दस साल तक राष्ट्रपति बना रहूंगा। मैं तो सिर्फ दस साल के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बात कर रहा हूं।’ उन्होंने कहा ‘अगर सीरिया सुरक्षित और समृद्ध है और मैं वह हूं जिसने देश को बचाया, यह अब मेरा काम है, मेरा दायित्व है।’ असद ने कहा ‘अगर सीरियाई लोग चाहते हैं कि मैं सत्ता पर रहूं तो मैं रहूंगा। अगर वह मुझे नहीं चाहते तो मैं कुछ नहीं कर सकता, मेरा मतलब है कि मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकता, इसलिए मुझे जाना होगा।’ विश्व शक्तियां सीरिया में कथित संघषर्विराम के लिए जोर दे रही हैं ताकि नए सिरे से शांति वार्ता का रास्ता बन सके। लेकिन जमीनी लड़ाई तेज होने के कारण संघषर्विराम के प्रयास नाकाम हो गए।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशित साक्षात्कार में असद ने कहा ‘अगले दस साल में मैं राष्ट्रपति के तौर पर सीरिया को बचा सकता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अगले दस साल तक राष्ट्रपति बना रहूंगा। मैं तो सिर्फ दस साल के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बात कर रहा हूं।’ उन्होंने कहा ‘अगर सीरिया सुरक्षित और समृद्ध है और मैं वह हूं जिसने देश को बचाया, यह अब मेरा काम है, मेरा दायित्व है।’ असद ने कहा ‘अगर सीरियाई लोग चाहते हैं कि मैं सत्ता पर रहूं तो मैं रहूंगा। अगर वह मुझे नहीं चाहते तो मैं कुछ नहीं कर सकता, मेरा मतलब है कि मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकता, इसलिए मुझे जाना होगा।’ विश्व शक्तियां सीरिया में कथित संघषर्विराम के लिए जोर दे रही हैं ताकि नए सिरे से शांति वार्ता का रास्ता बन सके। लेकिन जमीनी लड़ाई तेज होने के कारण संघषर्विराम के प्रयास नाकाम हो गए।
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